जानिए शुक्र प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा, शुक्र प्रदोष व्रत की कथा के बारे में – Know when shukra pradosh fast will be observed, about the story of shukra pradosh fast
कार्तिक माह का प्रदोष व्रत बेहद खास माना जाता है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा से भक्तों के घोर से घोर कष्ट दूर हो जाते हैं। अगर प्रदोष व्रत शुकवार के दिन होता है तो उसका महत्व और बढ़ जाता है। इस बार कार्तिक माह के दोनों प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन हैं। पहला व्रत 10 नवंबर को था और अब दूसरा प्रदोष व्रत भी शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। आइए जानते हैं शुक्र प्रदोष व्रत की कथा। * कब है कार्तिक प्रदोष व्रत: हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत का दिन होता है। कार्तिक माह का पहला प्रदोष व्रत 10 नवंबर शुक्रवार को रखा गया है और दूसरा प्रदोष व्रत 24 नवंबर, शुक्रवार को है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 नवंबर को रात 7 बजकर 6 मिनट से शुरू होकर 25 नवंबर को 5 बजकर 22 मिनट तक है। पूजा का शुभ मूहुर्त 24 नवंबर को रात 7 बजकर 6 मिनट से रात 8 बजकर 6 मिनट तक है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। * शुक्र प्रदोष व्रत कथा: प्राचीन समय में किसी नगर में तीन मित्र निवास करते थे। उनमें एक राजकुमार, एक ब्राह्मण कुमार और एक घनिक पुत्र था। तीनों मित्रों का विवाह हो चुका था। घनिक पुत्र का गौना नहीं हुआ था। एक दिन तीनों मित्र अपनी अपनी पत्नी की चर्चा कर रहे थे। ब्राह्मण कुमार ने कहा जिस घर में स्त्री नहीं होती है वहां भूतों का वास होता है। यह सुनकर घनिक पुत्र अपनी पत्नी को तुरंत घर लाने का निश्चय करता है। वह अपनी पत्नी को लाने सुसराल पहुंच गया। लेकिन, शुक्र के अस्त चलने के कारण पत्नी के माता-पिता पुत्री को विदा नहीं करना चाहते थे, धनिक पुत्र उनकी बात नहीं माना और जबरन अपनी पत्नी को साथ ले गया। रास्ते में बैलगाड़ी का पहिया टूट गया और दोनों घायल हो गए। कुछ दूर बाद उनका सामना डाकुओं से हो गया। डाकुओं ने दोनों को लूट लिया। किसी तरह दोनों घर पहुंचे। घर पहुंचते ही धनिक पुत्र को सांप ने काट लिया। वैद्य ने कहा मृत्यु निश्चित है। यह समाचार जान कर दोनों मित्र वहां पहुंचे और धनिक पुत्र के माता-पिता से शुक्र प्रदोष का व्रत रखने को कहा। उन्होंने बहु और बेटे को साथ उसके माता-पिता के पास भेजने के लिए कहा क्योंकि शुक्र के अस्त होने पर बेटी को विदा नहीं करना चाहिए। धनिक ने ऐसा ही किया। पत्नी के माता-पिता के घर पहंचते ही धनिक पुत्र ठीक हो गया। इस चलते मान्यतानुसार शुक्र प्रदोष व्रत करने से घोर कष्ट भी दूर हो सकते हैं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।) जानिए शुक्र प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा, शुक्र प्रदोष व्रत की कथा के बारे में – Know when shukra pradosh fast will be observed, about the story of shukra pradosh fast