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जानिए मंदिर में क्यों लगाया जाता है पर्दा - Know why curtain is put in the temple

जानिए मंदिर में क्यों लगाया जाता है पर्दा – Know why curtain is put in the temple

घरका पूजा घर हो या फिर मंदिर, भगवान की पूजा के खास नियम होते हैं। पूजा का एक समय तय होता है जिस दौरान विधि विधान से देवी देवताओं की आराधना की जाती है। इसके साथ ही अक्सर आपने देखा होगा की पूजा के बाद एक वक्त ऐसा भी होता है जब मंदिर में पर्दा लगा दिया जाता है। मंदिर में रोज सुबह और शाम की पूजा के बाद पट बंद कर दिए जाते हैं और रात के वक्त पर्दा डाल दिया जाता है। अक्सर लोग इस बात को लेकर संशय में रहते हैं कि रात के वक्त मंदिर में पर्दा क्यों डाल दिया जाता है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि रात के वक्त मंदिर में पर्दा क्यों डाला जाता है। * मंदिर में पर्दा डालना क्यों है जरूरी शास्त्रों में कहा गया है कि जिस तरह धरती पर सुबह शाम और रात होती है, उसी प्रकार भगवान पहर के अनुसार दिन में भ्रमण और रात में विश्राम करते हैं। चूंकि रात का वक्त भगवान के विश्राम का होता है, इसलिए मंदिर और पूजा घर में रात को वक्त पर्दा डाल दिया जाता है। रात के वक्त भगवान के विश्राम में बाधा ना पड़े, इसलिए या तो मूर्तियों को ढक दिया जाता है या फिर उनके द्वार पर पर्दा डाल दिया जाता है। रात के वक्त आप मंदिर की तेज जलने वाली लाइट्स बंद कर सकते हैं। आप चाहें तो एक बिलकुल मद्यम रोशनी वाली लाइट जलने दें और मंदिर का पर्दा डाल दें। * मंदिर का पर्दा खोलने के नियम मंदिर का पर्दा रात भर पड़ा रहने के बाद सुबह उठकर खोला जाता है लेकिन इसके भी कुछ नियम हैं। सुबह घर के सदस्यों को स्नान आदि करने के बाद शुद्ध होकर ही मंदिर का पर्दा उठाना चाहिए। मंदिर का पर्दा उठाकर भगवान को स्नान आदि करवा कर पूजा करनी चाहिए। आपको बता दें कि मंदिर के पर्दे बहुत ज्यादा गहरे रंग के नहीं होने चाहिए। आपके मंदिर का पर्दा, हल्का पीला, क्रीम रंग का, गुलाबी या हल्का लाल रंग का होना चाहिए। नीला, काला, बैंगनी रंग का पर्दा मंदिर के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए मंदिर में क्यों लगाया जाता है पर्दा – Know why curtain is put in the temple

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सर्दी के मौसम में लड्डू गोपाल को चढ़ाएं ये 6 लड्डू, परेशानियां दूर होंगी और धन-समृद्धि की होगी प्राप्ति - Offer these 6 laddu to laddu gopal in the winter season, problems will go away and you will get wealth and prosperity

सर्दी के मौसम में लड्डू गोपाल को चढ़ाएं ये 6 लड्डू, परेशानियां दूर होंगी और धन-समृद्धि की होगी प्राप्ति – Offer these 6 laddu to laddu gopal in the winter season, problems will go away and you will get wealth and prosperity

माना जाता है कि घर में अगर आप लड्डू गोपाल को रखें और उनकी सही तरीके से देखभाल करें तो घर में वैभव आता है और परेशानियां दूर रहती हैं। यही नहीं, सुख और शांति का वास भी घर में बना रहता है। यह भी माना जाता है कि मौसम के हिसाब से ही लड्डू गोपाल को भोग भी चढ़ाना चाहिए। पंडितों का माना है कि उनके नहलाने धुलाने और खानपान की व्यवस्था भी मौसम के अनुरूप ही करना चाहिए। तो आइए जानते हैं कि आखिर विंटर में लड्डू गोपाल को आप क्‍या भोग चढ़ा सकते हैं। # लड्डू गोपाल को विंटर में खिलाएं ये भोग:  * गर्म दूध दें पंडितों का मानना है कि विंटर के मौसम में लड्डू गोपाल को ठंडा नहीं, गुनगुना दूध पिलाना चाहिए। बेहतर होगा कि आप दूध में केसर और हल्‍दी मिलाकर उन्‍हें पिलाएं। ऐसा करने से वे खुश होते हैं। * गोंद का लड्डू अगर आप विंटर में लड्डू गोपाल को एक समय के भोग के रूप में गोंद का लड्डू खिलाएं तो इसका शुभ परिणाम मिलता है। इससे गोपाल को ठंड नहीं लगती है। * पीले लड्डू का भोग भगवान विष्णु के हर अवतार को पीली चीजें पसंद होती हैं। इसके लिए आप लड्डू गोपाल को किसी भी तरह का पीले रंग का लड्डू भोग में चढ़ा सकते हैं। * साग का भोग विंटर में साग बाजार में काफी मिलता है और यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभकारी है। लड्डू गोपाल को आप साग का भोग चढ़ाएं तो इससे बुध ग्रह दोष शांत होगा और गोपाल की सेहत भी अच्‍छी रहेगी। * पंजीरी का भोग अगर आप सर्दी के मौसम में लड्डू गोपाल को पंजीरी के लड्डू का भोग लगाएं तो इससे घर की सारी परेशानियां दूर होंगी और घर में खुशहाली आएगी। * पपीते का भोग ठंड के मौसम में लड्डू गोपाल को पपीते का भोग जरूर लगाना चाहिए। यह सेहत के लिए अच्‍छा होता है और बाल गोपाल प्रसन्न भी होते हैं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   सर्दी के मौसम में लड्डू गोपाल को चढ़ाएं ये 6 लड्डू, परेशानियां दूर होंगी और धन-समृद्धि की होगी प्राप्ति – Offer these 6 laddu to laddu gopal in the winter season, problems will go away and you will get wealth and prosperity

सर्दी के मौसम में लड्डू गोपाल को चढ़ाएं ये 6 लड्डू, परेशानियां दूर होंगी और धन-समृद्धि की होगी प्राप्ति – Offer these 6 laddu to laddu gopal in the winter season, problems will go away and you will get wealth and prosperity Read More »

जानिए शिवलिंग की पूजा करते समय दिशाओं के महत्व के बारे में - Know about the importance of directions while worshiping shivling

जानिए शिवलिंग की पूजा करते समय दिशाओं के महत्व के बारे में – Know about the importance of directions while worshiping shivling

भगवान शिव को ब्रह्मांड में अजर और अमर कहा गया है। भगवान शिव के साथ-साथ शिवलिंग की भी सदियों से पूजा होती आ रही है। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए जलाभिषेक करना चाहिए। शिवलिंग की पूजा से महादेव बहुत जल्दी प्रसन्न होकर जातक को मनचाहा फल देते हैं। ऐसे में अगर आप भी शिवलिंग की नियमित पूजा करते हैं तो आपको शिवलिंग की पूजा के सही विधि-विधान पता होने चाहिए। आपको बता दें कि शिवलिंग की पूजा करते समय दिशाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है। चलिए जानते हैं कि शिवलिंग की पूजा करते समय दिशाओं का क्या महत्व है। शिवलिंग की पूजा करते समय कैसे रखें दिशाओं का ध्यान – ज्योतिष में कहा गया है कि शिवलिंग की पूजा करते समय गलत दिशा में खड़े होना या गलत दिशा में शिवलिंग पर जल गिरना अशुभ माना जाता है। इसिलए शास्त्रों में शिवलिंग की पूजा के लिए कुछ खास दिशाओं की बात कही गई है। जब जातक को शिवलिंग पर जल अर्पित करना हो तो उसे दक्षिण दिशा में खड़े होकर ही शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय जातक का मुख पूर्व, उत्तर या पश्चिम दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए। उसका मुख दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए। शिवलिंग पर जल इस तरह अर्पित करें कि जल उत्तर दिशा की ओर शिवलिंग पर गिरे। शास्त्रों में कहा गया है कि कभी जातक को खड़े होकर शिवलिंग पर जलाभिषेक नहीं करना चाहिए। अगर आप खड़े हैं तो झुककर या बैठकर ही जलाभिषेक करना चाहिए। किस पात्र से अर्पित करें शिवलिंग को जल – ज्योतिष में कहा गया है कि शिवलिंग को जल अर्पित करने के लिए कभी भी लोहे, प्लास्टिक या स्टील के पात्र का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अशुभ होता है। शिवलिंग को जलाभिषेक करने के लिए सदैव तांबे, पीतल या चांदी के पात्र का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे भगवान महादेव प्रसन्न होते हैं औऱ जातक को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए शिवलिंग की पूजा करते समय दिशाओं के महत्व के बारे में – Know about the importance of directions while worshiping shivling

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मकर सक्रांति के दिन करें ये शुभ काम, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा - Do this auspicious work on the day of makar sankranti, you will be blessed by goddess lakshmi

मकर सक्रांति के दिन करें ये शुभ काम, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा – Do this auspicious work on the day of makar sankranti, you will be blessed by goddess lakshmi

भगवान सूर्य की उपासना का पर्व कहा जाने वाला मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी को पड़ रहा हैं। मकर संक्रांति इसलिए महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इस दिन सूर्य मकर राशि से होकर उत्तरायण हो जाते हैं। सूर्य के उत्तरायण होते ही देवी देवताओं के दिन आरंभ हो जाते हैं और शुभ कामकाज में तेजी आ जाती है। इस दिन गंगा स्नान का काफी महत्व है और खिचड़ी और तिल दान की परंपरा चली आ रही है। ज्योतिष में कहा गया है कि मकर संक्रांति के दिन किए गए काम, पूजा पाठ और दान का जीवन पर बहुत असर पड़ता है और घर परिवार में सुख शांति और समृद्धि के साथ साथ अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं कि मकर संक्रांति पर कौन कौन से शुभ काम करने की सलाह दी गई है। * मकर संक्रांति पर करें ये काम, घर में सुख शांति और समृद्धि का होगा वास:  – मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करना चाहिए। कहते हैं कि इसी दिन गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। इसलिए मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करते समय या गंगाजल में काले तिल डालकर स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है। – मकर संक्रांति के दिन गाय को हरा चारा खिलाने का काफी महत्व बताया गया है। इससे सौभाग्य में वृद्धि होने की बात कही जाती है। – मकर संक्रांति के दिन गाय के घी में सफेद तिल मिलाकर मां लक्ष्मी का हवन करना चाहिए। इससे घर में मां लक्ष्मी हमेशा के लिए वास करती हैं। – मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाना चाहिए। तमिल रामायण में कहा गया है कि मकर संक्रांति के दिन भगवान श्री राम ने पतंग उड़ाई थी। – मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ का सेवन करना चाहिए और इन चीजों का दान भी करना चाहिए। – मकर संक्रांति पर काले और सफेद तिल के साथ साथ ,गुड़ दान करना चाहिए। ऐसा करने पर दरिद्रता का नाश होता है और समृद्धि आती है। – मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खानी चाहिए। दाल चावल, सब्जियों और घी से बनी खिचड़ी खाने और खिचड़ी की दान को काफी महत्व दिया गया है। – मकर संक्रांति पर तिल से पितरों को दान करना चाहिए। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं। – मकर संक्रांति के दिन नए अनाज की पूजा के साथ साथ मवेशियों और खेती के उपकरणों की भी पूजा करनी चाहिए। इससे खेती में बढ़ावा मिलता है। – मकर संक्रांति के दिन आप नया काम शुरू कर सकते हैं। नया काम, घर, बिजनेस, नई गाड़ी या अन्य तरह के शुभ कामकाज के लिए ये दिन सर्वथा उपयुक्त माना गया है। – मकर संक्रांति के दिन सूर्य़ की उपासना के साथ साथ शनिदेव की भी पूजा करनी चाहिए। इस दिन पिता सूर्य और पुत्र शनि का मिलन होता है। दोनों ही कष्ट हरते हैं और शुभ मंगल करते हैं। – मकर संक्रांति के दिन झाड़ू खरीदनी चाहिए। ऐसा करने पर जातक के परिवार पर मां लक्ष्मी की खास कृपा बरसती है। – मकर संक्रांति के दिन इस मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए – ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा –  मकर संक्रांति के दिन तिल के तेल का दीपक जलाकर सायंकाल के समय मुख्य द्वार पर रख दें। ऐसा करना पर मां लक्ष्मी खुद ही घर में आती हैं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   मकर सक्रांति के दिन करें ये शुभ काम, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा – Do this auspicious work on the day of makar sankranti, you will be blessed by goddess lakshmi

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जानिए जनवरी में किस दिन रखा जाएगा पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत - Know on which day in january the fast of pausha putrada ekadashi will be observed

जानिए जनवरी में किस दिन रखा जाएगा पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत – Know on which day in january the fast of pausha putrada ekadashi will be observed

पौष के महीने में मान्यतानुसार एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह महीना पौष का चल रहा है। पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहते हैं। एकादशी की तिथि भगवाव विष्णु की पूजा के लिए शुभ मानी जाती है। इस एकादशी पर मान्यतानुसार संतान के लिए व्रत रखा जाता है और कहा जाता है कि एकादशी का व्रत करने पर जातक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जानिए जनवरी में किस दिन रखा जाएगा पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत और किस तरह की जा सकती है भगवान विष्णु की पूजा। * पौष पुत्रदा एकादशी की तिथि और पूजा:  पंचांग के अनुसार, एकादशी की तिथि का प्रारंभ 20 जनवरी को शाम 7:26 से हो रहा है और एकादशी तिथि का समापन अगले दिन 21 जनवरी शाम 7:26 पर हो जाएगा। इस चलते एकादशी का व्रत 21 जनवरी, रविवार के दिन रखा जाएगा। एकादशी के व्रत का पारण 22 जनवरी सुबह 7:14 से 9:21 के बीच किया जा सकता है। एकादशी की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है। स्नान के पश्चात घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित किया जाता है। भक्त भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लेते हैं। भगवान विष्णु की पूजा और आरती की जाती है और उनके समक्ष तुलसी दल अर्पित करते हैं। श्रीहरि को इस दिन सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। इस दिन खासतौर से इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता है कि तुलसी को एकादशी के दिन नहीं बल्कि एक दिन पहले ही तोड़कर रखना चाहिए। एकादशी के दिन तुलसी तोड़ना वर्जित माना जाता है। इस दिन भगवाव विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। एकादशी के व्रत में पूजा सामग्री में पुष्प, नारियल, धूप, दीप, घी, पंचामृत, लौंग, फल, अक्षत, तुलसी दल, चंदन, मिष्ठान और सुपारी शामिल करने शुभ होते हैं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए जनवरी में किस दिन रखा जाएगा पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत – Know on which day in january the fast of pausha putrada ekadashi will be observed

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जानिए मंदिर की सफाई करते समय इन नियमों के बारे में, इस दिन पूजा घर की सफाई करने से कई फायदे - Know about these rules while cleaning the temple, there are many benefits of cleaning the puja room on this day

जानिए मंदिर की सफाई करते समय इन नियमों के बारे में, इस दिन पूजा घर की सफाई करने से कई फायदे – Know about these rules while cleaning the temple, there are many benefits of cleaning the puja room on this day

कहते हैं जिस जगह पर भगवान विराजमान रहते हैं, वहां हमेशा साफ-सफाई रखनी चाहिए। न केवल बाहर के मंदिरों में बल्कि घर के पूजा ग्रह में भी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि देवी-देवताओं को सफाई बहुत प्रिय होती है। लेकिन अक्सर लोगों का सवाल रहता है कि हमें मंदिर की सफाई कैसे करनी चाहिए और कब करनी चाहिए? तो चलिए आज हम आपको बताते हैं मंदिर की सफाई करने का दिन और नियम। * इस दिन करें मंदिर की सफाई:  वैसे तो घर में स्थित पूजा ग्रह या मंदिरों की सफाई हर रोज करनी चाहिए, लेकिन अगर आप मंदिर की डीप क्लीनिंग करना चाहते हैं तो इसके लिए शनिवार का दिन अच्छा रहता है। कहते हैं इस दिन अगर मंदिर की साफ सफाई की जाए तो घर से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं शनिवार को मंदिर की पूजा करने के दौरान अगर आप पूरे घर में और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करते हैं, तो इससे घर शुद्ध होता है और पॉजिटिव एनर्जी भी आती है। * मंदिर की सफाई से मिलेगा आर्थिक लाभ: शनिवार के दिन अगर मंदिर की सफाई की जाए और पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव किया जाए, तो उससे आर्थिक लाभ भी मिलता है और नौकरी और बिजनेस में तरक्की होती है। * इस दिन भूलकर भी ना करें मंदिर की सफाई: अब बात आती है कि मंदिर की सफाई, हमें किस दिन नहीं करनी चाहिए, तो मान्यताओं के अनुसार गुरुवार और एकादशी के दिन कभी भी मंदिर की सफाई नहीं करनी चाहिए। कहते हैं इससे मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं, ऐसे में मंदिर की सफाई के लिए आप शनिवार का दिन चुनें। इसके अलावा घर में विराजमान मूर्तियों की सफाई के लिए आप एक साफ कपड़े का इस्तेमाल करें या गंगाजल और शुद्ध पानी से उन्हें स्नान करवाएं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए मंदिर की सफाई करते समय इन नियमों के बारे में, इस दिन पूजा घर की सफाई करने से कई फायदे – Know about these rules while cleaning the temple, there are many benefits of cleaning the puja room on this day

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अगर आप भी पीपल के पेड़ पर दीपक जलाते हैं तो सही समय और विधि के बारे में जान लें - If you also light a lamp on the peepal tree, then know about the right time and method

अगर आप भी पीपल के पेड़ पर दीपक जलाते हैं तो सही समय और विधि के बारे में जान लें – If you also light a lamp on the peepal tree, then know about the right time and method

पूजा पाठ के दौरान घी या तेल का दीया जरूर जलाया जाता है। इसी तरह से तुलसी, पीपल, वट के वृक्ष के नीचे भी दीपक जलाया जाता है। कहते हैं कि हिंदू धर्म में कुछ पेड़, ऐसे हैं जिनमें साक्षात ईश्वर वास करते हैं और अगर इन पेड़ों के पास दीपक जलाकर सच्चे मन से मनोकामना की जाए, तो हर मुराद पूरी होती है। इसी तरह आप पीपल के पेड़ पर भी दीपक जलाते हैं, तो आइए हम आपको बताते हैं कि इसका सही तरीका और समय क्या है।  * पीपल के पेड़ पर कब जलाएं दीया – अगर आप सुबह के समय पीपल के पेड़ पर दीपक जलाना चाहते हैं, तो आपको सुबह 7:00 से लेकर 10:00 बजे के बीच में ही दीपक जलाना चाहिए। इसे शुभ माना जाता है और कहते हैं कि सुबह के समय एक लोटा जल पीपल पर चढ़ाने से और इसके समीप दीपक रखने से जातकों के मन की सभी इच्छा पूरी होती है। * शाम के समय कब जलाएं दीपक – अब बात आती है कि अगर शाम के समय आप पीपल के पेड़ पर दीया रखना चाहते हैं, तो इसका सही समय क्या है? तो ज्योतिषों के अनुसार, शाम के समय आप केवल 5:00 बजे से 7:00 बजे तक ही पीपल के पास दीपक रख सकते हैं, क्योंकि 7:00 बजे के बाद कहते हैं वृक्ष सो जाते हैं और उस समय उन्हें डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए। * पीपल के पेड़ पर कब दीपक ना जलाएं – पीपल के पेड़ पर कभी भी रात के समय दीपक नहीं जलाना चाहिए, इतना ही नहीं सुबह 10:00 बजे के बाद भी पीपल के पेड़ पर दीया नहीं जलाना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। इतना ही कहते हैं श्री कृष्ण का वास पीपल के पेड़ में होता है, ऐसे में इस वृक्ष की सच्चे मन से पूजा करने से श्री कृष्ण अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं। * इस तरह जलाएं पीपल के पास दीपक – पीपल के पास आप रोज दीया जला सकते हैं या शनिवार के दिन पीपल के पास दीया जरूर लगाएं, क्योंकि इसे बहुत शुभ माना जाता है। इतना ही नहीं पीपल पर हमेशा सरसों के तेल का या घी का दीपक ही जलाना चाहिए, इससे भगवान की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   अगर आप भी पीपल के पेड़ पर दीपक जलाते हैं तो सही समय और विधि के बारे में जान लें – If you also light a lamp on the peepal tree, then know about the right time and method

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रोज शाम को घर में कपूर जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और घर में सुख-शांति बनी रहेगी। By burning camphor in the house every evening, Goddess lakshmi will be pleased, there will be peace and happiness in the house

रोज शाम को घर में कपूर जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और घर में सुख-शांति बनी रहेगी। By burning camphor in the house every evening, Goddess lakshmi will be pleased, there will be peace and happiness in the house

हिंदू धर्म में कपूर का बहुत महत्व होता है। ये छोटा सा कपूर पूजा पाठ में जरूर इस्तेमाल किया जाता है। कहते हैं इसे जलाने से वातावरण से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है और घर में पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि घर में अगर रोज शाम को थोड़ा सा कपूर जलाया जाए और उसकी धूप पूरे घर में दिखाई जाए तो इससे आपके घर में सुख, शांति और समृद्धि आने से कोई नहीं रोक सकता है। आइए हम आपको बताते हैं शाम के समय कपूर जलाने के फायदे क्या होते हैं। * मां लक्ष्मी का बरसेगा आशीर्वाद – घर में कपूर जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, कहते हैं कि शाम के वक्त अगर घर में कपूर जलाया जाए तो इससे वातावरण शुद्ध होता है और शुद्ध वातावरण में मां लक्ष्मी का वास होता है। * दरिद्रता होगी दूर – यदि आपके घर में बरकत रुक गई है और आप पैसों की तंगी से परेशान है, तो रोजाना शाम को पूजा करने के दौरान कपूर जलाएं और इस कपूर से पूरे घर को धुआं दें। ऐसा करने से घर में धन की समस्या दूर होती है। * वास्तु दोष दूर करें – जी हां, वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि घर में वास्तु दोष है तो उससे बचने के लिए रोजाना शाम को कपूर जलाना चाहिए। ऐसा करने से वास्तु दोष के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। * नकारात्मकता होगी दूर – यदि आपके घर में पॉजिटिव वाइब्स नहीं आती है और घर के लोग उदास रहते हैं, तो शाम के वक्त घर में कपूर जलाना चाहिए क्योंकि इससे नकारात्मकता दूर होती है और घर में पॉजिटिव एनर्जी का फ्लो होता है। * कर्ज से मुक्ति दिलाए कपूर – शास्त्रों के अनुसार अगर आप कर्ज से परेशान है तो शाम को घर में कपूर जलाना चाहिए। कहते हैं ऐसा करने से कर्ज से जल्दी मुक्ति मिल जाती है। इतना ही नहीं घर में कपूर जलाने से परिवार में सुख शांति आती है और गृह क्लेश से भी बचा जा सकता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   रोज शाम को घर में कपूर जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और घर में सुख-शांति बनी रहेगी। By burning camphor in the house every evening, Goddess lakshmi will be pleased, there will be peace and happiness in the house

रोज शाम को घर में कपूर जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और घर में सुख-शांति बनी रहेगी। By burning camphor in the house every evening, Goddess lakshmi will be pleased, there will be peace and happiness in the house Read More »

जानिए किस दिन लग रहा है साल का पहला सूर्य ग्रहण, सूतक काल में न करें ये काम - Know on which day the first solar eclipse of the year is taking place, do not do this work during sutak period

जानिए किस दिन लग रहा है साल का पहला सूर्य ग्रहण, सूतक काल में न करें ये काम – Know on which day the first solar eclipse of the year is taking place, do not do this work during sutak period

यूं तो ग्रहण एक भौगोलिक घटना कही जाती है, लेकिन हिंदू शास्त्रों में इसका धार्मिक महत्व बताया गया है। सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन लगता है और इस साल यानी 2024 में पहला सूर्यग्रहण चैत्र माह की अमावस्या को लगने जा रहा है। मान्यता है कि सूर्य ग्रहण से पहले कुछ घंटों तक सूतक काल लगता है और इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। चलिए जानते हैं कि इस साल सूर्य ग्रहण कब लग रहा है और साथ ही ये भी जानेंगे कि सूतक काल में किन कामों को करने की मनाही है। * 2024 में कब लगेगा पहला सूर्य ग्रहण:  साल 2024 में पहला सूर्य ग्रहण अप्रैल माह में लगने जा रहा है। पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल यानी सोमवार के दिन लगेगा। इस दिन चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या है और अमावस्या की तिथि 8 अप्रैल को रात 3 बजकर 21 मिनट से अगले दिन रात 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। सूर्य ग्रहण के समय की बात करें तो ग्रहण 8 अप्रैल को रात 9 बजकर 12 मिनट से आरंभ होगा और रात को 1:15 मिनट पर समाप्त होगा। सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले ही सूतक काल शुरू हो जाएगा और इसका समय सबह 9:12 मिनट से शुरू होकर ग्रहण समाप्त होने तक रहेगा। हालांकि आपको बता दें कि चूंकि सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिख रहा है, इसलिए इस ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं माना जाएगा। * सूतक काल में क्या नहीं करना चाहिए:  सूतक काल वो काल होता है जब ग्रहण की छाया पड़ती है। ऐसे में शुभ और मांगलिक कार्यक्रम करने की मनाही होती है। सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को अपना खास ध्यान रखना चाहिए। उनको घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और नुकीली वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि सूतक काल में बनाया गया भोजन अशुद्ध हो जाता है। ऐसे में सूतक काल में भोजन बनाना और खाना नहीं चाहिए। सूतक काल में पूजा पाठ की भी मनाही होती है। इस दौरान पूजाघर का परदा गिरा दिया जाता है। सूतक काल में सोना नहीं चाहिए। कहा जाता है कि इस दौरान भगवान का स्मरण करना चाहिए। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए किस दिन लग रहा है साल का पहला सूर्य ग्रहण, सूतक काल में न करें ये काम – Know on which day the first solar eclipse of the year is taking place, do not do this work during sutak period

जानिए किस दिन लग रहा है साल का पहला सूर्य ग्रहण, सूतक काल में न करें ये काम – Know on which day the first solar eclipse of the year is taking place, do not do this work during sutak period Read More »

कब रखा जाएगा साल का पहला एकादशी व्रत, जानिए पूजा की तिथि और शुभ समय के बारे में - When will the first ekadashi fast of the year be observed, know about the date and auspicious time of the puja

कब रखा जाएगा साल का पहला एकादशी व्रत, जानिए पूजा की तिथि और शुभ समय के बारे में – When will the first ekadashi fast of the year be observed, know about the date and auspicious time of the puja

मान्यतानुसार एकादशी का व्रत साल के सबसे शुभ व्रतों में आता है। इस दिन मान्यतानुसार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कहते हैं एकादशी के दिन पूरे मनोभाव से पूजा-पाठ किया जाए और भगवान विष्णु की आराधना की जाए तो मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल जनवरी में पहली एकादशी सफला एकादशी है। कहते हैं इस एकादशी का व्रत करने पर सभी काम सफल हो जाते हैं और कष्ट भी मिट जाते हैं। वहीं, व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है सो अलग। जानिए इस एकादशी की तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त। * सफला एकादशी का व्रत:  पंचांग के अनुसार, पौष माह की पहली एकादशी की तिथि 7 जनवरी की रात 12 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 8 जनवरी रात 12 बजकर 46 मिनट पर हो जाएगी। उदया तिथि के अनुसार, सफला एकादशी का व्रत 7 जनवरी के दिन रखा जाएगा। सफला एकादशी के व्रत का पारण 8 जनवरी, सोमवार सुबह 7 बजकर 15 मिनट से सुबह 9 बजकर 20 मिनट के बीच किया जा सकता है। * इस तरह करें पूजा:  सफला एकादशी के दिन विधि-विधान से श्रीहरि की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु की पूजा के लिए सुबह के समय उठा जाता है। स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद व्रत की शुरूआत होती है। भगवान विष्णु की प्रतिमा को चौकी पर साफ कपड़े के ऊपर सजाया जाता है और गंगाजल का छिड़काव किया जाता है। अब घी का दीपक जलाकर श्रीहरि के माथे पर कुमकुम से तिलक किया जाता है। भगवान विष्णु को फल और मिठाई का भोग लगाते हैं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी दल को शामिल करना बेहद शुभ होता है। इसके बाद विष्णु आरती (Vishnu Aarti) की जाती है। पूजा की समाप्ति के बाद प्रसाद का वितरण होता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   कब रखा जाएगा साल का पहला एकादशी व्रत, जानिए पूजा की तिथि और शुभ समय के बारे में – When will the first ekadashi fast of the year be observed, know about the date and auspicious time of the puja

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