पंचांग के अनुसार, 11 अक्टूबर, बुधवार के दिन आश्विन माह का पहला प्रदोष व्रत पड़ रहा है। बुधवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने पर इसे बुध प्रदोष व्रत कहते हैं। बुध प्रदोष व्रत को सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला माना जाता है। हर महीने मान्यतानुसार 2 प्रदोष व्रत पड़ते हैं जिनमें से एक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर। 11 अक्टूबर के दिन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रदोष व्रत रखा जाना है। यहां जानिए इस व्रत में किस तरह और किस समय की जा सकती है भोलेनाथ की पूजा।
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 37 मिनट पर शुरु हो रही है और यह तिथि अगले दिन 12 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 53 मिनट तक रहने वाली है। प्रदोष काल में ही पूजा शुभ मानी जाती है इसीलिए प्रदोष व्रत बुधवार के दिन ही रखा जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में 11 अक्टूबर शाम 5 बजकर 56 मिनट से रात 8 बजकर 25 मिनट तक है। इस शुभ मुहूर्त में पूजा करना बेहद फलदायी माना जाता है।
बुध प्रदोष व्रत की पूजा रात में प्रदोष काल के समय होती है लेकिन व्रत रखने वाले सुबह से ही भगवान भोलेनाथ की भक्ति में रम जाते हैं। सुबह के समय स्नान पश्चात भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। सुबह के समय ही पास के शिव मंदिर जाकर शिव शंकर के दर्शन किए जाते हैं।
प्रदोष काल में पूजा के समय भगवान शिव के समक्ष दीप जलाकर ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप किया जाता है और शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। फूल, चंदन, बेल पत्र, धतूरा और फल आदि को पूजा सामग्री में सम्मिलित किया जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करके और उन्हें भोग लगाने के बाद पूजा की समाप्ति होती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
इस महीने का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा कल, जानिए पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त –
The first pradosh fast of this month will be observed tomorrow, know the method and auspicious time of worship