आज, 26 दिसंबर 2024, पूरे देश में वीर बाल दिवस मनाया जा रहा है। यह दिवस सिखों के दसवें गुरु, श्री गुरु गोविंद सिंह जी के चारों साहिबजादों की वीरता, बलिदान और धर्मनिष्ठा को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। खासतौर पर पंजाब में इस दिन को बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। वीर बाल दिवस की शुरुआत भारत सरकार ने 2022 में की थी। हर साल क्रिसमस के अगले दिन, 26 दिसंबर को, इस दिवस पर साहिबजादों के बलिदान को याद किया जाता है। यह दिन विशेष रूप से गुरु गोविंद सिंह के छोटे साहिबजादों, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत को समर्पित है। 1699 में, श्री गुरु गोविंद सिंह ने बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की। उनके चारों बेटे—अजीत सिंह, जूझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह—खालसा पंथ का हिस्सा बने। मुगल शासकों ने गुरु गोविंद सिंह और उनके परिवार को खत्म करने का हरसंभव प्रयास किया। गुरु गोविंद सिंह के दो बड़े साहिबजादे, अजीत सिंह और जूझार सिंह, लड़ाई में शहीद हो गए। उनके छोटे साहिबजादे, बाबा जोरावर सिंह (9 वर्ष) और बाबा फतेह सिंह (6 वर्ष), अपनी दादी माता गुजरी के साथ गुप्त स्थान पर छिपे हुए थे। लेकिन सरहिंद के नवाब वजीर खान ने उन्हें पकड़ लिया और धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया। जब उन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकारने से इनकार किया, तो 26 दिसंबर के दिन उन्हें दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया। वीर बाल दिवस न केवल साहिबजादों की शहादत को याद करने का दिन है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को उनके बलिदान से प्रेरणा लेने और धर्म, न्याय और सच्चाई के मार्ग पर चलने का संदेश देता है। इस दिन स्कूल-कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें बच्चों को साहिबजादों के इतिहास से अवगत कराया जाता है। इस वर्ष वीर बाल दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। पहली बार यह पुरस्कार गणतंत्र दिवस की बजाय 26 दिसंबर को दिए जा रहे हैं। यह दिन साहिबजादों के अद्वितीय बलिदान को श्रद्धांजलि देने और उनकी वीरता से प्रेरणा लेने का अवसर है। वीर बाल दिवस हमें सिखाता है कि सत्य, धर्म और न्याय के लिए समर्पण ही सच्चा बलिदान है। वीर बल दिवस 2024: श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत को समर्पित है यह ऐतिहासिक दिन – Veer bal diwas 2024: This historical day is dedicated to the martyrdom of sahibzadas of shri guru gobind singh ji