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इन खूबसूरत संदेशों के साथ ईद-मिलाद-उन-नबी की बधाई दें। Wish eid-milad-un-nabi with these beautiful messages.

इन खूबसूरत संदेशों के साथ ईद-मिलाद-उन-नबी की बधाई दें। Wish eid-milad-un-nabi with these beautiful messages.

मुस्लिम समुदाय के प्रमुख त्योहारों में से एक ईद-मिलाद-उन-नबी 28 सितंबर गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। यह त्योहार इस्लाम धर्म की स्थापना करने वाले पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को समर्पित है। ऐसे में इस दिन एक दूसरे को बधाई संदेश भेजने के लिए यहां पर कुछ कोट्स दिए जा रहे हैं जिसे आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भेज सकते हैं। ईद-ए-मिलाद-उन नबी बधाई संदेश 1- आया है आज का दिन ये मुबारक सजी है रौनकों की महफिल हर तरफ ईद है उस खुदा का नायाब तोहफा। आप सबको ईद मिलाद उन नबी मुबारक 2- वो चांद का चमकना, वो मस्जिदों का सवरना, वो मुसलमानों की धूम। ईद-ए-मिलाद-उन नबी मुबारक 3- दीपक में अगर नूर न होता, तन्हा दिल यूँ मजबूर ना होता, पास आकर गले न मिल पाएंगे, पर दूर से ही दिल तो मिलाएंगे। 4- ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मुबारक.दुनिया की हर फ़िज़ा में उजाला रसूल का, ये सारी क़ायनात सदका रसूल का, खुशबू-ए-गुलाब है प्यार रसूल का, आप को भी हो मुबारक महीना रसूल का ! ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की मुबारकबाद ! 5- तमन्ना आपकी सब पूरी हो जाए, हो आपका मुकद्दर इतना रोशन की, आमीन कहने से पहले ही आपकी हर दुआ कबूल हो जाए ईद-ए-मिलाद-उन नबी मुबारक 6- मुबारक मौका अल्लाह ने अता फरमाया, एक बार फिर बंदगी की राह पर चलाया, अदा करना अपना फर्ज़ खुदा के लिए मुबारक आपको ईद-मिलाद-उन-नबी ! 7- सोचा किसी अपने से बात करू, अपने किसी खास को याद करू, किया जो फैसला ईद-मिलाद-उन-नबी कहने का, दिल ने कहा क्यों न आपसे शुरुआत करें ! (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   इन खूबसूरत संदेशों के साथ ईद-मिलाद-उन-नबी की बधाई दें। Wish eid-milad-un-nabi with these beautiful messages.

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रसोई में रखी ये चीजें मां अन्नपूर्णा को नाराज कर सकती हैं, माना जाता है कि इन्हें लाने से बरकत और खुशहाली पर प्रभाव पड़ सकता हैं। These things kept in the kitchen can anger mother annapurna, it is believed that bringing them can affect the blessings and happiness.

रसोई में रखी ये चीजें मां अन्नपूर्णा को नाराज कर सकती हैं, माना जाता है कि इन्हें लाने से बरकत और खुशहाली पर प्रभाव पड़ सकता हैं। These things kept in the kitchen can anger mother annapurna, it is believed that bringing them can affect the blessings and happiness.

आपके रोज के खाने से लेकर मां अन्नपूर्णा के घर में वास करने तक कई चीजों के हिसाब से किचन घर का काफी जरूरी हिस्सा बन जाता है। सभी अपने किचन की सजावट अपने हिसाब से करते हैं। अकसर लोग किचन में वास्तु का ख्याल नहीं रखते हैं। कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें किचन में रखने से वास्तु दोष लग सकता है और आपकी बरकत और खुशहाली पर प्रभाव पड़ सकता हैं। ऐसे में आप कंगाल भी हो सकते हैं। आज ही आपको इन चिजों को अपने किचन से हटा देना चाहिए। # इन 6 चीजों को किचन से तुरंत हटाएं:  * प्लास्टिक का स्टोरेज सेट कई लोग ऑनलाइन सस्ते मिलने वाले प्लास्टिक के स्टोरेज सेट अपने किचन में रखते हैं। लेकिन वास्तु के हिसाब से किचन में प्लास्टिक के बर्तन और डब्बे नहीं रखने चाहिए। इससे घर में नकारात्मक एनर्जी और स्वास्थ से जुड़ी समस्या भी पैदा हो सकती है। प्लास्टिक को इस्तेमाल करने से राहु ग्रह का दोष लग सकता है।  * दवाइयां किचन में दवाइयां या फर्स्ट एड कीट रखना वास्तु के हिसाब से गलत है। इसे किचन में रखने से धन हानि की समस्या पैदा हो सकती है। साथ ही इससे निगेटिव एनर्जी भी बढ़ सकती हैं।  * कचरे का डिब्बा अकसर लोग अपने किचन में ही कचरे का डिब्बा रखते हैं। इससे घर का सारा कूड़ा किचन में ही जाता है। कूड़ा नकारात्मकता की पहचान है। कचरे के डिब्बे को किचन में रखने से घर के सभी लोगों के सेहत पर गलत प्रभाव पड़ सकता हैं।  * शीशा किचन में आइना रखना अशुभ हो सकता है। खासतौर से ऐसा आइना जिसमें आपके चूल्हे की आग नजर आती हो, तो इसे तुरंत हटा दें। वास्तु के अनुसार शीशे की वजह से किचन में अधिक उर्जा का प्रवाह हो सकता है, जिससे किचन में आग और पानी का संतु्लन बिगड़ सकता है।  * टूटे हुए बर्तन टूटे हुए बर्तन किचन में रखना अशुभ फलदायी माना जाता है। ऐसे में माता लक्ष्मी नाराज होती हैं और धन हानि की आशंका बढ़ती हैं। साथ ही इससे घर में दरिद्रता और दुर्भाग्य भी बढ़ता है। किचन में भुलकर भी टूटे कप, प्लेट, तवा, जैसी कोई भी चीज न रखें।  * झाड़ू वास्तु के अनुसार झाडू को कभी किचन में नहीं रखना चाहिए। हालांकि झाडू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, लेकिन किचन में इसे रखना बहुत अशुभ होता है। इससे घर के लोगों के बीच विश्वास कम होता है और घर में सुख-शांति खत्म होती हैं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   रसोई में रखी ये चीजें मां अन्नपूर्णा को नाराज कर सकती हैं, माना जाता है कि इन्हें लाने से बरकत और खुशहाली पर प्रभाव पड़ सकता हैं। These things kept in the kitchen can anger mother annapurna, it is believed that bringing them can affect the blessings and happiness.

रसोई में रखी ये चीजें मां अन्नपूर्णा को नाराज कर सकती हैं, माना जाता है कि इन्हें लाने से बरकत और खुशहाली पर प्रभाव पड़ सकता हैं। These things kept in the kitchen can anger mother annapurna, it is believed that bringing them can affect the blessings and happiness. Read More »

जानिए किस दिन है संतान सप्तमी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि - Know on which day is santan saptami, know the auspicious time and method of worship.

जानिए किस दिन है संतान सप्तमी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि – Know on which day is santan saptami, know the auspicious time and method of worship.

हिन्दू व्रत-त्योहारों में संतान सप्तमी को एक जरूरी व्रत माना जाता है। इसे हर मां नए संतान प्राप्ति के लिए,उसकी तरक्की और उसकी लंबी उम्र के लिए करती हैं। इस व्रत को हर वर्ष भाद्रपद महीने की शुक्लपक्ष के सप्तमी तिथि के दिन किया जाता है। कई लोग इसे मुक्ताभरण व्रत  और ललिता सप्तमी व्रत के नाम से भी जानते हैं। संतान सप्तमी के दिन भगवान सूर्य और शंकर-पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन का व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है, संतान दीर्धायु होती हैं और उनके सभी दुखों का नाश होता है। आइए जानते हैं कि इस साल इस व्रत को करने का सही मूहूर्त क्या है और इसे किस दिन किया जाएगा। हर वर्ष भाद्रपद महीने की शुक्लपक्ष के सप्तमी तिथि के दिन किया जाने वाला संतान सप्तमी का व्रत इस साल 22 सितंबर 2023, शुक्रवार को है। संतान की सुख-समृद्धि के लिए इस व्रत को सबसे उत्तम माना जाता है। इस साल इसी दिन से महालक्ष्मी व्रत की भी शुरूआत हो रही हैं। माना जाता है कि आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए महालक्ष्मी व्रत बहुत लाभदायक होता है। इससे मां सक्ष्मी जल्दी प्रसन्न होती हैं। # व्रत का सही मुहूर्त:  हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल के भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 21 सितंबर 2023 को दोपहर 2:14 बजे शुरू होकर 22 सितंबर 2023 को दोपहर 1:35 बजे खत्म होगी। इसी बीच महिलाएं व्रत रखेंगी और भगवान शिव के साथ माता गौरी का ध्यान करके व्रत करेंगी।  – ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 4:35 से सुबह 5:22 तक  – अभिजित मुहूर्त : सुबह 11:49 से दोपहर 12:38 तक  – गोधूलि मुहूर्त : शाम 6:18 से शाम 6:42 तक  – अमृत काल : सुबह 6:47 से सुबह 8:23 तक (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए किस दिन है संतान सप्तमी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि – Know on which day is santan saptami, know the auspicious time and method of worship.

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जानिए गणेश चतुर्थी पर मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री के बारे में। Know about the auspicious time and worship materials for installing the idol on ganesh chaturthi.

जानिए गणेश चतुर्थी पर मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री के बारे में। Know about the auspicious time and worship materials for installing the idol on ganesh chaturthi.

हर साल गणेश उत्सव भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है जिसका समापन अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की विदाई के साथ होता है। 10 दिनों तक चलने वाला यह उत्सव इस साल 19 सितंबर दिन मंगलवार से शुरू होने जा रहा है। इस दौरान भक्त सुबह शाम बप्पा की पूजा अर्चना करते हैं और उनके मनपसंद भोजन का भोग लगाते हैं। मान्यता है कि भगवान गणेश की विधि-विधान के साथ पूजा करने से सारे कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है, साथ ही कारोबार में उन्नति होती है। आपको बता दें कि ज्यादातर लोग गणेश चतुर्थी को बप्पा की मूर्ति घर लाते हैं जिसकी 10 दिन तक विधिपूर्वक पूजा अर्चना करते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं  # गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त –  पंचांग के अनुसार, 18 सितंबर 2023 के दिन चतुर्थी तिथि दोपहर 2 बजकर 09 मिनट से शुरू होगी जो अगले दिन यानि 19 सितंबर दिन मंगलवार को 03 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। # मूर्ति स्थापना शुभ मुहूर्त –  पंचांग के अनुसार 19 सितंबर को मूर्ति स्थापना का समय 11 बजकर 08 मिनट से दोपहर 01 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। मूर्ति स्थापना के लिए आपको लाल या पीला वस्त्र चाहिए, चौकी बप्पा की प्रतिमा रखने के लिए, बप्पा के लिए वस्त्र घी का दीया, शमी का पत्ता, गंगाजल, पंतामृत, सुपारी, जनेऊ, मोदक, चंदन, अक्षत, धूप, फल, फूल और दूर्वा चाहिए। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए गणेश चतुर्थी पर मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री के बारे में। Know about the auspicious time and worship materials for installing the idol on ganesh chaturthi.

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जानिये घर के मंदिर की सफाई किस दिन करनी चाहिए,वरना पड़ सकते हैं मुश्किल में - Know on which day the home temple should be cleaned, otherwise you may get into trouble.

जानिये घर के मंदिर की सफाई किस दिन करनी चाहिए,वरना पड़ सकते हैं मुश्किल में – Know on which day the home temple should be cleaned, otherwise you may get into trouble.

सनातन धर्म मानने वालों के घर में पूजा पाठ के लिए मंदिर जरूर होता है। शास्त्रों में घर में मंदिर रखने के कई नियम बताए गए हैं। इन नियमों के पालन से न सिर्फ भगवान की कृपा प्राप्त होती है बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास भी होता है। घर के मंदिर की समय समय पर साफ सफाई भी जरूरी होती है।  घर के मंदिर की सफाई के लिए शनिवार का दिन सबसे अच्छा होता है। इस दिन मंदिर की सफाई करने से घर की नकारात्मक एनर्जी समाप्त हो जाती है। धन की तंगी और बाकि कष्ट भी दूर हो जाते हैं। मंदिर में जलाए जाने वाले दीपक की नियमित सफाई करनी चाहिए। मंदिर की साफ सफाई के बाद गंगाजल छिड़क देना चाहिए। कभी भी रात में घर के मंदिर की सफाई नहीं करनी चाहिए। मान्यता है कि संध्या आरती के बाद भगवान के शयन का समय होता है। उस समय सफाई से भगवान के शयन में बाधा आ सकती है। इसके साथ ही एकादशी और गुरुवार को भी मंदिर की सफाई नहीं करनी चाहिए। एकादशी और गुरुवार को मंदिर की सफाई से घर में दरिद्रता और दुर्भाग्य आ सकता है। रात के समय सफाई से धन की देवी लक्ष्मी रूठ सकती हैं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिये घर के मंदिर की सफाई किस दिन करनी चाहिए,वरना पड़ सकते हैं मुश्किल में – Know on which day the home temple should be cleaned, otherwise you may get into trouble.

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जानिए विश्वकर्मा पूजा की तिथि, पूजा का समय और पूजा की विधि - Know the date of vishwakarma puja, time of puja and method of puja

जानिए विश्वकर्मा पूजा की तिथि, पूजा का समय और पूजा की विधि – Know the date of vishwakarma puja, time of puja and method of puja

हिंदू धर्म में विश्वकर्मा भगवान का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार हर साल 17 सितंबर को कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष भी 17 सितंबर, रविवार के दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाएगी। सृष्टि के रचियता ब्रह्मा के पुत्र भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का प्रथम शिल्पकार माना जाता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन यंत्र और औजारों की पूजा की जाती है।  विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर, रविवार को कन्या संक्राति के दिन मनाई जाएगी। इस दिन पूरे दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जा सकती है लेकिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक हैं. एक और मुहूर्त है जिसे और भी खास माना गया है जो 17 सितंबर, रविवार को दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से 3 बजकर 30 मिनट तक का है। विश्वकर्मा पूजा के दिन कामकाज में आने वाले हर तरह के औजार व यंत्रों की साफ सफाई करनी चाहिए। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान विश्वकर्मा का चित्र स्थापित कर विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए। इसके लिए मिठाई, फल फूल, अक्षत, पंचमेवा और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। आरती के बाद प्रसाद बांटना चाहिए। मान्यता है कि प्राचीन काल के सभी प्रसद्ध नगरों का निर्माण विश्वकर्मा भगवान ने किया है। यहां तक कि उन्होंने स्वर्ग से लेकर लंका, द्वारका जैसे नगरों के साथ साथ भगवान शंकर के त्रिशूल, हनुमान भगवान की गदा, यमराज का कालदंड, कर्ण के कुंडल व कवच तक का निर्माण किया है। इसलिए हर तरह के यंत्रों और औजारों से अच्छी तरह से काम करने के लिए भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद की जरूरत होती है। विश्वकर्मा पूजा के दिन विधिविधान से उनकी पूजा करने से सालों भर भक्तों पर उनकी कृपा बनी रहती है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए विश्वकर्मा पूजा की तिथि, पूजा का समय और पूजा की विधि – Know the date of vishwakarma puja, time of puja and method of puja

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हरतालिका तीज का व्रत किस दिन मनाया जा रहा है, जानिए पूजा विधि, समय - On which day is the fast of hartalika teej being observed, know the puja method and time.

हरतालिका तीज का व्रत किस दिन मनाया जा रहा है, जानिए पूजा विधि, समय – On which day is the fast of hartalika teej being observed, know the puja method and time.

हरतालिका तीज का व्रत सुहागिनों के सबसे बड़े उपवासो में से एक है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं। यह व्रत पति की लंबी आयु, सुखी वैवाहिक जीवन और संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस बार हरतालिका तीज कब है और पूजा का शुभ मुहूर्त कितने बजे तक है। – हरतालिका तीज 17 सितंबर 11 बजकर 08 मिनट से शुरू होगा जो अगले दिन यानी 18 सितंबर दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। उदयातिथि 18 को पड़ रही है इस लिहाज से हरतालिका उपवास 18 को रखा जाएगा। – आपको बता दें कि पूजन मुहूर्त 18 सितंबर को सुबह 06 बजकर 07 मिनट से सुबह 8 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। यानी पूजन की कुल अवधि 02 घंटे 27 मिनट है। # हरतालिका तीज पूजा विधि: – सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें। साफ कपड़े पहनें। इसके बाद मिट्टी से भगवान शिव, गणेश और देवी पार्वती की प्रतिमा बनाएं। – इसके बाद भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव को फूल, बेलपत्र और शमि की पत्ती चढ़ाएं। साथ ही देवी पार्वती को सिंगार का सामान अर्पित करें। फिर आप गणेश आरती करें। इसके बाद भोग लगाएं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   हरतालिका तीज का व्रत किस दिन मनाया जा रहा है, जानिए पूजा विधि, समय – On which day is the fast of hartalika teej being observed, know the puja method and time.

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इन स्वादिष्ट व्यंजनों के बिना अधूरी है छठ पूजा की थाली - Chhath puja thali is incomplete without these delicious dishes.

इन स्वादिष्ट व्यंजनों के बिना अधूरी है छठ पूजा की थाली – Chhath puja thali is incomplete without these delicious dishes.

हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के पष्ठी तिथि को सूर्य अराधना का महापर्व छठ मनाया जाता है। इस दिन अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है जबकि अगली सुबह उदयाचल सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी तिथि को नहाए खाए से इस महापर्व की शुरुआत होती है। अगले दिन यानी पंचमी को खरना और पष्ठी को अस्ताचल सूर्य नमन और सप्तमी को उदयादन सूर्य नमन के साथ यह महापर्व समाप्त होता है। आइए जानते हैं जानते है छठ महावर्प पर बनते हैं कौन कौन से खास व्यंजन। इस वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के पष्ठी तिथि 19 नवबंर रविवार को है। इसलिए 17 नवंबर शुकवार को नहाए खाए, 18 नवंबर शनिवार को खरना, 19 को डूबते सूर्य को अर्घ्य और, 20 को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ में बनाए जाने वाले खास व्यंजन :  कद्दूभात  नहाए खाए के दिन बगैर लहसुन प्याज के दाल चावल और कद्दू की सब्जी बनाई जाती है। खास देसी घी में इस कद्दू की सब्जी का छौंक लगाया जाता है। पूड़ी और हरे चने की सब्ज़ी हर छठी व्रत की थाली में कद्दू की सब्जी के साथ-साथ देसी घी में तली हुई पुड़िया और हरे चने की सब्जी जरूर मिलेगी। छठ के मौके पर हरे चने की सब्जी बनाना शुभ माना जाता है। चावल और गुड़ की खीर दूसरे दिन खरना के लिए संध्या में प्रसाद के लिए गुड़ और चावल की खीर और पूड़ी बनाई जाती है और व्रती उसे ग्रहण करते हैं। इसके साथ ही परिजनों और मित्रों को भी यह प्रसाद खिलाया जाता है। विशेष प्रसाद ठेकुआ छठ में आटे और गुड़ से विशेष प्रसाद ठेकुआ तैयार किया जाता है। इसके लिए शुद्धता का पूरा ध्यान रखकर गेहूं से आटा पिसवाने के बाद उसे गुड़ की चाशनी से गूंथा जाता है और ठेकुए के आकार में घी में तला जाता है। इसे खजुरिया या ठिकारी भी कहते हैं। पारण के दिन कढ़ी-चावल और आलू के बजके 36 घंटे के निर्जला व्रत के बाद व्रतियों के पारण के लिए कढ़ी चावल के साथ आलू के बजके बनाए जाते हैं। इसके साथ ही तरह तरह की हरी सब्जियों से व्रती की थाली भरी जाती है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   इन स्वादिष्ट व्यंजनों के बिना अधूरी है छठ पूजा की थाली – Chhath puja thali is incomplete without these delicious dishes.

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जानिए प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में। Know about the date, auspicious time and method of worship of pradosh vrat.

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धार्मिक मान्यतानुसार प्रदोष व्रत का अत्यधिक महत्व होता है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह भाद्रपद का महीना चल रहा है और इस दौरान भौम प्रदोष व्रत रखा जाने वाला है। यह प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन रखा जाएगा और मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है।  पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। सिंतबर और भाद्रपद माह का यह पहला प्रदोष होगा जो कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर यानी 12 सितंबर के दिन रखा जाएगा। मंगलवार होने के चलते यह भौम प्रदोष व्रत होगा। त्रयोदशी तिथि 11 सितंबर की रात 11 बजकर 52 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन 13 सितंबर सुबह 2 बजकर 21 मिनट पर होगा। इस चलते व्रत की सही तारीख 12 सितंबर होगी। भौम प्रदोष व्रत में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 30 मिनट से रात 8 बजकर 49 मिनट तक है। मंगलवार के दिन पड़ने के चलते इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ बजरंगबली का पूजन भी किया जाता है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने पर और इस दिन पूजा करने पर जीवन के सभी दुखों से मुक्ति मिलती है और शारीरिक दुख कम होता है। परिवार के आरोग्य के लिए भक्त यह व्रत रखते हैं। कुंडली में मंगल को शांत करने के लिए भी इस व्रत को रखा जा सकता है। पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं। इसके बाद भोलेनाथ का ध्यान किया जाता है। प्रदोष व्रत की असल पूजा रात के समय की जाती है। बजरंगबली का पूजन भी भक्त रात में ही करते हैं। पूजा सामग्री में फल, फूल, धतूरा, गंगाजल, धूपबत्ती, सफेद फूल, चंदन, काले तिल और बेलपत्र आदि शामिल किए जाते हैं। भोलेनाथ की आरती की जाती है और भोग लगाकर पूजा का समापन होता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में। Know about the date, auspicious time and method of worship of pradosh vrat.

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जानिए इस साल किस दिन मनाई जाएगी छठ पूजा - Know on which day chhath puja will be celebrated this year.

जानिए इस साल किस दिन मनाई जाएगी छठ पूजा – Know on which day chhath puja will be celebrated this year.

छठ पूजा एक मात्र ऐसा पर्व है जिसे हिन्दू धर्म में महापर्व का दर्जा दिया गया है। मान्यताओं के मुताबिक इस पर्व को विधिवत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पूरे साल बच्चे-बुढ़े सभी इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं। छठ पूजा की सबसे अधिक धूम बिहार, झारखंड, बंगाल और यूपी में नजर आती हैं। इस पर्व में मुख्य रूप से डूबते और उगते सूर्य की पूजा की जाती है। लोग इससे जुड़ी तैयारियां अभी से शुरू कर देते हैं।  छठ पूजा सभी हिन्दुओं के लोक आस्था का महापर्व माना जाता है। ये पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, जो अक्टूबर और नवम्बर महीने के बीच ही आती है। इस साल छठ का महापर्व 17 नवंबर 2023 (शुक्रवार) को नहाय-खाए से शुरू होकर 20 नवंबर 2023 (सोमवार) को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा। नहाय खाए – 17 नवंबर 2023 खरना – 18 नवंबर 2023 डूबते सूर्य को अर्घ्य – 19 नवंबर 2023 उगते सूर्य को अर्घ्य – 20 नवंबर 2023 इस साल छठ पूजा की सही मुहूर्त की बात करें तो डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ समय शाम 5:26 बजे होगा और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का सही समय सुबह 6:47 बजे होगा। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा का ये पर्व लोक आस्था का महापर्व है। इस पूजा के दौरान मुख्य रूप से भगवान सूर्य और छठी मां की पूजा-अर्चना की जाती है। इस व्रत के दौरान व्रती सूर्य उदय और सूर्यास्त के समय सूर्य का ध्यान कर उन्हें अर्घ्य देता हैं। 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखने के कारण ये बहुत कठिन त्योहार होता है। छठ पूजा के दौरान महिलाएं अपने घर के पास किसी नदी या झील के किनारे जाकर भगवान सूर्य की पूजा करती हैं और उन्हें शुभ मुहूर्त में अर्घ्य देती हैं। इस पर्व में खास तौर से बनने वाला ठेकुआ को ही महाप्रसाद माना जाता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए इस साल किस दिन मनाई जाएगी छठ पूजा – Know on which day chhath puja will be celebrated this year.

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