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इस प्रकार ब्रह्म मुहूर्त में इन मंत्रों का जाप करने से देवी-देवता प्रसन्न होंगे और सदैव कृपा बनी रहेगी। In this way, by chanting these mantras in brahma muhurta, the gods and goddesses will be pleased and blessings will always remain

इस प्रकार ब्रह्म मुहूर्त में इन मंत्रों का जाप करने से देवी-देवता प्रसन्न होंगे और सदैव कृपा बनी रहेगी। In this way, by chanting these mantras in brahma muhurta, the gods and goddesses will be pleased and blessings will always remain

हिन्दू धर्म में ब्रह्म मुहूर्त सबसे अच्छा समय माना जाता है। इस मुहूर्त में किया गया कार्य सफल होता है, ऐसी मानयता है। इसको परमात्मा का समय कहा जाता है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजे से लेकर 5:30 तक होता है, जो लोग इस मुहूर्त में उठते हैं उनपर सदैव देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इस मुहूर्त में उठकर योग और पूजा पाठ करना बहुत अच्छा माना जाता है। ऐसे में आजआपको यहां पर 2 मंत्र बताते हैं, जिसे आप ब्रह्म मुहूर्त में जपते हैं, तो फिर आपको इसके शुभ फल प्राप्त होंगे। इन मंत्रों का जाप करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहेगा।  * पहला ब्रह्म मुहूर्त मंत्र:  इस मंत्र का जाप आप अपनी हथेलियों को देखते हुए करें। कराग्रे वसति लक्ष्मीः,कर मध्ये सरस्वती। करमूले तू ब्रह्मा, प्रभाते कर दर्शनम्।। अर्थ- इस मंत्र का अर्थ है कि हथेलियों में मां लक्ष्मी, देवी सरस्वती और भगवान विष्णु का निवास है और मैं उनके दर्शन कर रहा हूं। * दूसरा ब्रह्म मुहूर्त मंत्र:  इस मंत्र का जाप करने के लिए आप सबसे पहले सुखासन मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद अपनी दोनों आंखों को बंद करके इस मंत्र का जाप करें। ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च। गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु॥ अर्थ- ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव , सूर्य, चंद्रमा, भूमि सुत यानी मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु सभी ग्रहों को शांत रखें। इस मंत्र का जाप करने से सभी ग्रह आपके अनुकूल रहेंगे। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   इस प्रकार ब्रह्म मुहूर्त में इन मंत्रों का जाप करने से देवी-देवता प्रसन्न होंगे और सदैव कृपा बनी रहेगी। In this way, by chanting these mantras in brahma muhurta, the gods and goddesses will be pleased and blessings will always remain

इस प्रकार ब्रह्म मुहूर्त में इन मंत्रों का जाप करने से देवी-देवता प्रसन्न होंगे और सदैव कृपा बनी रहेगी। In this way, by chanting these mantras in brahma muhurta, the gods and goddesses will be pleased and blessings will always remain Read More »

जानिए देवी-देवताओं को कौन सा प्रसाद चढ़ाने से वे प्रसन्न होकर भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। Know which prasad is offered to the gods and goddesses and they become happy and shower their blessings on the devotees

जानिए देवी-देवताओं को कौन सा प्रसाद चढ़ाने से वे प्रसन्न होकर भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। Know which prasad is offered to the gods and goddesses and they become happy and shower their blessings on the devotees

देवी देवताओं की विधि विधान से पूजा व आरती से बाद उन्हें भोग लगाया जाता है। देवी देवता अपने प्रिय भोग से अति प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बनाए रखते हैं। पूजा में भोग का बहुत महत्व है। भगवान शंकर को पंचामृत और भंग का भोग प्रिय है तो भगवान कृष्ण माखन मिश्री से प्रसन्न होते हैं। आइए जानते हैं कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किस देवी देवता को किसका भोग लगाना सबसे उत्तम माना जाता है। * भगवान विष्णु:  भगवान विष्णु को खीर, हलवा का नैवेद्य अत्यंत प्रिय है। उन्हें चावल या सूजी की खीर या सूजी के हलवे का भोग लगाना चाहिए। रविवार और गुरुवार को मंदिर जाकर भगवान भगवान के दर्शन के बाद खीर या सूजी के हलवे का भोग लगाने से कृपा बनी रहती है और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। * भगवान शिव:  भगवान शंकर को पंचामृत और भंग अत्यंत प्रिय हैं। उन्हें दूध, दही, शहद, और घी का अभिषेक कराकर भांग-धतूरा, गंध, चंदन, फूल, रोली, वस्त्र अर्पित करने के बाद रेवड़ी, चिरौंजी और मिश्री चढ़ाया जाता है। * भगवान गणेश:  भगवान गणेश को मोदक और लड्‌डू सबसे ज्यादा प्रिय है। उन्हें तरह तरह के मोदक और लड्‌डू का भोग लगाना चाहिए। हर माह की चतुर्थी को भगवान गणेश को मोदक और लड्‌डू का भाग लगाने से जीवन की हर बाधा दूर हो जा जाती है। * भगवान कृष्ण: भगवान कृष्ण को माखन और मिश्री अत्यंत प्रिय हैं। उन्हें माखन मिश्री का भोग लगाना चाहिए। इसके साथ ही धनिया की पंजीरी, मखाने की खीर और पंचामृत के भोग से भी भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं। *देवी दुर्गा: माता दुर्गा को नारियल, केला जैसे फल और मालपुआ, खीर या हलवा जैसे व्यंजनों का भोग लगाना चाहिए। बुधवार और शुक्रवार के दिन दुर्गा माता को भोग लगाने से हर तरह के संकट दूर हो जाते हैं। *देवी लक्ष्मी: धन की देवी माता लक्ष्मी को सफेद व पीले रंग की मीठी चीजें प्रिय हैं। उन्हें सफेद और पीले रंग की मिठाइयों से भाग लगाना सबसे उत्तम होता है। शुक्रवार को लाल फूल अर्पित कर भोग लगाने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए देवी-देवताओं को कौन सा प्रसाद चढ़ाने से वे प्रसन्न होकर भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। Know which prasad is offered to the gods and goddesses and they become happy and shower their blessings on the devotees

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जानिए कब मनाई जाएगी कालाष्टमी, व्रत का महत्व और पूजा विधि के बारे में - Know when kalashtami will be celebrated, importance of fasting and method of worship

जानिए कब मनाई जाएगी कालाष्टमी, व्रत का महत्व और पूजा विधि के बारे में – Know when kalashtami will be celebrated, importance of fasting and method of worship

कालाष्टमी हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भैरव बाबा की पूजा की जाती है। यह जयंती मार्गशीर्ष महीने में आती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भोलेबाबा भैरव के रूप में प्रकट हुए थे। ऐसे में इस दिन भगवान भैरव के भक्त बड़े ही धूम धाम के साथ उनकी जयंती मनाते हैं। इस बार यह जयंती 5 दिसंबर, 2023 दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। जो भी इस दिन इनकी पूजा करता है भोलेबाबा की कृपा उनपर बरसती है, तो चलिए जानते हैं भैरव बाबा के पूजा मंत्र और महत्व। * काल भैरव मंत्र:   – ॐ ब्रह्म काल भैरवाय फट – ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्। भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि – ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय। कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा * काल भैरव कथा:  ऐसी मान्यता है कि इस दिन त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बीच एक बार बहस हो गई, जिसमें ब्रह्मा जी की एक बात भोले बाबा यानी शिव जी बहुत क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रह्मा जी का पांचवा सिर काट दिया। इसके बाद से भगवान शिव के इस रूप को ‘काल भैरव’ के रूप में जाना जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी। कालाष्टमी के दिन इस कथा को लोग जरूर पढ़ते और सुनते हैं। आपको बता दें कि इनकी पूजा करने से नकारात्मकता का अंत होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए कब मनाई जाएगी कालाष्टमी, व्रत का महत्व और पूजा विधि के बारे में – Know when kalashtami will be celebrated, importance of fasting and method of worship

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अगर आपकी शादी में बार-बार परेशानियां आ रही हैं तो प्रदोष व्रत के दिन करें ये उपाय - If you are facing repeated problems in your marriage then do these remedies on the day of pradosh vrat

अगर आपकी शादी में बार-बार परेशानियां आ रही हैं तो प्रदोष व्रत के दिन करें ये उपाय – If you are facing repeated problems in your marriage then do these remedies on the day of pradosh vrat

हिंदू धर्म में त्रयोदशी तिथि का बहुत ज्यादा महत्व है। इस दिन माता पार्वती और देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है। कहते हैं कि जो लोग इस दिन पूरे विधि-विधान और सच्चे मन से उपवास रखते हैं उन्हें मनचाहा जीवन साथी मिलता है। ये व्रत कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। कहते हैं कि इस व्रत को जो भी विवाहित महिलाएं करती हैं उनके जीवन में सुख और सौभाग्य की वृद्धि होती है। वहीं अविवाहित लोग अगर इस दिन सच्चे मन से व्रत रखते हैं तो उनकी शादी का योग जल्दी बन जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जल्दी शादी के लिए प्रदोष व्रत पर विशेष उपाय करने का विधान है। तो अगर आपकी शादी में अड़चन आ रही है और किसी न किसी वजह से शादी अटक रही है तो प्रदोष व्रत पर ये उपाय जरूर करें। * विवाह में आ रही है बाधा तो करें ये उपाय:  – शादी में बाधा आने के वैसे तो कई सारे कारण होते हैं लेकिन अगर शादी में अड़चन अशुभ ग्रहों के प्रभाव की वजह से आ रही है तो प्रदोष व्रत पर स्नान ध्यान करने के बाद गंगाजल में काला तिल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। कहते हैं कि इस उपाय को करने से आपकी कुंडली में जो भी अशुभ ग्रहों का प्रभाव होता है वो कम हो जाता है। इस उपाय को करने से शीघ्र ही शादी के योग बनने लगते हैं। – अगर कुंडली में शुक्र कमजोर होने की वजह से शादी में अड़चन पैदा हो रही है तो प्रदोष व्रत के दिन स्नान दान करने के बाद जल में शहद, सुगंध मिलाकर देवों के देव महादेव का अभिषेक करें। कहते हैं ये उपाय करने से कुंडली में शुक्र मजबूत हो जाता है। – अगर आप मनचाहा जीवनसाथी पाना चाहते हैं तो यह उपाय करना लाभदायक हो सकता है। इसके लिए प्रदोष व्रत पर कच्चे दूध से भोलेनाथ का अभिषेक करें। ऐसा करने से कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है। – अगर किसी न किसी वजह से लड़कियों की शादी में अड़चन आ रही है तो प्रदोष व्रत के दिन यह उपाय किया जा सकता है। इस उपाय को करने के लिए प्रदोष व्रत के दिन स्नान ध्यान करने के बाद लाल रंग का वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद माता पार्वती और भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करें। इस समय पार्वती जी को सिंदूर अर्पित करें। अब अर्पित किए हुए सिंदूर को अपने माथे पर लगाकर जल्द ही शादी की कामना करें। कहते हैं इस उपाय को करने से शादी में आ रही बाधा दूर होती है और जल्द ही शादी के योग बनते हैं। (Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   अगर आपकी शादी में बार-बार परेशानियां आ रही हैं तो प्रदोष व्रत के दिन करें ये उपाय – If you are facing repeated problems in your marriage then do these remedies on the day of pradosh vrat

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कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहा है औषधि मुहूर्त, बीमारी से छुटकारा पाने के लिए करें ये उपाय - Aushadhi muhurta is being made on kartik Purnima, do these measures to get rid of the disease

कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहा है औषधि मुहूर्त, बीमारी से छुटकारा पाने के लिए करें ये उपाय – Aushadhi muhurta is being made on kartik Purnima, do these measures to get rid of the disease

कार्तिक पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा को चंद्र देव विशेष कृपा बरसाते हैं। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को अगर कोई औषधि बनाई जाए तो उसका प्रभाव सामान्य दिनों से अधिक होता है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर को है। सालों बाद कार्तिक पूर्णिमा को औषधि मुहूर्त बन रहा है जिसका लाभ हिन्दू धर्म को मानने वालों को जरूर उठाना चाहिए। * औषधि मुहूर्त पर क्या करें:  – 27 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है जिसपर अद्भुत संयोग बन रहा है। इस योग में आपको गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है। यहां तक कि रोग से छुटकारा मिलता है। आपको बता दें कि इस दिन आप किसी होम्योपैथिक डॉक्टर से औषधि बनवाएं जिस भी बीमारी से आप गुजर रहे हैं, फिर आप उसका सेवन कर लीजिए। – वहीं, आप कार्तिक पूर्णिमा के दिन नहाने वाले पानी में नीम की पत्ती, हल्दी की गांठ मिलाकर स्नान करें। मान्यता है कि इससे किसी भी तरह के रोग में आराम मिलता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि सारे चीजें इसी मुहूर्त में करें। ध्यान रखें कि सारे कार्य पूर्णिमा मुहूर्त में ही करें। * नोट करें मुहूर्त:  27 नवंबर 2023 औषधि निर्माण एवं सेवन और रोग विमुक्त स्नान का पहला मुहूर्त सुबह 5 बजकर 38 मिनट से 7 बजकर 29 तक है। इस मुहूर्त में रोग विमुक्त स्नान किया जा सकता है। वहीं दूसरा मुहूर्त शाम को 4 बजकर 30 मिनट से 6 बजकर 20 मिनट तक है, इसमें औषधि निर्माण और सेवन किया जा सकता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। )   कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहा है औषधि मुहूर्त, बीमारी से छुटकारा पाने के लिए करें ये उपाय – Aushadhi muhurta is being made on kartik Purnima, do these measures to get rid of the disease

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जानिये गुरु नानक जयंती किस दिन है, इस तरह गुरु पर्व की शुभकामनाएं भेजें। Know on which day guru nanak jayanti is, send guru parv wishes like this

जानिये गुरु नानक जयंती किस दिन है, इस तरह गुरु पर्व की शुभकामनाएं भेजें। Know on which day guru nanak jayanti is, send guru parv wishes like this

गुरु नानक जयंती की विशेष धार्मिक मान्यता है। इस दिन सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु गुरु नानक का जन्म हुआ था। हर साल कार्तिक मास में पूर्णिमा पर गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। गुरु नानक जयंती को गुरु पूरब और प्रकाश पर्व नामों से भी जाना जाता है। भक्त इस दिन गुरुद्वारे दर्शन करने जाते हैं और मत्था टेकते हैं। गुरुद्वारों में इस दिन विशेष कीर्तन का आयोजन होता है। इस साल 27 नवंबर, सोमवार के दिन गुरु नानक जयंती पड़ रही है। यहां गुरु पूरब के शुभकामना संदेश दिए गए हैं जिन्हें आप भी अपने सभी परिचितों और दोस्तों को भेज सकते हैं। * गुरु नानक जयंती के शुभकामना संदेश:  वाहे गुरु जी का खालसा वह गुरु जी की फतेह जो बोले सो निहाल, सत श्रीअकाल गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं ! वाहे गुरु आप पर अपनी कृपा बरसाएं आपको और आपके परिवार को सुखी रखें गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं ! जो मांगो वो मिल जाए गुरु जी आप पर मेहर बरसाएं गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं ! खालसा का रूप हूं मैं खालसा में ही करूं निवास खालसा के जन्मदिन पर आप सबको ढेर सारा आर्शीवाद गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं ! नानक नाम जहाज है जो जपे वो तर जाए सद गुरु आपका प्यार, हम सभी को मिल जाए गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं ! वाहे गुरु आपके चरणों में जीवन गुजर जाए आपके दिए ज्ञान की पूंजी से हमारी झोली भर जाए गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं ! प्रकाश पर्व आपके जीवन को रोशनी से भर दे आपके परिवार को सभी दुखों से दूर करे गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं ! वाहेगुरु का आशीष सदा, मिले ऐसी कामना है हमारी, गुरु की कृपा से आएगी, घर घर में खुशहाली गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं ! (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिये गुरु नानक जयंती किस दिन है, इस तरह गुरु पर्व की शुभकामनाएं भेजें। Know on which day guru nanak jayanti is, send guru parv wishes like this

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कार्तिक पूर्णिमा पर ये काम करने से भगवान हरि प्रसन्न हो सकते हैं। Lord hari can be pleased by doing these things on kartik purnima

कार्तिक पूर्णिमा पर ये काम करने से भगवान हरि प्रसन्न हो सकते हैं। Lord hari can be pleased by doing these things on kartik purnima

हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। मान्यतानुसार इस दिन स्नान-दान करने को बेहद शुभ माना जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है। इस साल कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 26 नवंबर, रविवार के दिन दोपहर 3 बजकर 53 मिनट से शुरू हो रही है और पूर्णिमा तिथि का समापन 27 नवंबर, सोमवार दोपहर 2 बजकर 45 मिनट पर होगा। इस चलते 27 नवंबर के दिन पूर्णिमा मनाई जाएगी। मान्यतानुसार पूर्णिमा पर भक्त यदि पूरे मनोभाव से श्री हरि की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसन्न करते हैं तो भक्तों को श्री हरि की विशेष कृपा मिलती है और जीवन में खुशहाली आती है। * कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करना:  – मान्यतानुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करना बेहद शुभ होता है। कहते हैं इससे व्यक्ति के सब पाप धुल जाते हैं। जो लोग पवित्र नदी तक नहीं जा सकते वे घर में बाल्टी में गंगाजल को सादे पानी में मिलाकर भी स्नान करते हैं। – इस दिन घर का साफ-सुथरा होना अनिवार्य माना जाता है। घर में गंदगी हो तो श्री हरि ऐसे घर से दूर रहते हैं। इसीलिए सफाई का ध्यान रखना जरूरी होता है। सफाई वाले घर में ही मां लक्ष्मी का भी आगमन होता है। – इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करना भी शुभ है। मां लक्ष्मी और तुलसी माता की पूजा की जा सकती है। – कार्तिक पूर्णिमा पर दान का विशेष महत्व है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने पर शुभ फल की प्राप्ति होती है। – धार्मिक मान्यतानुसार पूर्णिमा के दिन शाम के समय दीप जलाना और दीपदान करना शुभ होता है। घर में दीये जलाने पर विशेष लाभ मिलता है। – भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के क्रम में कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए। इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ने से परहेज करना चाहिए। तुलसी के पत्ते तोड़ने पर भगवान विष्णु क्रोधित हो सकते हैं। – शराब और मांसाहार का सेवन करने से बचना चाहिए. कार्तिक पूर्णिमा पर सात्विक भोजन करने की सलाह दी जाती है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   कार्तिक पूर्णिमा पर ये काम करने से भगवान हरि प्रसन्न हो सकते हैं। Lord hari can be pleased by doing these things on kartik purnima

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जानिए शुक्र प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा, शुक्र प्रदोष व्रत की कथा के बारे में - Know when shukra pradosh fast will be observed, about the story of shukra pradosh fast

जानिए शुक्र प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा, शुक्र प्रदोष व्रत की कथा के बारे में – Know when shukra pradosh fast will be observed, about the story of shukra pradosh fast

कार्तिक माह का प्रदोष व्रत बेहद खास माना जाता है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा से भक्तों के घोर से घोर कष्ट दूर हो जाते हैं। अगर प्रदोष व्रत शुकवार के दिन होता है तो उसका महत्व और बढ़ जाता है। इस बार कार्तिक माह के दोनों प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन हैं। पहला व्रत 10 नवंबर को था और अब दूसरा प्रदोष व्रत भी शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। आइए जानते हैं शुक्र प्रदोष व्रत की कथा। * कब है कार्तिक प्रदोष व्रत:  हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत का दिन होता है। कार्तिक माह का पहला प्रदोष व्रत 10 नवंबर शुक्रवार को रखा गया है और दूसरा प्रदोष व्रत 24 नवंबर, शुक्रवार को है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 नवंबर को रात 7 बजकर 6 मिनट से शुरू होकर 25 नवंबर को 5 बजकर 22 मिनट तक है। पूजा का शुभ मूहुर्त 24 नवंबर को रात 7 बजकर 6 मिनट से रात 8 बजकर 6 मिनट तक है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। * शुक्र प्रदोष व्रत कथा:  प्राचीन समय में किसी नगर में तीन मित्र निवास करते थे। उनमें एक राजकुमार, एक ब्राह्मण कुमार और एक घनिक पुत्र था। तीनों मित्रों का विवाह हो चुका था। घनिक पुत्र का गौना नहीं हुआ था। एक दिन तीनों मित्र अपनी अपनी पत्नी की चर्चा कर रहे थे। ब्राह्मण कुमार ने कहा जिस घर में स्त्री नहीं होती है वहां भूतों का वास होता है। यह सुनकर घनिक पुत्र अपनी पत्नी को तुरंत घर लाने का निश्चय करता है। वह अपनी पत्नी को लाने सुसराल पहुंच गया। लेकिन, शुक्र के अस्त चलने के कारण पत्नी के माता-पिता पुत्री को विदा नहीं करना चाहते थे, धनिक पुत्र उनकी बात नहीं माना और जबरन अपनी पत्नी को साथ ले गया। रास्ते में बैलगाड़ी का पहिया टूट गया और दोनों घायल हो गए। कुछ दूर बाद उनका सामना डाकुओं से हो गया। डाकुओं ने दोनों को लूट लिया। किसी तरह दोनों घर पहुंचे। घर पहुंचते ही धनिक पुत्र को सांप ने काट लिया। वैद्य ने कहा मृत्यु निश्चित है। यह समाचार जान कर दोनों मित्र वहां पहुंचे और धनिक पुत्र के माता-पिता से शुक्र प्रदोष का व्रत रखने को कहा। उन्होंने बहु और बेटे को साथ उसके माता-पिता के पास भेजने के लिए कहा क्योंकि शुक्र के अस्त होने पर बेटी को विदा नहीं करना चाहिए। धनिक ने ऐसा ही किया। पत्नी के माता-पिता के घर पहंचते ही धनिक पुत्र ठीक हो गया। इस चलते मान्यतानुसार शुक्र प्रदोष व्रत करने से घोर कष्ट भी दूर हो सकते हैं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए शुक्र प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा, शुक्र प्रदोष व्रत की कथा के बारे में – Know when shukra pradosh fast will be observed, about the story of shukra pradosh fast

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अगर तुलसी का पौधा सूख जाए तो इस नियम का पालन करें और उसे गमले से हटा दें। If the basil plant dries up, follow this rule and remove it from the pot

अगर तुलसी का पौधा सूख जाए तो इस नियम का पालन करें और उसे गमले से हटा दें। If the basil plant dries up, follow this rule and remove it from the pot

हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है। यह हर घर के आंगन या फिर बालकनी में लगा मिल जाता है। घर के बड़े बुजुर्गों के दिन की शुरूआत इनको जल देने के साथ होती है। इस पौधे के होने से घर में सकारात्मकता आती है। लेकिन कई बार इसका ठीक ढ़ंग से ख्याल रखने के बावजूद यह पौधा सूखने लगता है। ऐसे में कई लोग गमले से तुरंत उखाड़कर फेंक देते हैं, जो कि ठीक नहीं।  * तुलसी के सूखे पौधे को कैसे हटाएं गमले से:  1- शास्त्रों के अनुसार, तुलसी के पौधे को चंद्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण, अमावस्या, एकादशी, पितृ पक्ष, रविवार और पूर्णिमा के दिन गमले से नहीं हटाना चाहिए। इन सात दिनों के अलावा आप कभी भी तुलसी के पौधे को हटा सकते हैं। वहीं, तुलसी के पौधे को हटाने से पहले उसको जल चढ़ाएं ताकि मिट्टी गिली हो जाए। इसके बाद भी आप उसे उखाड़िए। 2- सूखे तुलसी पौधे में जल देने के बाद आप विष्णु जी का नमन करें। फिर आप खुरपी की मदद से इस पौधे को गमले से हटा दीजिए। इसके बाद बहते जल में इसे प्रवाहित कर दीजिए। वहीं, आप तुलसी के सूखे हुए पौधे को मुख्य दरवाजे पर बांधने से घर में देवी लक्ष्मी का प्रवेश होता है और सुख शांति बनी रहती है। 3- इसके अलावा आप सूखे तुलसी के पौधे की लकड़ियों को स्टोर करके भी रख सकते हैं। इसका इस्तेमाल आप आहुति में कर सकते हैं। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आएगी। वहीं, आप तुलसी की 7 लकड़ियों में सूत या फिर रूई लपेटकर घी में डुबो दीजिए फिर आप उसे दीपक में रखकर जला दीजिए। इससे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। 4- आप सूखे तुलसी के पत्तों को भगवान विष्णु को भी चढ़ा सकते हैं। इसके अलावा आप भगवान और श्री कृष्ण को चढ़ाइए। यह भी तरीका अच्छा होता है घर की सकारात्मता बनाए रखने के लिए। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   अगर तुलसी का पौधा सूख जाए तो इस नियम का पालन करें और उसे गमले से हटा दें। If the basil plant dries up, follow this rule and remove it from the pot

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यहां जानिए धनतेरस के दिन पूजा और खरीदारी के शुभ मुहूर्त के बारे में - Know here about the auspicious time for worship and shopping on dhanteras

यहां जानिए धनतेरस के दिन पूजा और खरीदारी के शुभ मुहूर्त के बारे में – Know here about the auspicious time for worship and shopping on dhanteras

हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस के त्योहार से दीपावली के महोत्सव की शुरुआत हो जाती है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है और इस दिन सोना चांदी और कई तरह की खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त होता है। मान्यता है कि इस दिन जिन चीजों की खरीदारी की जाती है, उनमें 13 गुणा वृद्धि होती है। धनतेरस के दिन धन की प्रतीक मां महालक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। इससे घर में धन संपत्ति और वैभव का आगमन होता है। इस बार धनतेरस का पर्व 10 नवंबर को मनाया जाएगा। * धनतेरस पर लक्ष्मी और कुबेर पूजन का शुभ मुहूर्त:  धनतेरस की त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से आरंभ हो जाएगी। त्रयोदशी तिथि अगले दिन यानी 11 नवंबर को दोपहर एक बजकर 57 मिनट तक रहेगी। 10 नवंबर को धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में की जाएगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सायंकाल 5.47 से आरंभ हो रहा है। इस समय गणेश जी, लक्ष्मी मां और कुबेर की पूजा की जा सकेगी और यह शुभ मुहूर्त सायंकाल 7 बजकर 47 मिनट तक मान्य रहेगा। इसी दौरान घरों में पूजा के बाद यम का दीपक जलाने का भी प्रावधान है। * धनतेरसपर सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त:  धनतेरस पर सोना चांदी या अन्य चीजों की खरीदारी का शुभ मुहूर्त दोपहर से ही शुरु हो रहा है। इस दिन सोना खरीदने का शुभ समय दोपहर को 12 बजकर 35 मिनट से शुरू हो रहा है और ये मुहूर्त अगले दिन यानी 11 नवंबर को सुबह 6 बजकर 40 मिनट तक मान्य रहेगा। इस दौरान लोग सोना चांदी, जवाहरात और अन्य चीजों की खरीदारी कर सकेंगे। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   यहां जानिए धनतेरस के दिन पूजा और खरीदारी के शुभ मुहूर्त के बारे में – Know here about the auspicious time for worship and shopping on dhanteras

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