
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव की उपासना और उपवास रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में तरक्की के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
फरवरी माह का अंतिम प्रदोष व्रत 25 फरवरी, मंगलवार को पड़ रहा है, जिसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। मंगलवार को पड़ने के कारण इस दिन भगवान शिव और हनुमान जी दोनों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं भौम प्रदोष व्रत 2025 के पूजा नियम, शुभ मुहूर्त और महत्व।
इस दिन शिव पूजा आप 6 बजकर 18 मिनट से रात 8 बजकर 49 मिनट के बीच कर सकते हैं. इस समय प्रदोष काल है।
भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि –
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
भगवान शिव और हनुमान जी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और अच्छे से सजाएं।
शिव जी और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें और दीपक जलाएं।
शिवलिंग का जलाभिषेक करें, बेलपत्र, धतूरा, अक्षत और फल अर्पित करें।
शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर जल चढ़ाकर विशेष पूजन करें।
शाम को दोबारा स्नान करें, शिव जी की पूजा करके प्रदोष व्रत कथा सुनें।
शिव आरती करें, भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें।
भौम प्रदोष व्रत का महत्व –
भगवान शिव और बजरंगबली की कृपा प्राप्त होती है।
कर्ज से मुक्ति मिलती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
शरीर से जुड़ी गंभीर बीमारियां दूर होती हैं।
मानसिक शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
चंद्र दोष निवारण में यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
फरवरी का आखिरी प्रदोष व्रत कल, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व –
Last pradosh fast of february tomorrow, know about worship method, auspicious time and importance