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जानिए पीपल के पत्तों से किन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। Know which problems can be relieved by peepal leaves

जानिए पीपल के पत्तों से किन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। Know which problems can be relieved by peepal leaves

सनातन धर्म में कई पेड़-पौधों को पवित्र माना जाता है। इनमें तुलसी और पीपल सबसे महत्वपूर्ण हैं। शास्त्रों में पीपल और तुलसी के पौधे की पूजा के बारे में विस्तार से बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि, पीपल के पेड़ की पूजा से साथ-साथ उसके पत्तों के जुड़े उपाय करने से भी लाभ हो सकता है। रात को सोने के समय पीपल के पत्ते को तकिए के नीचे रखने से कई लाभ हो सकते हैं। आइए जानते हैं पीपल के पत्ते को तकिए के नीचे रखने से होते हैं क्या क्या फायदे। * धन लाभ – रात को सोने के पहले पीपल का एक पत्ता तकिए के नीचे रख लेना चाहिए। माना जाता है कि, इस उपाय से घर में धन संपत्ति की कमी नहीं रहती है। यह उपाय धन के अभाव दूर करने में मदद कर सकता है। * बीमारियों से छुटकारा – पीपल के पत्ते का उपाय बीमारियों से भी छुटकारा दिला सकता है। घर का कोई सदस्य बार-बार बीमार पड़ रहा हो और उसकी सेहत बेहतर नहीं हो रही हो तो उसके तकिए के नीचे पीपल का पत्ता रखने से लाभ हो सकता है। * कर्ज से मुक्ति -पीपल के पत्ते का उपाय कर्ज से मुक्ति दिलाने में भी मदद कर सकता है। कर्ज से मुक्ति के लिए पीपल के पत्ते पर सिंदूर लगाकर उसे तकिए के नीचे रखना चाहिए। माना जाता है कि इस उपाय से सभी तरह के कर्जों से मुक्ति मिल सकती है। * बुरे सपनों और बुरी नजर से बचाव – सोते समय में आने वाले बुरे सपनों से बचने के लिए पीपल के पत्ते का उपाय अपनाना चाहिए। इसके साथ ही बुरी नजर से बचने के लिए पीपल के पत्ते को रात भर तकिए के नीचे रखने के बाद पानी में बहा देना चाहिए। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए पीपल के पत्तों से किन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। Know which problems can be relieved by peepal leaves

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जानिए साल 2024 में कब- कब पड़ेगी पूर्णिमा तिथि, नोट कर लें तारीख और शुभ समय। Know when the purnima tithi will fall in the year 2024, note down the date and auspicious time

जानिए साल 2024 में कब- कब पड़ेगी पूर्णिमा तिथि, नोट कर लें तारीख और शुभ समय। Know when the purnima tithi will fall in the year 2024, note down the date and auspicious time

पूर्णिमा यानि वो दिन जिस दिन पूरा चंद्रमा दिखता है। लेकिन हिंदू धर्म में हर पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है और उन्हें अलग-अलग नाम से जाना जाता है। पूर्णिमा के दिन व्रत, दान, स्नान, सूर्य देव को अर्घ्य देने का खास महत्व होता है, ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं आने वाले साल में जनवरी से लेकर दिसंबर तक कब-कब पूर्णिमा की तिथि पड़ेगी और इसका शुभ मुहूर्त क्या है। जनवरी साल 2024 की पहली पूर्णिमा 25 जनवरी 2024 गुरुवार के दिन पड़ेगी इस पौष पूर्णिमा कहा जाता है। इस पूर्णिमा की तिथि 24 जनवरी रात 9:52 से शुरू हो जाएगी, जो कि 25 जनवरी गुरुवार 11:26 तक रहेगी। फरवरी फरवरी में माघ पूर्णिमा तिथि 24 फरवरी के दिन मनाई जाएगी, लेकिन इसकी शुरुआत 23 फरवरी 2024 को 3:36 से शुरू हो जाएगी, जो कि 24 फरवरी, शनिवार शाम 6:03 तक रहेगी। मार्च 25 मार्च 2024 को फाल्गुन पूर्णिमा मनाई जाएगी। इसका शुभ मुहूर्त 24 मार्च 2024 को सुबह 9:57 से शुरू होकर 25 मार्च दोपहर 12:32 तक रहेगा। अप्रैल 23 अप्रैल 2024 को चैत्र पूर्णिमा मनाई जाएगी, जो 23 अप्रैल दोपहर 3:27 पर शुरू होगी और 24 अप्रैल को 5:20 पर पूर्णिमा की तिथि खत्म हो जाएगी। मई वैशाख पूर्णिमा का पावन त्योहार 23 मई 2024 को मनाया जाएगा, जो कि 22 मई शाम 6:49 पर शुरू हो जाएगा और 23 मई गुरुवार 7:24 तक रहेगा। जून जून के महीने में ज्येष्ठ पूर्णिमा मनाई जाएगी, जो 22 जून 2024 को होगी। हालांकि, इसकी तिथि की शुरुआत 21 जून शाम 7:33 पर शुरू हो जाएगी जो 22 जून शाम 6:39 पर खत्म होगी। जुलाई आषाढ़ पूर्णिमा व्रत 21 जुलाई 2024 को पड़ेगा, इसकी शुरुआत 20 जुलाई शाम 6:01 से होगी और 21 जुलाई शाम 3:48 पर यह पूर्णिमा खत्म हो जाएगी। अगस्त श्रावण मास की पूर्णिमा 19 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी, जिसकी तिथि 3:07 से शुरू होगी और इसका समापन 19 अगस्त 2024 को सोमवार रात 11:57 पर होगा। सितंबर भाद्रपद पूर्णिमा 18 सितंबर 2024 बुधवार के दिन मनाई जाएगी, जिसकी शुरुआत 17 सितंबर सुबह 11:40 पर होगी और 18 सितंबर, बुधवार सुबह 8:06 पर इसका समापन होगा। अक्टूबर आश्विन पूर्णिमा व्रत इस साल 17 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा, इसकी शुरुआत 16 अक्टूबर रात 8:44 पर होगी जो कि 17 अक्टूबर, गुरुवार शाम 4:58 तक रहेगी। नवंबर साल 2024 में कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 15 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी, इसकी तिथि 6:21 पर शुरू होगी और समापन 3:00 बजे होगा। दिसंबर मार्गशीर्ष पूर्णिमा दिसंबर के महीने में 15 तारीख को मनाई जाएगी। इसकी शुरुआत 14 दिसंबर शाम 5:01 पर होगी और इसका समापन 15 दिसंबर 2024 को दोपहर 2:33 पर होगा। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए साल 2024 में कब- कब पड़ेगी पूर्णिमा तिथि, नोट कर लें तारीख और शुभ समय। Know when the purnima tithi will fall in the year 2024, note down the date and auspicious time

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जानिए कब मनाई जाएगी गीता जयंती, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में - Know when geeta jayanti will be celebrated, worship method and auspicious time

जानिए कब मनाई जाएगी गीता जयंती, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में – Know when geeta jayanti will be celebrated, worship method and auspicious time

हिंदू धर्म में गीता का बहुत महत्व है। महाभारत के दौरान कुरुक्षेत्र के युद्ध में श्री कृष्ण अर्जुन के बीच जो बातचीत हुई उसे श्रीमद्भागवत गीता में बताया गया है। सनातन धर्म ने इसे इकलौता ऐसा ग्रंथ माना जाता है जिसकी जयंती मनाई जाती है। जी हां, गीता जयंती हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाती है। इस बार ये दिन 22 दिसंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा, आइए आपको बताते हैं गीता जयंती का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। * कब मनाई जाएगी गीता जयंती:  पंचांग के अनुसार, गीता जयंती मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है, जो इस बार 22 दिसंबर को मनाई जाएगी। इसका शुभ मुहूर्त सुबह 8:15 से शुरू होगा, उसका समापन 23 दिसंबर को सुबह 7:10 पर होगा। इस साल गीता जयंती पर 3 बड़े शुभ योग भी बन रहे हैं- शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग। * गीता जयंती पर शुभ योग:  शिवयोग- गीता जयंती पर पड़ने वाले शिवयोग का समय सुबह 11:00 बजे से रात 9:08 तक है। सर्वार्थ सिद्धि योग- सर्वार्थ सिद्धि योग की शुरुआत सुबह 7:10 से होगी, जो कि देर रात 9:36 तक रहेगा। रवि योग- रवि योग सुबह 7:02 से 21:30 तक मनाया जाएगा। * ऐसे मनाएं गीता जयंती:  हिंदू धर्म में गीता ग्रंथ ऐसा है जिसकी जयंती मनाई जाती है। ऐसे में आप एकादशी का व्रत कर सकते हैं और गीता जयंती पर गीता के उपदेशों को पढ़ कर अपने दिन की शुरुआत कर सकते हैं। अपने मंदिर में गीता ग्रंथ को स्थापित कर सकते हैं और इसके पाठ कर सकते हैं। * अगर आप अपने घर में गीता रखते हैं और उसका पाठ करते हैं, तो कुछ विशेष नियम आपको अपनाने चाहिए- – इसे साफ और पवित्र स्थान पर ही रखें। – बिना नहाए गंदे हाथ या मासिक धर्म में गीता को स्पर्श न करें। – गीता को कभी भी जमीन पर रखकर ना पढ़ें। – इसे पढ़ने के लिए पूजा की चौकी या लकड़ी से बने स्टैंड का इस्तेमाल करें। – गीता को हमेशा एक लाल कपड़े में बांधकर रखें। – गीता का पाठ पढ़ने के लिए आसान बिछाए और नीचे बैठकर गीता का पाठ करें। – गीता का पाठ करने से पहले भगवान गणेश और श्री कृष्ण का स्मरण करें। – अगर गीता का कोई अध्याय शुरू किया जाए तो उसे बीच में ना छोड़े, अध्याय को पूरा पढ़ने के बाद ही उठें। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए कब मनाई जाएगी गीता जयंती, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में – Know when geeta jayanti will be celebrated, worship method and auspicious time

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धन प्राप्ति के लिए करें ये खास उपाय, नहीं होगी पैसों की परेशानी - Do these special measures to get money, you will not have money problems

धन प्राप्ति के लिए करें ये खास उपाय, नहीं होगी पैसों की परेशानी – Do these special measures to get money, you will not have money problems

पैसा कमाने की और उसे बचाने के लिए सभी सपने देखते हैं। लेकिन कई लोगों को परेशानी होती हैं कि उनके घर में आया धन टीकता नहीं है। माता लक्ष्मी उनसे हमेशा नाराज रहती हैं। लेकिन धन की वर्षा करने के लिए सिर्फ मेनत करना ही काफी नहीं हैं। इसके लिए कुछ धार्मिक बातों का भी ध्यान रखना जरूरी है। हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में ऐसे कुछ आसान से उपाय बताएं गए हैं जिनको फॉलो करके आप अपने घर की तिजोरी कुछ ही दिनों में भर सकते हैं। नए साल से पहले या नए साल के पहले दिन से इनको अपनाना शुरू कर दें। # धन प्राप्ति के लिए 3 खास उपाय:  * अखंडित चावल:  नए साल के पहले दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें। पूजा के समय मां को अखंडित चावल अर्पित करें। पूजा खत्म होने के बाद इस चावल को किसी लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी या पर्स में रख लें। इससे आपको जल्द ही धन प्राप्त हो सकता है। * कौड़ियां:  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माता को खास तरीके से कौड़ियां अर्पित करने से भी धन से जुड़ी कोई भी परेशानी खत्म हो सकती है। इसके लिए माता की पूजा करते समय उन्हें 7 कौड़ियां अर्पित करें और मां से धन, सुख-सृद्धि की कामना करें। पूजा के बाद इन कौड़ियों को अपनी तिजोरी में रख दें। * एकाक्षी नारियल:  एकाक्षी नारियल का ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्तव है. ऐसे में अगर आप आर्थिक रूप से परेशान हैं तो लक्ष्मी माता और विष्णु भगवान की विधिवत पूजा करके उन्हें एकाक्षी नारियल अर्पित करें। फिर इसे भी आप अपनी तिजोरी में रख सकते हैं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   धन प्राप्ति के लिए करें ये खास उपाय, नहीं होगी पैसों की परेशानी – Do these special measures to get money, you will not have money problems

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जानिए खाटू श्याम से कौन सी चीजें घर लाना शुभ होता है। Know which things are auspicious to bring home from khatu shyam

जानिए खाटू श्याम से कौन सी चीजें घर लाना शुभ होता है। Know which things are auspicious to bring home from khatu shyam

खाटू श्याम को भगवान श्रीकृष्ण का ही अवतार माना जाता है। खाटू श्याम का भव्य मंदिर राजस्थान के सीकर में है, जहां हर दिन दर्शन के लिए लाखों लोग पहुंचते हैं। खाटू धाम मंदिर में जाकर दर्शन करना किस्मत की बात माना जाता है। मान्यता है कि जो लोग खाटू वाले बाबा के मंदिर जाकर सच्चे मन से उनकी पूजा आराधना करते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है और जीवन की परेशानियां खत्म होती हैं। खाटू धाम से कुछ चीजें लेकर आने का खास महत्व है। * चादर या रुमाल – खाटूधाम से लोग चादर या रुमाल लेकर आते हैं, माना जाता है कि इसे घर के मंदिर मे रख कर हर दिन पूजा करने से तरक्की होती है। * जल – खाटू धाम से जल लेकर लोग अपने घर आते हैं। माना जाता है कि अगर घर में कोई बीमार है तो उसे इस जल को पिलाने से वह स्वस्थ हो जाता है। उसके अलावा अपने घर में इस जल छिड़कना शुभ माना जाता है। * प्रसाद – खाटू श्याम का प्रसाद घर में लेकर जरूर आना चाहिए। प्रसाद घर के सभी सदस्यों को दें और खाटू श्याम का ध्यान करते हुए इसे ग्रहण करें। * इत्र – आप खाटू श्याम के मंदिर से इत्र लेकर भी घर पर आ सकते हैं। माना जाता है कि इससे घर में सुख शांति आती है, मन प्रसन्न रहता है। * मोर पंख – मोर पंख को खुशियों का प्रतीक माना जाता है। आप खाटूधाम से मोर पंख घर लेकर आ सकते हैं। * मिट्टी – खाटू श्याम मंदिर से लोग मिट्टी लेकर अपने घर आते हैं। इस मिट्टी को आप अपने घर में लगे तुलसी के पौधे में डाल दें। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए खाटू श्याम से कौन सी चीजें घर लाना शुभ होता है। Know which things are auspicious to bring home from khatu shyam

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खरमास में तुलसी के पास न रखें ये चीजें, माना जाता है धन की देवी लक्ष्मी हो जाती हैं नाराज - Do not keep these things near tulsi in kharmas, it is believed that lakshmi, the goddess of wealth, gets angry

खरमास में तुलसी के पास न रखें ये चीजें, माना जाता है धन की देवी लक्ष्मी हो जाती हैं नाराज – Do not keep these things near tulsi in kharmas, it is believed that lakshmi, the goddess of wealth, gets angry

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का कितना महत्व है ये तो हम सभी जानते हैं। हर घर में तुलसी के पौधे की पूजा करने की परंपरा बरसों से चली आ रही है। संध्या के वक्त तुलसी में दीपक जलाना शुभ माना जाता है। धार्मिक महत्व के साथ-साथ तुलसी औषधि के रूप में भी इस्तेमाल की जाती है। तुलसी माता को लोग धन की देवी मां लक्ष्मी का रूप मानते हैं, इसलिए तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है। वैसे तो रोजाना तुलसी माता की पूजा की जाती है लेकिन खरमास लग चुका है ऐसे में खरमास के दौरान क्या कुछ नहीं करना चाहिए चलिए आपको बताते हैं।  * रोजाना तुलसी की पूजा:  हिंदू धर्म में लगभग सभी घरों में रोजाना सुबह शाम तुलसी माता की पूजा की जाती है। तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाने के साथ ही आरती उतारी जाती है लेकिन आपको बता दें की खरमास में ये नहीं होता है। * नेगेटिव एनर्जी होती है दूर:  ऐसा कहा जाता है कि तुलसी अगर आपके आंगन में हो तो नेगेटिव एनर्जी आपके घर के आसपास भी नहीं होती। घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। * खरमास में नहीं होते मांगलिक कार्य:  खरमास के दिनों में कोई भी शुभ या मंगल कार्य करने की मनाही होती है। ऐसे में ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल आता है कि खरमास में तुलसी की पूजा करनी चाहिए या नहीं। चलिए बताते हैं आपको इस सवाल का जवाब। * तुलसी में जल अर्पित करें:  16 दिसंबर 2023 से खरमास शुरू हो चुका है। ऐसे में ज्योतिष के मुताबिक इन दिनों शुभ कार्य या पूजा पाठ नहीं करवाया जाता है। लेकिन आप इस दौरान तुलसी में जल अर्पित जरूर कर सकते हैं। * तुलसी में भूलकर भी ना चढ़ाएं ये चीजें:  तुलसी के पौधे में जल अर्पित करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं इसलिए आप खरमास के दिनों में भी जल चढ़ा सकते हैं। हालांकि खरमास के दौरान तुलसी के पौधे के ऊपर सिंदूर या फिर कोई भी पूजन सामग्री गलती से भी ना चढ़ाएं। * तुलसी को स्पर्श न करें:  हिंदू धर्म में तुलसी की पूजा का खास महत्व है। इससे जुड़े कई उपाय भी बताए गए हैं। लेकिन कई ऐसे दिन होते हैं जब तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए। * इस दिन ना तोड़े तुलसी:  खरमास के महीने में पड़ने वाली एकादशी, रविवार और मंगलवार के दिन तुलसी के पत्ते को नहीं तोड़ना चाहिए। इसके अलावा इस दिन जल भी अर्पित नहीं करना चाहिए। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   खरमास में तुलसी के पास न रखें ये चीजें, माना जाता है धन की देवी लक्ष्मी हो जाती हैं नाराज – Do not keep these things near tulsi in kharmas, it is believed that lakshmi, the goddess of wealth, gets angry

खरमास में तुलसी के पास न रखें ये चीजें, माना जाता है धन की देवी लक्ष्मी हो जाती हैं नाराज – Do not keep these things near tulsi in kharmas, it is believed that lakshmi, the goddess of wealth, gets angry Read More »

जानिए कब मनाई जाएगी महानंदा नवमी, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में - Know when mahananda navami will be celebrated, auspicious time and method of worship

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हर साल माघ, भाद्रपद और मार्गशीर्ष माह के दौरान शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानंदा नवमी के रूप में मनाया जाता है। इसे ताल नवमी और नंदा व्रत जैसे नामों से भी जाना जाता है। मान्यतानुसार, महानंदा नवमी के दिन विधिवत मां लक्ष्मी और मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इस दिन स्नान और दान जैसे कार्य भी संपन्न किए जाते हैं, वहीं व्रत रखने और पूजा-पाठ करने का भी विशेष महत्व है। माना जाता है कि महानंदा नवमी का व्रत रखने और पूजा करने पर घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है। * महानंदा नवमी की पूजा:  पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष माह की महानंदा नवमी 21 दिसंबर, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। इस नवमी तिथि पर ही मां दुर्गा और मां लक्ष्मी की विधिवित पूजा की जाएगी। कहते हैं महानंदा नवमी की पूजा से ही मृत्यु के बाद जातक को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। महानंदा नवमी का व्रत यूं तो विवाहित महिलाएं रखती हैं लेकिन इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भी रख सकती हैं। इस दिन घर में कन्या भोज कराना भी शुभ माना जाता है। महानंदा नवमी की पूजा करने के लिए सुबह सवेरे उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। इसके बाद व्रत का संकल्प लेते हैं। अब लकड़ी के पट्टे पर लाल कपड़ा बिछाने के बाद उसपर मां लक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित करके विधि-विधान से पूजन किया जाता है। पूजा सामग्री में कुमकुम, अक्षत, हल्दी, मेहंदी और दीप शामिल किए जाते हैं। मां के समक्ष घी का दीपक जलाया जाता है और पूजा के मंत्रों का जाप होता है। महानंदा नवमी की कथा पढ़ी जाती है और आरती करके पूजा संपन्न की जाती है। इस दिन घर को साफ रखना भी जरूरी होता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए कब मनाई जाएगी महानंदा नवमी, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में – Know when mahananda navami will be celebrated, auspicious time and method of worship

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जानिए आने वाले साल 2024 में प्रदोष व्रत कब-कब है। Know when is pradosh vrat in the coming year 2024

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हिंदू धर्म में व्रत, पूजा-पाठ का काफी महत्व है। माना जाता है कि अगर कोई भक्त सच्चे मन से भगवान का व्रत रखता है तो उसे मनचाहा वर प्राप्त होता है। हिंदू धर्म में हर माह कोई न कोई व्रत पड़ता है। हर तिथि को उपवास रखा जाता है। इन सभी व्रतों में प्रदोष व्रत की काफी मान्यता है। प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जानते हैं। हर माह की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी मनाई जाती है। इसी त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहते हैं। सनातन धर्म में सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पहले का समय प्रदोष काल माना जाता है। इस व्रत में भगवान शिव की आराधना की जाती है। आइए जानते हैं आने वाले साल 2024 में प्रदोष व्रत कब-कब है। * जनवरी 2024 में प्रदोष व्रत कब-कब है:  09 जनवरी- मंगलवार- भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) 23 जनवरी- मंगलवार- भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) * फरवरी 2024 में प्रदोष व्रत कब-कब है:  07 फरवरी- बुधवार- सौम्यवारा प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) 21 फरवरी- बुधवार- सौम्यवारा प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) * मार्च 2024 में प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा:  08 मार्च- शुक्रवार- भृगुवार प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) 22 मार्च- शुक्रवार- भृगुवार प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) * अप्रैल 2024 में प्रदोष व्रत कब है:  06 अप्रैल- शनिवार- शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) 21 अप्रैल- रविवार- रवि प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) * मई 2024 में प्रदोष व्रत की तारीख:  05 मई- रविवार- रवि प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) 20 मई- सोमवार- सोम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) * जून 2024 में प्रदोष व्रत कब मनाया जाएगा:  04 जून- मंगलवार- भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) 19 जून- बुधवार- सौम्यवारा प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) * जुलाई 2024 में प्रदोष व्रत कब-कब है:  03 जुलाई- बुधवार- सौम्यवारा प्रदोष व्रत(कृष्ण पक्ष) 18 जुलाई- गुरुवार- गुरु प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) * अगस्त 2024 में प्रदोष व्रत की लिस्ट:  01 अगस्त- गुरुवार- गुरु प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) 17 अगस्त- शनिवार- शनि प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) 31 अगस्त- शनिवार- शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) * सितंबर 2024 में प्रदोष व्रत कब-कब है:  15 सितंबर- रविवार- रवि प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) 29 सितंबर- रविवार- रवि प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) * अक्टूबर 2024 में प्रदोष व्रत कब-कब है:  15 अक्टूबर- मंगलवार- भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) 29 अक्टूबर- मंगलवार- भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) * नवंबर2024 में प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा:  13 नवंबर- बुधवार- सौम्यवारा प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) 28 नवंबर- गुरुवार- गुरु प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) * दिसंबर 2024 में प्रदोष व्रत कब-कब है:  13 दिसंबर- शुक्रवार- भृगुवार प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) 28 दिसंबर- शनिवार- शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए आने वाले साल 2024 में प्रदोष व्रत कब-कब है। Know when is pradosh vrat in the coming year 2024

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जानिए दीये को लेकर क्या हैं पूजा के नियम - Know what are the rules of worship regarding lamps

जानिए दीये को लेकर क्या हैं पूजा के नियम – Know what are the rules of worship regarding lamps

सनातन घरों में नियमित पूजा पाठ किया जाता है। पूजा के समय दीपक जलाने की परंपरा है। लोग भगवान के सामने नतमस्तक होकर श्रद्धा से दीया जलाते हैं। कोई भी धार्मिक अनुष्ठान या पूजा-पाठ बगैर दीया जलाए पूर्ण नहीं होता है। कई घरों में नियमित रूप से पूजा के समय नया दीया जलाया जाता है तो कुछ लोग दीये को धोकर फिर से जलाते हैं। लेकिन, दीया जलाने से जुड़ी ऐसी बहुत सी बातें हैं जिन्हें ध्यान में रखा जरूरी होता है।  # पूजा के दीपक के नियम:  * मिट्‌टी की दीये:  जो लोग पूजा में मिट्टी के बने दीये जलाते हैं उन्हें इन दीयों को फिर से उपयोग में नहीं लाना चाहिए। मिट्‌टी के दीये जलाए जाने के बाद काले पड़ जाते हैं और उन्हें दुबारा जलाना पवित्र नहीं माना जाता है। * तांबे या पीतल के दीये:  जो लोग पूजा में तांबे या पीतल का दीया जलाते हैं वे उन्हें धोकर फिर से पूजा के समय जला सकते हैं। धातुओं को पवित्र माना जाता है इसलिए उन्हें दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है। * नया दीया:  पूजा में मिट्‌टी के दीये जलाने वालों को पूजा के लिए हर दिन नए दीये का उपयोग करना चाहिए। मिट्‌टी के कोरे दीये ही पवित्र माने जाते हैं। * दीयों की सफाई:  पूजा के तांबे, पीतल या चांदी जैसी धातु के दीये की नियमित साफ-सफाई करनी चाहिए। उन्हें अच्छी तरह साफ कर गंगाजल से पवित्र कर पूजा में दोबारा उपयोग में लाना चाहिए। * खंडित दीया ना जलाएं:  पूजा में कभी भी खंडित दीये का उपयोग नहीं करना चाहिए। टूटे हुए दीपक का इस्तेमाल करने से घर में नकारात्मकता आती है। चाहे दीया मिट्टी का हो या धातु का टूटे दीये पूजा में उपयोग के लायक नहीं होते हैं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए दीये को लेकर क्या हैं पूजा के नियम – Know what are the rules of worship regarding lamps

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अगर लडडू गोपाल को हर जगह साथ लेकर जाते हैं तो जानिए इससे जुड़ी ये अहम बातें - If you take laddu gopal with you everywhere, then know these important things related to it

अगर लडडू गोपाल को हर जगह साथ लेकर जाते हैं तो जानिए इससे जुड़ी ये अहम बातें – If you take laddu gopal with you everywhere, then know these important things related to it

भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा करने वाले लोग उन्हें लड्डू गोपाल कहकर बुलाते हैं। बाल गोपाल को हमेशा साथ लेकर कहीं भी जाते हैं और उनकी सेवा अपने ही बच्चे की तरह करते हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार बाल गोपाल की पूजा और सेवा करने से जातक के घर में सुख-शांति बनी रहती हैं और जीवन की सारी परेशानियां दूर होती हैं। लड्डू गोपाल की सेवा करने वाले लोगों को खास ध्यान रखना चाहिए की वो किसी भी समय अकेले ना रहें। उनकी सेवा और पूजा से जुड़े ऐसे ही कुछ और खास नियम ये हैं। # लड्डू गोपाल पूजा नियम:  * कभी अकेला ना छोड़े:  भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा करने वाले लोगों को ये खास ध्यान रखना चाहिए की वो कभी अकेले ना रहे। घर से बाहर कहीं भी जाने के लिए उन्हें साथ लेकर जाना जरूरी होता है। * क्या है इसके पीछे की वजह:  भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप को ही लड्डू गोपाल माना जाता हैं। उनकी सेवा और पूजा एक छोटे बच्चे की तरह ही होती है। जिस तरह किसी छोटे बच्चे को घर में अकेला नहीं छोड़ा जाता हैं उसी तरह लड्डू गोपाल को भी अकेला नहीं छोड़ा जाना चाहिए। * इसलिए कराएं नियमित रूप से स्नान:  लड्डू गोपाल को नियमित रूप से रोज स्नान कराना चाहिए। ये उनकी पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता हैं और इससे उनकी कृपा आपके उपर हमेशा बनी रहती हैं। उन्हें नहलाने के लिए सीधे पानी गिराने की जगह एक शंख का उपयोग करें। * रोज करें तैयार:  जिस तरह से रोज किसी बच्चे को नहलाकर आप कपड़े पहनाते हैं और उसे तैयार करते हैं, उसी तरह लड्डू गोपाल को भी नियमित रूप से नहलाने के बाद साफ और धुले हुए वस्त्र पहनाकर उनका विधिवत श्रृंगार करें। * भोग लगाना है जरूरी:  नियम और मान्यता के अनुसार पूरे दिन में लड्डू गोपाल को 4 बार जरूर भोग (Bhog) लगाना चाहिए। काजू-किश्मिश के साथ आप उन्हें खाने के समय पर सात्विक भोजन का भोग भी लगा सकते हैं। ध्यान रखें कि उनके किसी भी भोग में प्याज या लहसून जैसी चीजें ना डली हो। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   अगर लडडू गोपाल को हर जगह साथ लेकर जाते हैं तो जानिए इससे जुड़ी ये अहम बातें – If you take laddu gopal with you everywhere, then know these important things related to it

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