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जानिए मौनी अमावस्या पर किन चीजों का दान करना बेहद शुभ माना जाता है, घर में आती है खुशहाली - Know which things are considered very auspicious to donate on mauni amavasya, it brings happiness in the house

जानिए मौनी अमावस्या पर किन चीजों का दान करना बेहद शुभ माना जाता है, घर में आती है खुशहाली – Know which things are considered very auspicious to donate on mauni amavasya, it brings happiness in the house

हिंदू धर्म में अमावस्या के दिन को बेहद खास माना जाता है। अमावस्या के दिन पवित्र नदी का स्नान किया जाता है। इसके साथ ही, इस दिन दान की विशेष मान्यता होती है। माना जाता है कि अमावस्या के दिन स्नान-दान से पितृ दोष दूर होते हैं और घर-परिवार को पितरों का आशीर्वाद मिलता है। अमावस्या हर महीने पड़ती है और माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसे माघ अमावस्या भी कहते हैं। मौनी अमावस्या को लेकर कहा जाता है कि इस अमावस्या पर मौन रहना चाहिए। पंचांग के अनुसार, इस साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि 9 फरवरी को पड़ रही है।  * मौनी अमावस्या पर किन चीजों का करें दान:  – मौनी अमावस्या के दिन मान्यतानुसार चावल का दान करना बेहद शुभ होता है। चावल को अन्नस्वरूप जरूरतमंदों को दान किया जा सकता है। – इस दिन तिल का दान भी कर सकते हैं। सफेद तिल को दान करने पर माना जाता है कि भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। – अमावस्या पर दान स्वरूप आंवला भी दिया जा सकता है। आंवला को दान में देने से मान्यता है कि इस दान से घर की आर्थिक दिक्कतें दूर हो सकती हैं। – मौनी अमावस्या पर तेल को दान में दे सकते हैं। तेल का दान बेहद खास और फलादायी कहा जाता है। – धन हमेशा ही दान देने का एक अच्छा ऑप्शन है। आप किसी जरूरतमंद या गरीब को अपनी क्षमतानुसार कोई राशि दान में दे सकते हैं। *  इन बातों का रखें ध्यान:  – माना जाता है कि अमावस्या के दिन किसी तरह के तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। – अमावस्या तिथि पर झूठ बोलने से परहेज करने के लिए कहा जाता है। – माना जाता है कि इस दिन सुबह के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाए तो जीवन में खुशहाली और सुख-समृद्धि के द्वार खुलते हैं। – मौनी अमावस्या पर उपवास करना शुभ होता है। – अमावस्या पर देर तक सोने से परहेज के लिए कहा जाता है। – व्यक्ति को अपने मन और सोच-विचार से नकारात्मक चीजें दूर रखनी चाहिए। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए मौनी अमावस्या पर किन चीजों का दान करना बेहद शुभ माना जाता है, घर में आती है खुशहाली – Know which things are considered very auspicious to donate on mauni amavasya, it brings happiness in the house

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जानिए इस साल माघ महीने के किस दिन है नवरात्रि, कलश स्थापना और शुभ मुहूर्त के बारे में। Know on which day of magh month this year is navratri, about kalash installation and auspicious time

जानिए इस साल माघ महीने के किस दिन है नवरात्रि, कलश स्थापना और शुभ मुहूर्त के बारे में। Know on which day of magh month this year is navratri, about kalash installation and auspicious time

माघ के महीने में पड़ने वाली नवरात्रि को माघ नवरात्रि भी कहते हैं। सालभर में कुल 4 नवरात्रि पड़ती हैं जिनमें से 2 गुप्त नवरात्रि, एक शारदीय और एक चैत्र नवरात्रि होती है। गुप्त नवरात्रि का व्रत माघ और आषाढ़ के महीने में रखा जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार नवरात्रि का व्रत रखने पर कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस साल माघ के महीने में नवरात्रि कब से कब तक है, कलश स्थापना या घटस्थापना का शुभ मुहूर्त कब है और पूजा कैसे की जा सकती है जानिए यहां। * गुप्त नवरात्रि की तिथि:  पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरूआत होती है। इस साल 10 फरवरी, शनिवार से गुप्त नवरात्रि शुरू होने वाली है। गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी से शुरू होकर 18 फरवरी तक मनाई जाएगी। माघ प्रतिपदा तिथि की शुरूआत 10 फरवरी सुबह 8 बजकर 45 मिनट से होगी अगले दिन 11 फरवरी, रात 12 बजकर 47 मिनट तक समाप्त हो जाएगी। * कब होगी घटस्थापना:  नवरात्रि के दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 10 फरवरी सुबह 8 बजकर 34 मिनट से सुबह 9 बजकर 59 मिनट तक बताया जा रहा है। इस शुभ मुहूर्त में घटस्थापना या कलश स्थापना की जा सकती है। * नवरात्रि की पूजा कैसे करते हैं:  नवरात्रि के दिन सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। इसके बाद माता की चौकी सजाई जाती है और माता के समक्ष कलश स्थापना होती है। कलश स्थापना करके माता को चुनरी, श्रृंगार और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करते हैं। मां के मंत्रों का जाप होता है और दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है। मां की आरती करने के बाद उन्हें भोग लगाया जाता है और पूजा समाप्त होती है। व्रत रखने वाले भक्त इस दिन फलाहार और व्रती भोजन का सेवन करते हैं। दिनभर माता का ध्यान किया जाता है और उनके भजन गाए जाते हैं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए इस साल माघ महीने के किस दिन है नवरात्रि, कलश स्थापना और शुभ मुहूर्त के बारे में। Know on which day of magh month this year is navratri, about kalash installation and auspicious time

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जानिए माघ महीने में कब रखा जाएगा शिवरात्रि व्रत, पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में - Know when shivratri fast will be observed in the month of magh, about the auspicious time of worship

जानिए माघ महीने में कब रखा जाएगा शिवरात्रि व्रत, पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में – Know when shivratri fast will be observed in the month of magh, about the auspicious time of worship

सालभर में कुल 12 शिवरात्रि पड़ती हैं यानी हर महीने में एक मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। शिवरात्रि का व्रत पंचांग के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर रखा जाता है। माना जाता है कि फाल्गुन मास में शिवरात्रि पर ही माता पार्वती और भगवान शिव विवाह के बंधन में बंधे थे। मान्यतानुसार जो भक्त शिवरात्रि का व्रत रखते हैं उन्हें आरोग्य का वरदान मिलता है, जीवन से कष्ट दूर होते हैं और योग्य वर या जीवनसाथी की तलाश पूरी होती है। वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए भी शिवरात्रि का व्रत रखा जा सकता है। यहां जानिए माघ के महीने में किस दिन मासिक शिवरात्रि या माघ शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा और पूजा किस मुहूर्त में होगी। * माघ शिवरात्रि कब है:  पंचांग के अनुसार, माघ माह की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 8 फरवरी, गुरुवार की सुबह 11 बजकर 17 मिनट पर हो रहा है और इस तिथि का समापन अगले दिन 9 फरवरी, शुक्रवार की सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में निशिता मुहूर्त के चलते माघ शिवरात्रि का व्रत 8 फरवरी के दिन ही रखा जाएगा। शिवरात्रि की पूजा निशिता मुहूर्त में होगी। इस शिवरात्रि पर निशिता मुहूर्त देररात 12 बजकर 9 मिनट से 1 बजकर 1 मिनट तक है। इस समयावधि में शिवरात्रि की पूजा की जा सकती है। इस दिन ब्रह्म मूहूर्त सुबह 5 बजकर 21 मिनट से 6 बजकर 13 मिनट तक रहेगा, सिद्धी योग रात 11 बजकर 10 मिनट से बना रहेगा और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक होगा। ये मुहूर्त भी पूजा के लिए शुभ हैं। *  शिवरात्रि पूजा की विधि:  मासिक शिवरात्रि पर सुबह उठकर स्नान किया जाता है। इसके बाद भोलेनाथ के लिए व्रत का संकल्प लिया जाता है। स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। शिवरात्रि पर हरा और सफेद रंग पहनना भी बेहद शुभ होता है। पूजा में भोलेनाथ को फूल, चंदन, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दीप, धूप और शहद आदि अर्पित किए जाते हैं। शिव आरती की जाती है, मंत्रों का जाप किया जाता है और भोग लगाकर पूजा की समाप्ति होती है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए माघ महीने में कब रखा जाएगा शिवरात्रि व्रत, पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में – Know when shivratri fast will be observed in the month of magh, about the auspicious time of worship

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जानिए साल 2024 में चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि की तिथि के बारे में - Know about the dates of chaitra navratri, shardiya navratri and gupt navratri in the year 2024

जानिए साल 2024 में चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि की तिथि के बारे में – Know about the dates of chaitra navratri, shardiya navratri and gupt navratri in the year 2024

मां दुर्गा की अराधना के लिए हर वर्ष चार बार नवरात्रि मनाई जाती है।  इसमें दो बार धूमधाम से और दो बार गुप्त रूप से आदिशक्ति की पूजा होती है। इसमें चैत्र और अश्विन माह की शारदीय नवरात्रि को प्रत्यक्ष नवरात्र माना जाता है, जबकि माघ और आषाढ़ महीने में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं।  आइए जानते हैं साल 2024 में चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि की तिथि  * नवरात्रि 2024 डेट:  – माघ में गुप्त नवरात्रि- 10 फरवरी से 18 फरवरी – चैत्र में नवरात्रि- 9 अप्रैल से 17 अप्रैल – आषाढ़ में गुप्त नवरात्रि-6 जुलाई से 15 जुलाई – आश्विन में नवरात्रि-3 अक्टूबर से 9 अक्टूबर * चैत्र नवरात्रि 2024 घटस्थापना मुहूर्त:  पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल रात 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और 9 अप्रैल रात 08 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी। कलश स्थापना का मुहूर्त सुबह 06.01 से 10.15 यानी 4 घंटे 14 मिनट तक है।  * शारदीय नवरात्रि 2024 घटस्थापना मुहूर्त: पंचांग के अनुसार शारदीय माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 3 प्रात: 12 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 4 अक्टूबर प्रात: 02 बजकर 58 मिनट तक रहेगी।  कलश स्थापना का मुहूर्त सुबह 06.15 से 07.21 यानी 1 घंटे 6 मिनट तक रहेगा।  * चैत्र और शारदीय नवरात्रि महत्व:  चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।  इस उत्सव के नौवें दिन को भगवान राम के जन्मदिन के रूप में रामनवमी मनाई जाती है। चैत्र नवरात्र के पहले दिन आदिशक्ति प्रकट हुई थी और उनके कहने पर ब्रह्मा जी को सृष्टि निर्माण का शुरु किया था। अश्विन माह में शारदीय नवरात्रि आदिशक्ति मां दुर्गा यानी ‘महिषासुरमर्दिनी’ को समर्पित है।  घर-घर घटस्थापना कर देवी दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना की जाती है, अखंड ज्योत जलती है।  * गुप्त नवरात्रि का महत्व:  गुप्त नवरात्रि में माता की गुप्त रूप से पूजा की जाती हो।  यह खासतौर पर तंत्र साधनाओं का महत्व होता है।  तंत्र मंत्र की साधना करने वाले 10 महाविद्याओं की पूजा कर सिद्धियों की प्राप्ति करते हैं।  गृहस्थ इस दौरान सामान्य रूप से मां दुर्गा की पूजा करते हैं।  * नवरात्रि 2024 माता का वाहन:  – चैत्र नवरात्रि में माता की सवारी घोड़ा होगा – शारदीय नवरात्रि में माता डोली में पधारेंगी (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए साल 2024 में चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि की तिथि के बारे में – Know about the dates of chaitra navratri, shardiya navratri and gupt navratri in the year 2024

जानिए साल 2024 में चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि की तिथि के बारे में – Know about the dates of chaitra navratri, shardiya navratri and gupt navratri in the year 2024 Read More »

साल की पहली पूर्णिमा के दिन करें ये काम, मां लक्ष्मी की कृपा बरसेगी - Do this work on the first full moon day of the year, you will be blessed by goddess lakshmi

साल की पहली पूर्णिमा के दिन करें ये काम, मां लक्ष्मी की कृपा बरसेगी – Do this work on the first full moon day of the year, you will be blessed by goddess lakshmi

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का खास महत्व होता है। साल 2024 की बात करें तो पहली पूर्णिमा इस दिन को मनाई जाएगी। इसे पौष पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें की पौष पूर्णिमा के बाद माघ महीने की शुरुआत हो जाएगी। इस साल पौष पूर्णिमा और भी खास होगी क्योंकि इस दिन अमृत सिद्धियोग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और पुष्य योग का निर्माण होने जा रहा है। तो चलिए आपको बताते हैं कि साल की पहली पूर्णिमा कब पड़ रही है और इस दिन कैसे पूजा करने से फल मिलता है।  * पूर्णिमा के दिन करें ये काम, मां लक्ष्मी होंगी प्रसन्न:  – ज्योतिषाचार्यों की मानें तो साल की पहली पूर्णिमा पर कुछ खास उपाय करने से धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और घर में कभी भी धन का अकाल नहीं पड़ता। – पौष पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करने के बाद तुलसी और सूर्य को जल अर्पित करें। शाम को तुलसी के पास दीया जलाएं। ऐसा करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। – 25 जनवरी साल की पहली पूर्णिमा है। इस दिन मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें। इस दिन पीली कौड़िया चढ़ाने और अगले दिन सुबह उन कौड़ियों को अपने धन के स्थान पर रखने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है। – साल के पहली पूर्णिमा पर पितरों के निमित्त जरूरतमंद और करीब लोगों को भोजन कराना चाहिए। इस दिन धन, अनाज, कपड़े, जूते, चप्पल आदि दान करने चाहिए। – पौष पूर्णिमा की रात चंद्रमा को अर्घ्य देने का खास महत्व होता है। इसके लिए रात में एक लोटे में दूध, शक्कर, जल और सफेद फूल से अर्घ्य देना चाहिए। – पौष पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी और श्री लक्ष्मी नारायण भगवान को खीर का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इसके बाद मां लक्ष्मी के मंत्र का जाप करें। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   साल की पहली पूर्णिमा के दिन करें ये काम, मां लक्ष्मी की कृपा बरसेगी – Do this work on the first full moon day of the year, you will be blessed by goddess lakshmi

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जानिए इन राम भजनों के बारे में जो भक्तों के मन में बसे हुए हैं। Know about these ram bhajans which are stuck in the minds of the devotees

जानिए इन राम भजनों के बारे में जो भक्तों के मन में बसे हुए हैं। Know about these ram bhajans which are stuck in the minds of the devotees

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कल विधि-विधान से संपन्न हुई। इस कार्यक्रम की चर्चा देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक में हो रही है। देश भर में राम नाम के जाप से लेकर भजनों के कार्यक्रम आयोजित किए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर जुबिन नौटियाल का राम भजन- “मेरे घर राम आए हैं” शेयर किया है। फिल्मों और सीरियलों के कई राम भजन काफी लोकप्रिय हुए हैं, जो आज भी कई लोगों की जुबां पर चढ़े हुए हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे भजन जिन्हें सुनते ही लोग राममय हो जाते हैं। * सीरियल के राम भजन:  रामायण पर अब तक पचास से भी ज्यादा फिल्में और बीस से ज्यादा सीरियल बन चुके हैं। 1987 में आई रामानंद सागर की रामायण सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुई और इसके भजन- ‘सीता राम दरस रस बरसे जैसे सावन की झड़ी’ और ‘दर्शन दो भगवान’ को सुनकर लोग राम की भक्ति में लीन हो जाते हैं। इन भजनों को रविंद्र जैन और येशु दास ने अपने साथियों के साथ गाया था। * फिल्मों के राम भजन:  पिछले साल आई फिल्म आदिपुरुष भले सफल नहीं रही लेकिन इस फिल्म के राम भजन काफी पसंद किए गए। फिल्म में सचेत टंडन, अजय अतुल और परंपरा ठाकुर के गाए ‘जय श्री राम’ और ‘राम सिया राम’ भजन लोगों को काफी अच्छे लगते हैं। * ओ दुनिया के रखवाले:  1952 में आई फिल्म बैजू बावरा में मोहम्मद रफी का गाया ‘ओ दुनिया के रखवाले’, 1968 में नील आशा भोंसले के स्वर में ‘ओ मेरे रोम रोम में बसने वाले राम’, 1976 में लता मंगेशकर का गाया हे राम तेरे राज में ..,ऐसे भजन हैं जिन्हें लोग आज भी चाव से सुनते हैं।   जानिए इन राम भजनों के बारे में जो भक्तों के मन में बसे हुए हैं। Know about these ram bhajans which are stuck in the minds of the devotees

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राजेश्वरी धाम वैष्णो मंदिर में श्री राम मंदिर प्राण पतिष्ठा के सम्बंद में किया गया कार्यक्रम – प्रधान कैलाश बब्बर

राजेश्वरी धाम वैष्णो मंदिर में श्री राम मंदिर प्राण पतिष्ठा के सम्बंद में किया गया कार्यक्रम – प्रधान कैलाश बब्बर राजेश्वरी धाम देवी राज रानी वैष्णो मंदिर में श्री राम के भजनो का गुणगान किया गया जिसमे गायक हर्ष सिकंदर और कमल एंड पार्टी द्वारा श्री राम के भजनो का गुणगान किया गया जिसमे पहले कमल एंड पार्टी और बाद हर्ष सिकंदर द्वारा भजनो का गुणगान किया गया जय श्री राम के भजनो के साथ मंदिर गूंजने लगा लोगो ने नाच कर झूम कर ख़ुशी मनाई तत्पश्चात सभी भगतो ने माँ देवी राज रानी जी का आशीर्वाद प्रापत किया भजन गायको को माँ की चुनरी देकर सन्मानित किया गया प्रधान कैलाश बब्बर ने बताया की श्री राम जी के अयोध्या में मंदिर निर्माण से सारे देश में दीपावली का उत्सव मनाया जा रहा है लोग हर घर में दीपमाला कर रहे है जैसे 14 साल का बनवास काट कर श्री राम जी अयोध्या वापिस लोटे थे और लोगो ने दीपमाला की थी उसी प्रकार श्री राम मंदिर के निर्माण से पुरे देश में दीपमाला और पटाखे चला कर खुश मनाई जा रही है जगह जगह पर लंगर लगाए जा रहे है सारा शहर लाइट से जगमगा रहा है बब्बर ने अपनी और माँ देवी राज रानी जी की और से सभी देश वासियो को मंदिर निर्माण पर शुभकामनाये दी

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जानिए पौष माह में किस दिन से शाकंभरी नवरात्रि शुरू हो रही है। Know from which day in the month of paush shakambhari navratri is starting

जानिए पौष माह में किस दिन से शाकंभरी नवरात्रि शुरू हो रही है। Know from which day in the month of paush shakambhari navratri is starting

पौराणिक कथाओं के अनुसार, आदिशक्ति दुर्गा के कई अवतारों में से एक हैं देवी शांकभरी। मां दुर्गा के इस रूप की पूजा शाकंभरी नवरात्रि में होती है। माना जाता है कि दुर्गा सप्तशती के मूर्ति रहस्य में मां शाकंभरी का वर्ण नील कहा गया है। मां के नेत्र नील कमल की तरह हैं और वे कमल के पुष्प पर विराजित होती हैं। मां की एक मुट्ठी में कमल का पुष्प है तो दूसरी मुट्ठी में बाण कहे जाते हैं।  * शाकंभरी नवरात्रि की पूजा:  पंचांग के अनुसार, शाकंभरी नवरात्रि पौष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन तक रहती है। इस साल अष्टमी तिथी का प्रारंभ 17 जनवरी दोपहर 1 बजकर 36 मिनट से शुरू हो चुकी है। शाकंभरी नवरात्रि में सुबह स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। इसके बाद पूजा सामग्री एकत्र की जाती है। पूजा सामग्री में मिश्री, मेवा, पूरी, हलवा और शाक सब्जियां आदि शामिल किए जाते हैं। माता की प्रतिमा को चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखा जाता है। इसके बाद माता पर गंगाजल छिड़ककर पूजा की जाती है। पूजा के बाद आरती होती और माता के मंत्रों के जाप किया जाता है। शाकंभरी नवरात्रि के दिनों में रोजाना एक माला का जार करना बेहद शुभ कहा जाता है। भक्त इन दिनों में माता का ध्यान करते हैं। * शाकंभरी माता की आरती:  जय जय शाकंभरी माता ब्रह्मा विष्णु शिव दाता हम सब उतारे तेरी आरती री मैया हम सब उतारे तेरी आरती संकट मोचनी जय शाकंभरी तेरा नाम सुना है री मैया राजा ऋषियों पर जाता मेधा ऋषि भजे सुमाता हम सब उतारे तेरी आरती मांग सिंदूर विराजत मैया टीका सूब सजे है सुंदर रूप भवन में लागे घंटा खूब बजे है री मैया जहां भूमंडल जाता जय जय शाकम्भरी माता हम सब उतारे तेरी आरती क्रोधित होकर चली मात जब शुंभ- निशुंभ को मारा महिषासुर की बांह पकड़ कर धरती पर दे मारा री मैया मारकंडे विजय बताता पुष्पा ब्रह्मा बरसाता हम सब उतारे तेरी आरती चौसठ योगिनी मंगल गाने भैरव नाच दिखावे। भीमा भ्रामरी और शताक्षी तांडव नाच सिखावें री मैया रत्नों का हार मंगाता दुर्गे तेरी भेंट चढ़ाता हम सब उतारे तेरी आरती कोई भक्त कहीं ब्रह्माणी कोई कहे रुद्राणी तीन लोक से सुना री मैया कहते कमला रानी री मैया दुर्गे में आज मानता तेरा ही पुत्र कहाता हम सब उतारे तेरी आरती सुंदर चोले भक्त पहनावे गले मे सोरण माला शाकंभरी कोई दुर्गे कहता कोई कहता ज्वाला री मैया मां से बच्चे का नाता ना ही कपूत निभाता हम सब उतारे तेरी आरती पांच कोस की खोल तुम्हारी शिवालिक की घाटी बसी सहारनपुर मे मैय्या धन्य कर दी माटी री मैय्या जंगल मे मंगल करती सबके भंडारे भरती हम सब उतारे तेरी आरती शाकंभरी मैया की आरती जो भी प्रेम से गावें सुख संतति मिलती उसको नाना फल भी पावे री मैया जो जो तेरी सेवा करता लक्ष्मी से पूरा भरता हम सब उतारे तेरी आरती || (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए पौष माह में किस दिन से शाकंभरी नवरात्रि शुरू हो रही है। Know from which day in the month of paush shakambhari navratri is starting

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जानिए जनवरी माह के दूसरे प्रदोष व्रत की तारीख और पूजा विधि के बारे में - Know about the date and method of worship of the second pradosh fast in the month of january

जानिए जनवरी माह के दूसरे प्रदोष व्रत की तारीख और पूजा विधि के बारे में – Know about the date and method of worship of the second pradosh fast in the month of january

हर महीने दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं। प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। माना जाता है कि जो भक्त मान्यतानुसार प्रदोष व्रत के दिन महादेव के लिए उपवास रखते हैं और प्रदोष व्रत की पूजा करते हैं उनपर भोलेनाथ की विशेष कृपादृष्टि पड़ती है। कहते हैं प्रदोष व्रत से आरोग्य का वरदान मिलता है और घर में खुशहाली आती है। इस माह का पहला प्रदोष व्रत बीती 9 जनवरी के दिन रखा गया था। अगला प्रदोष व्रत पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाएगा।  * प्रदोष व्रत कब है:  पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 23 जनवरी, मंगलवार के दिन रखा जाएगा। मंगलवार के दिन पड़ने के चलते इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। भौम प्रदोष व्रत की खास मान्यता है और कहते हैं इस व्रत को रखने पर कर्जमुक्ति मिलती है। पौष माह के प्रदोष के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरूआत 22 जनवरी, सोमवार की शाम 7 बजकर 51 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन अगले साल 23 जनवरी, मंगलवार को रात 8 बजकर 39 मिनट पर हो जाएगी। ऐसे में प्रदोष व्रत की पूजा रात के समय प्रदोष काल में होती है। प्रदोष काल का समय सूर्यास्त रात्रि में होता है। शाम 5 बजकर 52 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक प्रदोष काल है। इस शुभ मुहूर्त में शिव पूजा की जा सकेगी। * प्रदोष व्रत में शिव पूजा:  भौम प्रदोष व्रत के दिन स्नान करने के बाद सफेद या नारंगी कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। इसके बाद बेलपत्र के पेड़ पर जल चढ़ाना शुभ माना जाता है या बेलपत्र को पूजा में शामिल किया जाता है। दिनभर शिव स्मरण किया जाता है और शिव भजन आदि सुने जाते हैं। सुबह के समय शिव मंदिर भी जाया जा सकता है। रात के समय शिव पूजा होती है और पूजा में केसर वाले दूध से शिवलिंग का अभिषेक कर सकते हैं। पूजा सामग्री में भांग, भस्म, बेलपत्र आदि शामिल किए जाते हैं और भोग में सफेद मिठाई या खीर अर्पित की जाती है। आरती के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है। मंगलवार के दिन पड़ने के चलते इस दिन बजरंगबली की पूजा भी कर सकते हैं। इससे मंगल दोष भी दूर होता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए जनवरी माह के दूसरे प्रदोष व्रत की तारीख और पूजा विधि के बारे में – Know about the date and method of worship of the second pradosh fast in the month of january

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जानिए मकर संक्रांति क्यों है इतनी खास, इस त्योहार से जुड़ी 4 रोचक बातें - Know why makar sankranti is so special, 4 interesting things related to this festival

जानिए मकर संक्रांति क्यों है इतनी खास, इस त्योहार से जुड़ी 4 रोचक बातें – Know why makar sankranti is so special, 4 interesting things related to this festival

मकर संक्रांति का पर्व हिन्दू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है। यह पर्व सूर्य देव के धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करने के अवसर पर मनाया जाता है। वैसे तो साल में 12 संक्रांति होती हैं, लेकिन मकर संक्रांति का खास महत्व होता है। इसी दिन से ग्रहों के देवता सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। इसके अलावा इस महत्वपूर्ण पर्व से जुड़ी 4 रोचक बाते हैं, जिसके बारे में आपको आगे आर्टिकल में बताने वाले हैं। इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी दिन सोमवार को मनाई जाएगी। क्योंकि ग्रहों के राजा सूर्य 14 जनवरी 2024 को अर्धरात्रि में 2 बजकर 42 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे। ऐसे में उदयातिथि 15 को पड़ रही है इसलिए संक्रांति इस बार 15 तारीख को मनाई जाएगी। वहीं, इस दिन से खरमास भी समाप्त हो जाएगा। इस दिन से सारे शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे, जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि। # मकर संक्रांति की कहानी: ऐसी मान्यता है कि इस दिन ही गंगा जी भगीरथ से निकलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। वहीं, इस दिन यशोदा ने कृष्ण को प्राप्त करने के लिए उपवास किया था। इसलिए इस दिन लोग गंगासागर में स्नान और दान पुण्य भी करते हैं। # मकर संक्रांति के दिन किसकी पूजा होती है:  आपको बता दें कि इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्वर्ग का दरवाजा खुल जाता । (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए मकर संक्रांति क्यों है इतनी खास, इस त्योहार से जुड़ी 4 रोचक बातें – Know why makar sankranti is so special, 4 interesting things related to this festival

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