JPB NEWS 24

Headlines

Devotional

जानिए जन्माष्टमी पर किन चीजों का दान करना बेहद शुभ माना जाता है। Know which things are considered very auspicious to donate on janmashtami

जानिए जन्माष्टमी पर किन चीजों का दान करना बेहद शुभ माना जाता है। Know which things are considered very auspicious to donate on janmashtami

भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में भगवान कृष्ण ने द्वापर युग में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन जन्म लिया था। तब से हर साल धूम धाम और भक्ति भाव से जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता रहा है। इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 26 अगस्त को पड़ रहा है। इसके लिए मंदिर सज गए हैं और झांकियां तैयार हैं। लोग अपने कान्हा के जन्म के समय का इंतजार करने की तैयारियों में लगे हैं। जन्माष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी, और श्री जयंती के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से भक्तों को भगवान कृष्ण और राधा रानी की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन दान पुण्य का भी विशेष महत्व है। ऐसे में कुछ खास चीजों का दान किया जाए तो घर-परिवार पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है। यहां देखें कौनसी हैं ये शुभ चीजें। * जन्माष्टमी के दिन किन चीजों का दान करना चाहिए:  श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर अन्न दान का बहुत ही महत्व है। कहा जाता है कि गोवर्धन पर्वत को उठाने के बाद जब भगवान कृष्ण थक गए थे तो पूरे गोकुल वासियों ने अन्नकूट बनाकर उनको भोग लगाया था। इसलिए इस दिन अन्न दान करना चाहिए। इस दिन वस्त्र दान भी करना चाहिए। आप गरीबों को कपड़े दान कर सकते हैं। माखन और मिश्री भगवान कृष्ण को बहुत प्रिय हैं। इसलिए कहा जाता है कि जन्माष्टमी के दिन मक्खन का दान करना चाहिए। * मुरली और मोर पंख का दान देगा अक्षय फल: जन्माष्टमी के दिन मोर पंख का दान भी काफी खुशहाली लाता है। इस दिन मोर पंख खरीद कर इसका दान करना चाहिए क्योंकि भगवान कृष्ण को मोरपंख बहुत ही प्रिय है। जन्माष्टमी के दिन गाय का दान भी शुभ माना जाता है। आप इस दिन कामधेनु गाय की प्रतिमा का दान भी कर सकते हैं क्योंकि यह भगवान कृष्ण को प्रिय है। जन्माष्टमी के दिन मुरली का दान भी काफी शुभ और लाभदायक माना जाता है। आप इस दिन लकड़ी की मुरली का दान कर सकते हैं। ऊपर लिखी दान की सभी चीजें शास्त्रों में भगवान कृष्ण को बेहद प्रिय कही गई हैं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए जन्माष्टमी पर किन चीजों का दान करना बेहद शुभ माना जाता है। Know which things are considered very auspicious to donate on janmashtami

जानिए जन्माष्टमी पर किन चीजों का दान करना बेहद शुभ माना जाता है। Know which things are considered very auspicious to donate on janmashtami Read More »

अगर आप जन्माष्टमी पर बाल गोपाल को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इन रंगों के कपड़े पहनें - If you want to please bal gopal on janmashtami then wear clothes of these colors

अगर आप जन्माष्टमी पर बाल गोपाल को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इन रंगों के कपड़े पहनें – If you want to please bal gopal on janmashtami then wear clothes of these colors

सनातन धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व होता है, जो हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी का पावन त्योहार 26 अगस्त 2024, सोमवार के दिन मनाया जाएगा। ऐसे में घरों में और मंदिरों में रात को 12:00 बजे कृष्ण जी का जनमोत्स्व मनाया जाता है। उन्हें तरह-तरह के श्रृंगार से सजाया जाता है, नए वस्त्र बनाए जाते हैं और महिलाएं भी 16 श्रृंगार कर गोपियों की तरह कृष्ण को रिझाने की कोशिश करती हैं। ऐसे में अगर आप भगवान श्री कृष्ण को जन्माष्टमी पर प्रसन्न करना चाहती हैं, तो उनके प्रिय रंगों के वस्त्र पहनकर उन्हें प्रसन्न कर सकती हैं। यहां जानिए कौनसे हैं श्रीकृष्ण के प्रिय रंग और किस तरह किया जा सकता है बाल-गोपाल का ऋृंगार। * गोपियों की तरह कृष्ण जन्माष्टमी पर करें श्रृंगार: श्यामवर्ण वाले कान्हा का रंग रूप बहुत मनमोहक हैं और गोपियां उनकी झलक पाने के लिए तरह-तरह के जतन करती थीं। ऐसे में अगर आप भी गोपियों की तरह कृष्ण को जन्माष्टमी पर रिझाना चाहती हैं और उनकी कृपा पाना चाहती हैं, तो कृष्ण जी के पसंदीदा रंगों के वस्त्र पहनकर उनका मन मोह लें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्री कृष्ण को गुलाबी, लाल, पीला मोरपंखी रंग बहुत प्रिय होता है, ऐसे में आप इन रंगों के वस्त्र पहन सकती हैं। * कृष्ण के लिए करें ऐसा श्रृंगार: मान्यताओं के अनुसार, कान्हा जी को गोपीचंद बहुत प्रिय होता है। जन्माष्टमी के मौके पर आप गोपीचंद से कान्हा जी का तिलक तो करें ही साथ ही खुद भी इस गोपीचंद को मस्तक पर लगाएं, इससे मानसिक तनाव दूर होता है और भगवान कृष्ण भी बहुत प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा जन्माष्टमी पर रात रानी के फूलों का इत्र लगाना भी बहुत शुभ माना जाता है, इसे शरीर पर लगाने से अष्टगंध की सुगंध आती है। इस इत्र को आप बाल गोपाल को लगाने के साथ ही खुद भी लगा सकते हैं। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर आपको कान्हा जी की प्रिय वस्तुएं उन्हें अर्पित करनी चाहिए, इस दिन हो सके तो कान्हा जी की बांसुरी उन्हें जरूर पहनाएं और चाहे तो उनके लिए चांदी की छोटी सी बांसुरी भी उनके जन्मदिन के मौके पर ला सकते हैं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   अगर आप जन्माष्टमी पर बाल गोपाल को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इन रंगों के कपड़े पहनें – If you want to please bal gopal on janmashtami then wear clothes of these colors

अगर आप जन्माष्टमी पर बाल गोपाल को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इन रंगों के कपड़े पहनें – If you want to please bal gopal on janmashtami then wear clothes of these colors Read More »

शनिवार के दिन करें पीपल का ये उपाय, शनिदेव के साथ-साथ लक्ष्मी नारायण भी बरसाएंगे कृपा - Do this remedy of peepal on saturday, along with shanidev, Lakshmi narayan will also shower blessings

शनिवार के दिन करें पीपल का ये उपाय, शनिदेव के साथ-साथ लक्ष्मी नारायण भी बरसाएंगे कृपा – Do this remedy of peepal on saturday, along with shanidev, Lakshmi narayan will also shower blessings

शनिदेव की कृपा प्राप्त करने और बाधाएं दूर करने के लिए लोग शनिवार को कई तरह के उपाय करते हैं। मान्यता है कि शनिवार को शनिदेव के मंदिर में सरसों के तेल के साथ-साथ पीपल के पेड़ को जल चढ़ाने से शनि की साढ़े साती से मुक्ति मिलती है। एक उपाय ऐसा भी है जिससे शनिदेव के साथ लक्ष्मी नारायण को प्रसन्न किया जा सकता है।  * लक्ष्मी नारायण की कृपा:  शनिदेव न्याय के स्वामी ग्रह हैं। मान्यता है कि पूर्व जन्म के कर्मों के कारण इस जन्म में लोगों पर शनिदेव की दृष्टि पड़ती है और जिस पर भी शनिदेव की कुदृष्टि पड़ती है उसे जीवन में कष्ट उठाने पड़ते हैं। पद्म पुराण में कहा गया है कि पीपल में भगवान विष्णु का वास होता है। इसमें पानी देने या उसकी परिक्रमा से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं, ऐसी मान्यता है शनिदेव भगवान विष्णु के भक्त हैं। https://youtu.be/DQMqNuvyEZ8 * तीनों देवों का वास:  यह भी मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर सिर्फ भगवान विष्णु नहीं बल्कि तीनों देवों का वास होता है। पीपल के पेड़ की जड़ों में भगवान विष्णु वास करते हैं, जबकि तने में भगवान शंकर और ऊपरी भाग में ब्रह्मा का वास माना गया है। * शनिवार को करें उपाय:  शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे दिया जलाने से न केवल शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है बल्कि भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं, ऐसी मान्यता है। शनिवार का यह उपाय सुबह 7 बजे से 10 बजे के बीच करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा शाम को 5 बजे से 7 बजे के बीच भी दिया जलाया जा सकता है। रात को 9 बजे के बाद यह उपाय नहीं करना चाहिए। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   शनिवार के दिन करें पीपल का ये उपाय, शनिदेव के साथ-साथ लक्ष्मी नारायण भी बरसाएंगे कृपा – Do this remedy of peepal on saturday, along with shanidev, Lakshmi narayan will also shower blessings

शनिवार के दिन करें पीपल का ये उपाय, शनिदेव के साथ-साथ लक्ष्मी नारायण भी बरसाएंगे कृपा – Do this remedy of peepal on saturday, along with shanidev, Lakshmi narayan will also shower blessings Read More »

मंगलवार के दिन बजरंगबली की पूजा करते समय रखें कुछ बातों का ध्यान, न करें ये गलतियां - While worshiping bajrangbali on tuesday, Keep some things in mind, do not make these mistakes

मंगलवार के दिन बजरंगबली की पूजा करते समय रखें कुछ बातों का ध्यान, न करें ये गलतियां – While worshiping bajrangbali on tuesday, Keep some things in mind, do not make these mistakes

हिंदू धर्म में सप्ताह के हर दिन को किसी ना किसी देवी-देवता को समर्पित किया जाता है। सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए निर्धारित किया गया है तो वहीं मंगलवार के दिन संकट मोचन हनुमान की पूजा की जाती है। बजरंगबली की पूजा करने पर कहा जाता है कि जीवन से सभी संकट दूर हो जाते हैं और भक्तों को किसी चीज से भय नहीं रहता है। अगर आप भी मंगलवार के दिन बजरंगबली के लिए व्रत रख रहे हैं और पूजा कर रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें। कहते हैं इस दिन कुछ गलतियों को करने से बचना बेहद जरूरी होता है। * मंगलवार की पूजा में ध्यान रखें ये बातें:  मान्यतानुसार हनुमान जी की पूजा करने के लिए स्नान करने और स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद पूर्व दिशा की ओर आसन लगाना चाहिए और फिर हाथ जोड़कर बजरंगबली का ध्यान लगाना चाहिए। संकट मोचन हनुमान को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। मंगलवार के दिन सुंदर कांड का पाठ भी किया जा सकता है। ऐसा करने पर घर में सुख-समृद्धि आती है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा के अतिरिक्त हनुमानाष्टक पढ़ना भी अत्यधिक लाभकारी कहा जाता है। कहते हैं ऐसा करने से शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। मंगलवार के व्रत में नमक वाले भोजन से पूरी तरह परहेज किया जाता है। इस दिन खिचड़ी खाने से भी मना किया जाता है। इस दिन शाम के समय मीठे व्यंजन खाए जा सकते हैं जैसे दूध, फल और मेवे आदि। हनुमान जी को मंगलवार के दिन बेसन के लड्डू और सिंदूर अर्पित करना बेहद शुभ मानते हैं। इसके अतिरिक्त, बूंदी का प्रसाद भी बजरंगबली को चढ़ाया जा सकता है। मंगलवार के दिन पूरी तरह से मांस और मदिरा के सेवन से परहेज करने के लिए कहा जाता है। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करने की सलाह दी जाती है। हिंदू धर्म में पूजा करते हुए मंत्रों के उच्चारण को विशेष महत्व दिया जाता है। बजरंगबली का आशीर्वाद पाने के लिए रुद्राक्ष की माला लेकर ‘ॐ श्री हनुमते नम:’ मंत्र का जाप करना शुभ होता है। इस मंत्र का जाप 108 बार किया जा सकता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   मंगलवार के दिन बजरंगबली की पूजा करते समय रखें कुछ बातों का ध्यान, न करें ये गलतियां – While worshiping bajrangbali on tuesday, Keep some things in mind, do not make these mistakes

मंगलवार के दिन बजरंगबली की पूजा करते समय रखें कुछ बातों का ध्यान, न करें ये गलतियां – While worshiping bajrangbali on tuesday, Keep some things in mind, do not make these mistakes Read More »

दुर्गा अष्टमी और पहले चरण की फूलों की होली राजेश्वरी धाम वैष्णो मंदिर बस्ती शेख रोड जालंधर मे मनाई गई

दुर्गा अष्टमी और पहले चरण की फूलों की होली राजेश्वरी धाम वैष्णो मंदिर बस्ती शेख रोड जालंधर मे मनाई गई राजेश्वरी धाम वैष्णो मंदिर बस्ती शेख रोड जालंधर मे दुर्गा अष्टमी और पहले चरण की होली फूलों के साथ मनाई गई जिसमें राधा कृष्ण की झांकियां भी बनाई गई और राधे नाम के साथ होली का पर्व मनाया गया मां की सारी संगत ने नाच कर होली मनाई और राधा कृष्ण के सवरूप के साथ होली खेलते हुए होली का पर्व मनाया मां का गुणगान करने पहुंची सुमित अजय निमाना एंड पार्टी ने “राजरानी साढ़े वहडे आ तेरी मेहरबानी” भजन गा कर सारी संगत को मां के रंग मे रंग दिया सभी आई हुए पार्टियों को मां की चुनरी देकर सम्मानित मंदिर प्रधान श्री कैलाश बब्बर और विजय दुआ, पंकज ठाकुर, राजीव सहदेव, सुरेंद्र अरोड़ा, जतिन मिंटू, किशन लाल अरोड़ा, सिंगर प्रदीप पुजारी, सिंगर अशोक, नवीन बब्बर, अमन बत्रा, मनीष चुग व अन्य ने सम्मानित किया मां का भंडारा सारी रात चला

दुर्गा अष्टमी और पहले चरण की फूलों की होली राजेश्वरी धाम वैष्णो मंदिर बस्ती शेख रोड जालंधर मे मनाई गई Read More »

जानिए आमलकी एकादशी की पूजा में आंवला के महत्व और पूजा विधि के बारे में। Know about the importance of amla and the method of worship in the worship of amalaki ekadashi

जानिए आमलकी एकादशी की पूजा में आंवला के महत्व और पूजा विधि के बारे में। Know about the importance of amla and the method of worship in the worship of amalaki ekadashi

पंचांग के अनुसार, हर माह 2 एकादशी पड़ती हैं और सालभर में 24 एकादशी मनाई जाती हैं। इन्हीं में से एक है आमलकी एकादशी जिसे आंवला एकादशी और रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यतानुसार आमलकी एकादशी का महत्व अक्षय नवमी के समान होता है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा भी मिलती है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में यह एकादशी मनाई जाती है। इस साल 20 मार्च, बुधवार के दिन आमलकी एकादशी मनाई जाएगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी एकादशी के दिन महादेव और माता पार्वती विवाह के पश्चात काशी नगरी गए थे और होली खेली थी। आमलकी एकादशी के दिन ही आंवला की पूजा का भी खास महत्व होता है।  * आमलकी एकादशी की पूजा:  आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ-साथ आंवले की पूजा को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। कहते हैं इस दिन आंवले की पूजा का खास विधान होता है। माना जाता है कि सृष्टि के निर्माण से पहले आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी। वहीं, आंवले के वृक्ष को श्रीहरि का प्रिय भी माना जाता है। इसके अतिरिक्त, कहते हैं कि एकादशी के दिन आंवले के स्मरण मात्र से ही गोदान का फल मिलता है और इस पेड़ को एकादशी पर छूने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है। https://youtu.be/1zFRZ0fQKng रंगभरी एकादशी या आमलकी एकादशी पर आंवला की पूजा करने के लिए एकादशी की पूजा में आंवला शामिल किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त आमलकी एकादशी का व्रत रखकर आंवले की जड़ में कच्चा दूध चढ़ाना शुभ मानते हैं। इस दिन आंवले के पेड़ पर रोली, अक्षत, पुष्प और गंध डालना अच्छा होता है। आंवले के पेड़ के नीच दीप प्रज्वलित किया जा सकता है। कहते हैं ऐसा करने पर घर में सुख-समृद्धि आती है। आंवले की पूजा करते हुए माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का स्मरण करना शुभ होता है। एकादशी के दिन जप, तप और दान की भी अत्यधिक विशेषता होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हुए तुलसी के पत्तों को भी पूजा में शामिल करना बेहद शुभ होता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए आमलकी एकादशी की पूजा में आंवला के महत्व और पूजा विधि के बारे में। Know about the importance of amla and the method of worship in the worship of amalaki ekadashi

जानिए आमलकी एकादशी की पूजा में आंवला के महत्व और पूजा विधि के बारे में। Know about the importance of amla and the method of worship in the worship of amalaki ekadashi Read More »

जानिए इस साल होलिका दहन के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और शुभ मंत्रों के बारे में। Know about the auspicious time, worship method and auspicious mantras of holika dahan this year

जानिए इस साल होलिका दहन के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और शुभ मंत्रों के बारे में। Know about the auspicious time, worship method and auspicious mantras of holika dahan this year

पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है। होलिका शाम के समय जलाई जाती है। इस दिन से विशेष धार्मिक मान्यता भी जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के अग्नि में भस्म हो जाने के बाद से होलिका दहन की शुरूआत हुई थी। गली के चौराहे या किसी मैदान में लकड़ियों और कंडों को जमा करके ढेर तैयार किया जाता है और शाम के समय शुभ मुहूर्त में इसकी परिक्रमा करके पूजा की जाती है। इसके अगले दिन ही रंग खेलकर होली का पर्व मनाया जाता है। * होलिका दहन की पूजा:  इस साल 24 मार्च, रविवार की शाम होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन के दिन भद्रा का साया रहने वाला है। इस बार भद्राकाल 24 मार्च रात 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। इसके पश्चात यानी 11 बजकर 14 मिनट से 12 बजकर 20 मिनट के बीच होलिका दहन किया जा सकता है। होलिका दहन के दिन पूजा के समय पीले या सफेद रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है। इस दिन महिलाओं को होलिका दहन के दौरान अपने बाल खुले नहीं रखने चाहिए। होलिका दहन के लिए गोबर से होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं। होलिका की अग्नि में रोली, अक्षत, फूलों की माला, गुड़, साबुत हल्दी, कच्चा सूत, गुलाल और बताशे समेत पांच तरह के अनाज डाले जाते हैं। इस दिन भगवान नरसिंह की भी पूजा होती है। ॐ होलिकायै नम:, ॐ प्रह्लादाय नम: और ॐ नृसिंहाय नम: मंत्रों का जाप किया जा सकता है। होलिका दहन कर लेने के बाद अपनी इच्छाओं की पूर्ति की मनोकामना की जाती है। * करें इन मंत्रों का जाप:  अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्। वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च। अतस्त्वं पाहि मां देवी! भूति भूतिप्रदा भव।। * यह है पौराणिक कथा:  मान्यतानुसार असुरों के राजा हिरण्यकश्यप के घर विष्णु भक्त प्रह्लाद का जन्म हुआ। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से ईर्ष्या करता था परंतु प्रह्लाद परम विष्णु भक्त बन गया। ऐसे में हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने की कोशिशें करने लगा लेकिन हर बार ही प्रह्लाद बच जाया करता था। ऐसे में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठ जाए। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। लेकिन, जब होलिका प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठी तो भस्म हो गई परंतु प्रह्लाद पर आंच भी नहीं आई। भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद जलने से बच गया। इसीलिए हर साल होलिका दहन किया जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखा जाता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए इस साल होलिका दहन के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और शुभ मंत्रों के बारे में। Know about the auspicious time, worship method and auspicious mantras of holika dahan this year

जानिए इस साल होलिका दहन के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और शुभ मंत्रों के बारे में। Know about the auspicious time, worship method and auspicious mantras of holika dahan this year Read More »

जानिए होलाष्टक के दौरान कौन-कौन से कार्य करने चाहिए और कौन-कौन से नहीं। Know which tasks should be done during holashtak and which should not

जानिए होलाष्टक के दौरान कौन-कौन से कार्य करने चाहिए और कौन-कौन से नहीं। Know which tasks should be done during holashtak and which should not

रंगों का त्योहार होली आने वाला है। इस वर्ष 24 मार्च को होलिका दहन होगा और इसके एक दिन बाद यानी 25 मार्च को होली मनाई जाएगी। रंगों के इस त्योहार से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं। 17 मार्च से शुरू होने वाला होलाष्टक 24 मार्च तक रहेगा। होलिका दहन के साथ ही इनकी समाप्ति हो जाएगी। मान्यतानुसार होलाष्टक के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। मान्यता है कि इस दौरान शादी मुंडन या फिर गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य करने पर उनका अच्छा फल नहीं प्राप्त होता। ऐसे में चलिए जानते हैं इन आठ दिवसीय होलाष्टक के दौरान कौन-कौन से कार्य करने चाहिए और कौन-कौन से नहीं। * भूलवश भी न करें ये कार्य:  होलाष्टक में विवाह, मुंडन, सगाई और बच्चों का नामकरण समेत 16 कार्य निषेध माने गए हैं। इस दौरान न मकान का निर्माणकार्य शुरू करना चाहिए और न ही गृह प्रवेश करना चाहिए। इसके साथ ही मकान, वाहन और जमीन की खरीददारी भी होलाष्टक में वर्जित मानी गई है। इसके अतिरिक्त होलाष्टक में यज्ञ और हवन जैसे धार्मिक कार्य भी नहीं करने चाहिए। यदि आप चाहें तो होलाष्टक के पहले या बाद में यह कार्य कर सकते हैं। इसके साथ ही जो लोग अपने नौकरी बदलना चाहते हैं या फिर नई नौकरी ज्वाइन करना चाहते हैं वो होलाष्टक के बाद ऐसा करें। यहां तक कि होलाष्टक के दौरान नया बिजनेस शुरू करना भी अच्छा नहीं माना जाता है। * जरुर करें ये काम:  होलाष्टक के दौरान भले ही शुभ कार्य नहीं किए जाते लेकिन इस दौरान देवी-देवताओं की उपासना बहुत ही श्रेष्ठ मानी जाती है। इन आठ दिनों में दान-पुण्य करने से लोगों पर सुख-समृद्धि की बरसात होती है। धर्माचार्यों के अनुसार, इस दौरान ज्यादा से ज्यादा भगवान के भजन और पूजा-पाठ करना चाहिए जिससे सभी समस्याओं से छुटकारा मिल सके। किसी बड़ी बीमारी या रोग से पीड़ित लोग यदि होलाष्टक के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं तो उन्हें इन रोगों से छुटकारा मिलता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए होलाष्टक के दौरान कौन-कौन से कार्य करने चाहिए और कौन-कौन से नहीं। Know which tasks should be done during holashtak and which should not

जानिए होलाष्टक के दौरान कौन-कौन से कार्य करने चाहिए और कौन-कौन से नहीं। Know which tasks should be done during holashtak and which should not Read More »

जानिए बरसाना में कब शुरू होगी लट्ठमार होली, 9 नंबर से है इसका खास कनेक्शन - Know when lathmar holi will start in barsana, it has a special connection with number 9

जानिए बरसाना में कब शुरू होगी लट्ठमार होली, 9 नंबर से है इसका खास कनेक्शन – Know when lathmar holi will start in barsana, it has a special connection with number 9

होली का त्योहार वैसे तो इस साल 25 मार्च 2024 को मनाया जाएगा, लेकिन इससे 45 दिन पहले ही वृंदावन में होली का त्योहार शुरू हो जाता है। राधा रानी और श्री कृष्ण को होली का त्योहार बहुत प्रिय है। यहां लड्डू होली से लेकर लट्ठमार होली और फूलों वाली होली तक खेली जाती है। ऐसे में इस साल बरसाना की वर्ल्ड फेमस लट्ठमार होली कब खेली जाएगी आइए हम आपको बताते हैं इसकी तिथि और अंक शास्त्र से जुड़ा संबंध। * इस दिन खेली जाएगी बरसाना में लट्ठमार होली:  इस साल बरसाना में 18 मार्च 2024 को लट्ठमार होली खेली जाएगी, जो फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को होती है। यहां लट्ठमार होली में गोपियां बनी महिलाएं नंदगांव से आए पुरुषों पर लाठी बरसती है और पुरुष ढाल का इस्तेमाल करके खुद को बचाते हैं। https://youtu.be/1zFRZ0fQKng बरसाना की लट्ठमार होली के बाद 19 मार्च को नंद गांव में भी लट्ठमार होली खेली जाएगी और इसे देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग लाखों की संख्या में यहां हर साल पहुंचते हैं। * 9 नंबर से है लठमार होली का खास संबंध:  सनातन धर्म में 9 अंक बहुत शुभ माना जाता है। ये पूर्णांक होता है और भगवान श्री राम का जन्म भी चैत्र मास की नवमी पर हुआ था। नवदुर्गा भी 9 दिन की होती है। ऐसे में लट्ठमार होली भी फाल्गुन मास की नवमी तिथि को मनाई जाती है और इस बार 18 तारीख को लट्ठमार होली मनाई जा रही है जिसका जोड़ 9 अंक होता है। कहते हैं द्वापर युग में भगवान कृष्ण के अलावा उनके आठ सखा थे और राधा रानी के अलावा उनकी आठ सखियां थीं। तुलसीदास ने रामचरितमानस में भी लिखा है कि राम नाम तो सत्य झूठ सकल संसार जैसे घटे न अंक नौ-नौ के लिखे पहाड़। धर्म ग्रंथों में लीला वर्णन में 9 के सम्मिलित होने पर ही नारायण भट्ट ने बरसाना की लट्ठमार होली फाल्गुन की नवमी तिथि पर मनाने का शुभारंभ किया था। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए बरसाना में कब शुरू होगी लट्ठमार होली, 9 नंबर से है इसका खास कनेक्शन – Know when lathmar holi will start in barsana, it has a special connection with number 9

जानिए बरसाना में कब शुरू होगी लट्ठमार होली, 9 नंबर से है इसका खास कनेक्शन – Know when lathmar holi will start in barsana, it has a special connection with number 9 Read More »

जानिए इस साल कब मनाई जाएगी चैत्र नवरात्रि और कब रखा जाएगा शारदीय नवरात्रि का व्रत - Know when chaitra navratri will be celebrated this year and when will the fast of shardiya navratri be observed

जानिए इस साल कब मनाई जाएगी चैत्र नवरात्रि और कब रखा जाएगा शारदीय नवरात्रि का व्रत – Know when chaitra navratri will be celebrated this year and when will the fast of shardiya navratri be observed

हिंदू धर्म में नवरात्रि का अत्यधिक महत्व होता है। नवरात्रि सालभर में चार तरह की मनाई जाती है, चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और दो बार गुप्त नवरात्रि। माना जाता है कि नवरात्रि पर व्रत रखने और पूजा करने पर मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। माना जाता है माता रानी की कृपा से घर-परिवार कष्टों से मुक्त रहता है। ऐसे में इस साल चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि की शुरूआत कब से हो रही है और किस तरह पूजा संपन्न की जा सकती है जानिए यहां। * साल 2024 में नवरात्रि कब है:  पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होती है। इस साल 9 अप्रैल, मंगलवार से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत हो रही है और इसका समापन 17 अप्रैल, बुधवार के दिन हो जाएगा। वहीं, शारदीय नवरात्रि की शुरूआत इस साल 3 अक्टूबर, गुरुवार के दिन होगी और शारदीय नवरात्रि 11 अक्टूबर, बुधवार के दिन खत्म होगी। * नवरात्रि पर कैसे करें माता का पूजन:  नवरात्रि की शुरूआत घटस्थापना के साथ होती है। घटस्थापना के दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। नवरात्रि की पूजा में कलश, मौली, रोली, गंगाजल, सिक्का, गेंहू या अक्षत, आम के पत्ते, मिट्टी के बर्तन, शुद्ध मिट्टी, कलावा, साफ कपड़ा, साफ जल और ज्वार आदि सामग्री एकत्र की जाती है। माता रानी के श्रृंगार के लिए लाल चुनरी, इत्र, सिंदूर, महावर, बिंदी, मेहंदी, काजल, बिछिया, माला और पायल आदि शामिल की जाती है। नवरात्रि की पूजा के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान किया जाता है और स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। अब मां दुर्गा के व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद चौकी सजाई जाती है और उसपर माता की प्रतिमा सजाई जाती है। कलश को हमेशा उत्तर दिशा में रखा जाता है या उत्तर-पूर्वी दिशा में स्थापित किया जाता है। कलश के मुंह पर अशोक के पत्ते लगाए जाते हैं और नारियल को चुनरी में लपेटकर उसपर कलावा बांधा जाता है। अम्बे मां के समक्ष दीया जलाकर पूजा की जाती है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए इस साल कब मनाई जाएगी चैत्र नवरात्रि और कब रखा जाएगा शारदीय नवरात्रि का व्रत – Know when chaitra navratri will be celebrated this year and when will the fast of shardiya navratri be observed

जानिए इस साल कब मनाई जाएगी चैत्र नवरात्रि और कब रखा जाएगा शारदीय नवरात्रि का व्रत – Know when chaitra navratri will be celebrated this year and when will the fast of shardiya navratri be observed Read More »