तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके ने बुधवार को केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी का कहना है कि भाजपा सरकार उत्तर प्रदेश सरकार को बचाने के लिए महाकुंभ भगदड़ में हुई मौतों के सही आंकड़े छिपा रही है और जनता को गुमराह कर रही है।
डीएमके के मुखपत्र ‘मुरासोली’ ने 5 फरवरी को अपने संपादकीय में लिखा कि यदि भाजपा में वास्तविक भक्ति होती, तो श्रद्धालुओं के लिए बेहतर प्रबंध किए जाते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अखबार ने कहा, भाजपा और उसके सहयोगी केवल राजनीति में भक्ति दिखाते हैं, लेकिन धार्मिक आयोजनों में कुप्रबंधन करते हैं।
डीएमके के तमिल दैनिक ने दावा किया कि महाकुंभ में अनियंत्रित भीड़ और प्रशासनिक लापरवाही के कारण भगदड़ मची, जिसमें 48 लोगों की मौत हुई। हालांकि, योगी सरकार ने 30 मौतों की पुष्टि की, लेकिन एक अंग्रेजी राष्ट्रीय दैनिक ने शवों की गिनती के बाद 48 मौतों की जानकारी दी।
अखबार ने आगे आरोप लगाया कि, समाचार आउटलेट्स पर रिपोर्टिंग रोकने का दबाव डाला गया ताकि वास्तविक संख्या उजागर न हो। विपक्षी दलों को भी इस मुद्दे को संसद में उठाने की अनुमति नहीं दी गई।
डीएमके ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि संघियों (आरएसएस के समर्थकों) का नियम है कि भाजपा के किसी भी फैसले पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए, खासकर जब यूपी में योगी सरकार हो।
तमिल दैनिक ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि महाकुंभ का आयोजन पूरी तरह अराजकता और अनुचित प्रबंधन से भरा था। कई सेवाओं को आउटसोर्स किया गया, जिससे श्रद्धालुओं को भारी परेशानी उठानी पड़ी।
डीएमके का आरोप है कि भाजपा सरकार गलत जानकारी देकर और वास्तविक मौतों के आंकड़ों को छिपाकर उत्तर प्रदेश सरकार को बचाने की कोशिश कर रही है। इस मुद्दे पर अब राजनीतिक घमासान तेज होने की संभावना है।
डीएमके ने महाकुंभ भगदड़ में मौतों की संख्या छिपाने के आरोप में केंद्र और यूपी सरकार को घेरा –
DMK slams centre and UP government for hiding number of deaths in kumbh stampede