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ऐसे करें पूजा घर की सफाई , चमकेगा मंदिर, प्रसन्न होंगे भगवान - Clean the pooja house like this, the temple will shine, god will be pleased.

ऐसे करें पूजा घर की सफाई , चमकेगा मंदिर, प्रसन्न होंगे भगवान – Clean the pooja house like this, the temple will shine, god will be pleased.

भारत में घर-घर में सुबह की सफाई एक रूटीन का हिस्सा होती हैं। मगर हमारे घर की मंदिरों की सफाई केवल बड़े त्योहारों पर ही होती हैं। इसलिए वही सबसे ज्यादा गंदे भी होते हैं। हर कोई सुबह उठकर घर में झाडू-पोंछा लगाने के बाद ही और कुछ करता हैं। कई लोग हर सुबह पूजा करना भी जरूरी मानते हैं। उसी प्रकार अगर आपने इन घरेलू तरीकों से अपने मंदिर की सफाई हफ्ते में 3 से 4 बार की तो आपका मंदिर नया जैसा चमकता रहेगा और भगवान भी आपसे प्रसन्न रहेंगे।  # ऐसे करें अपने घर के मंदिर की सफाई:  * खाली कर लें मंदिर अपने घर के मंदिर की अच्छी तरह सफाई करने के लिए सबसे पहले मंदिर को पूरी तरह से खाली कर लें। इससे सफाई करने में आसानी होगी। * मंदिर को करें साफ इसके बाद अपने मंदिर को अच्छी तरह भीगे, साफ कपड़ें से साफ करें। और अगर आपका मंदिर लकड़ी से बना हुआ हो तो ऑलिव ऑयल और नीबूं का भी इस्तेमाल करें। इससे मंदिर में नेचुरल चमक आएगी। * स्टोरेज स्पेस की सफाई मंदिर की अच्छी तरह सफाई करने के बाद अगर आपके मंदिर में कोई स्टोरेज स्पेस हो तो उसे साफ करें। इसके लिए सबसे पहले उसमें रखें सामान निकाल लें और उस बॉक्स की अच्छी तरह सफाई कर लें। फिर सभी चीजों में से जरूरत वाली चीजों को अलग कर लें और बेकार सामान हटा दें। * मूर्ति की सफाई अब मंदिर में रखें भगवान की सारी मूर्तियों की सफाई करें। इनकी सफाई में ज्यादा दिनों का गैप देने से ये अधिक गंदे नजर आते हैं। मूर्तियों की सफाई के लिए गंगाजल और नींबू का इस्तेमाल करें। * पूजा बर्तनों की सफाई पूजा घर में अगरबत्ती और धूप के कारण वहां रखें बर्तन काले हो जाते हैं। पीतल और तांबे के इन बर्तनों की सफाई के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ सकती हैं। इसके लिए सबसे पहले एक बढ़े पतीले में गर्म पानी लेकर उसमें इन बर्तनों को 30 मिनट के लिए डालकर छोड़ दें। इसके बाद नींबू पर नमक लगाकर या नींबू-सोडे के घोल से बर्तनों को अच्छी तरह साफ कर लें। * पूजा के कपड़ों की सफाई मंदिर में इस्तेमाल होने वाले कपड़े या मूर्तिययों पर चढ़ाए गए वस्त्रों पर तेल के दाग, काले धब्बे, आदि जम जाते हैं। इसे साफ करने के लिए गरम पानी में नींबू का रस और सिरका डालकर कपड़ों को इसमें 30 मिनट के लिए भीगों कर छोड़ दें। फिर बाद में इन्हें रगड़कर साफ कर लें और साफ पानी से धो लें।   ऐसे करें पूजा घर की सफाई , चमकेगा मंदिर, प्रसन्न होंगे भगवान – Clean the pooja house like this, the temple will shine, god will be pleased.

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सिर्फ जलाभिषेक ही नहीं, बल्कि ये चीजें भी शिवलिंग पर अर्पित की जा सकती हैं। Not only jalabhishek, but these things can also be offered on shivling.

सिर्फ जलाभिषेक ही नहीं, बल्कि ये चीजें भी शिवलिंग पर अर्पित की जा सकती हैं। Not only jalabhishek, but these things can also be offered on shivling.

सनातन धर्म में सोमवार का दिन भोलेनाथ यानी भगवान शिव को समर्पित किया गया है। भोलेनाथ सच्चे मन से प्रार्थना और पूजा करने वाले जातकों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। सोमवार की बात करें तो सोमवार के दिन शिवलिंग पर अभिषेक करने की परंपरा चली आ रही है। कहा जाता है कि शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। सोमवार के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने के साथ-साथ शिवलिंग पर कुछ खास चीजों के अभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होकर समस्त मनोकामनाएं पूरी करते हैं। चलिए जानते हैं कि जलाभिषेक के अलावा शिवलिंग पर क्या-क्या चढ़ाने से किन मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। # शिवलिंग पर इन चीजों से करें अभिषेक :   – शिवलिंग पर हरी मूंग की दाल चढ़ाने से सांसारिक जीवन की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जातक को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।  – अगर कोई जातक शनि की दशा से बहुत परेशान चल रहा है तो उसे शिवलिंग पर सोमवार के दिन काली दाल चढ़ानी चाहिए। इससे शनि की बाधा खत्म होती है।  – अगर मेहनत करने के बाद भी भाग्य चमक नहीं रहा है और हर कदम पर असफलता मिल रही है तो सोमवार के दिन शिवलिंग पर चने की दाल चढ़ानी चाहिए। इससे भाग्योदय होता है।  – अगर आप काफी लंबे समय से कर्ज से परेशान चल रहे हैं तो आपको सोमवार के दिन शिवलिंग पर लाल मसूर की दाल चढ़ानी चाहिए। इससे जल्द ही आपको कर्ज और अन्य तरह की सभी तकलीफों से मुक्ति मिल जाएगी। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   सिर्फ जलाभिषेक ही नहीं, बल्कि ये चीजें भी शिवलिंग पर अर्पित की जा सकती हैं। Not only jalabhishek, but these things can also be offered on shivling.

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मान्यता के अनुसार, जब देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं तो सपनों में ये शुभ संकेत दिखाई देने लगते हैं। According to belief, when goddess lakshmi is happy then these auspicious signs start appearing in dreams.

मान्यता के अनुसार, जब देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं तो सपनों में ये शुभ संकेत दिखाई देने लगते हैं। According to belief, when goddess lakshmi is happy then these auspicious signs start appearing in dreams.

हिंदू धर्म की मान्यतताओं के अनुसार माता लक्ष्मी धन की देवी कही जाती हैं। जिन लोगों पर माता लक्ष्मी की कृपा रहती है उनके जीवन में कभी सुख और समृद्धि की कमी नहीं होती है। लोग धन की देवी को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय करते हैं। मान्यता है कि मां लक्ष्मी जीवन में आने से पहले कोई न कोई संकेत जरूर देती हैं। ये संकेत कभी-कभी सपनों में भी मिलते हैं। आइए जानते हैं मान्यतानुसार सपनों में देवी लक्ष्मी के आगमन के कैसे संकेत मिलते हैं। स्वप्न शास्त्र के अनुसार अगर किसी को सपनों में लाल और पीले फूल दिखाई देते हैं तो इसका संबंध स्वर्ण लाभ से होता है। माता लक्ष्मी स्वर्ण लाभ के रूप में जीवन में आ सकती हैं। भारी वर्षा – सपने में भारी बारिश देखना भी शुभ होता है। अगर किसी व्यक्ति को सपने में बार-बार भारी बारिश नजर आ रही हो तो यह उसके जीवन में सुख भरे दिन आने का संकेत हो सकता है। मंदिर – सपने में मंदिर का नजर आना बहुत शुभ फल वाला होता है। इसका सीधा अर्थ होता है कि धन के देवता कुबेर आपसे प्रसन्न हैं और जल्द ही कहीं से धन की प्राप्ति होने वाली है। लाल साड़ी – लाल रंग देवी लक्ष्मी को प्रिय है इसलिए सपने में किसी को लाल साड़ी पहने देखना भी माता लक्ष्मी की कृपा की ओर संकेत देता है। इस सपने का बार-बार आना धन की देवी लक्ष्मी के आगमन को बताता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   मान्यता के अनुसार, जब देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं तो सपनों में ये शुभ संकेत दिखाई देने लगते हैं। According to belief, when goddess lakshmi is happy then these auspicious signs start appearing in dreams.

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दिलों को भक्ति से भरने के लिए जन्माष्टमी पर यह संदेश भेजें - Send this message on janmashtami to fill hearts with devotion.

दिलों को भक्ति से भरने के लिए जन्माष्टमी पर यह संदेश भेजें – Send this message on janmashtami to fill hearts with devotion.

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जन्माष्टमी मनाई जाती है। मान्यतानुसार श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी को और भी कई नामों से जाना जाता है, जैसे कृष्ण अष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयंती और श्री जयंती आदि। इस साल 6 सितंबर के दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है। वहीं, दही हांडी उत्सव 7 सितंबर के दिन मनाया जा रहा है। इस शुभ अवसर पर आप अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिचितों को भक्तिभरे संदेश भेज सकते हैं। जन्माष्टमी के शुभकामना संदेश –  कृष्ण जिनका नाम गोकुल जिनका धाम, ऐसे श्री कृष्ण भगवान को हम सब का प्रणाम. जन्माष्टमी की शुभकानाएं! मक्खन का कटोरा, फूलों की बहार, मिश्री की मिठास, मैया का प्यार और दुलार, मुबारक हो सबको जन्माष्टमी का त्योहार. जन्माष्टमी की शुभकानाएं! राधा संग गोपियों की चाहत है कान्हा, हमारे हृदय की विरासत है कान्हा. जन्माष्टमी की शुभकानाएं! राधा की भक्ति मुरली की मिठास, माखन का स्वाद और गोपियों का रास, सब मिलकर बनाते हैं जन्माष्टमी का दिन खास. जन्माष्टमी की शुभकानाएं! श्री कृष्ण के कदम आपके घर आएं आप खुशियों के दीप जलाएं परेशानी आपसे आंख चुराए. जन्माष्टमी की शुभकानाएं! माखन चोर नन्द किशोर बांधी जिसने प्रीत की डोर, हरे कृष्ण हरे मुरारी पूजती जिन्हें दुनिया सारी. जन्माष्टमी की शुभकानाएं! नन्द के घर आनंद ही आनंद भयो, जो नन्द के घर गोपाल आयो, जय हो मुरलीधर गोपाल की जय हो कन्हिया लाल की. जन्माष्टमी की शुभकानाएं! राधे-राधे जपो चले आएंगे बिहारी, आएंगे बिहारी चले आएंगे बिहारी. जन्माष्टमी की शुभकानाएं! कण-कण में है वो, जीवन के हर रंग में है वो, अंग-अंग में हैं वो, हर व्यक्ति के संग में हैं वो. जन्माष्टमी की शुभकानाएं! (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   दिलों को भक्ति से भरने के लिए जन्माष्टमी पर यह संदेश भेजें – Send this message on janmashtami to fill hearts with devotion.

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श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए जन्माष्टमी पर इस प्रकार करें लड्डू गोपाल का श्रृंगार। To please shri krishna, on janmashtami, make up of laddu gopal in this way.

श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए जन्माष्टमी पर इस प्रकार करें लड्डू गोपाल का श्रृंगार। To please shri krishna, on janmashtami, make up of laddu gopal in this way.

हर साल श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। मान्यतानुसार श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का अवतार हैं। पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जन्माष्टमी पड़ती है। इस साल 6 सितंबर के दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और अपने आराध्य श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बाल गोपाल की पूजा करते हैं। जन्माष्टमी पर विशेषकर रात्रि जागरण का आयोजन होता है, झांकी तैयार की जाती है जिसमें छोटे-छोटे बच्चों को भगवान की तरह तैयार करके बैठाया जाता है। इनमें दो बच्चे राधा-कृष्ण भी बनते हैं और श्रीकृष्ण की बचपन की अठखेलियों का प्रदर्शन करते हैं। इस अवसर पर बाल गोपाल को पूरे मनोभाव से तैयार भी किया जाता है। जानिए बाल गोपाल के श्रृंगार में किन-किन चीजों को कर सकते हैं सम्मिलित। जन्माष्टमी के अवसर पर बाल गोपाल का श्रृंगार करने से पूर्व बाल गोपाल की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराया जाता है और नए स्वच्छ वस्त्र पहनाए जाते हैं। इसके बाद मान्यतानुसार श्रृंगार किया जाता है। बाल गोपाल को जो वस्त्र पहनाए जाते हैं उनका विशेषकर ध्यान रखा जाता है। इन वस्त्रों में हरे, लाल, और पीले रंग के वस्त्र अत्यधिक शुभ माने जाते हैं। इसके अलावा मोरपंख या फूलों से बने वस्त्र भी पहनाए जा सकते हैं। बाल गोपाल के सिर पर मोर मुकुट पहनाया जाता है। मोर मुकुट को बाल गोपाल का अभिन्न अंग भी माना जाता है और श्रृंगार सामग्री में मुख्य रूप से इसे शामिल किया जाता है। बांसुरी का जिक्र आते ही मन में श्रीकृष्ण की याद हो आती है। ऐसे में बाल गोपाल का श्रृंगार बांसुरी के बिना अधूरा है। बाल गोपाल को आभूषण पहनाए जाते हैं वो सोने या चांदी के भी हो सकते हैं। इन आभूषणों में बाजूबंद, कड़े, कानों की बालियां या कुंडल हो सकते हैं। पायल और कमरबंध भी बाल गोपाल को पहनाने शुभ माने जाते हैं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए जन्माष्टमी पर इस प्रकार करें लड्डू गोपाल का श्रृंगार। To please shri krishna, on janmashtami, make up of laddu gopal in this way.

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जानिए कल किस समय बांधनी चाहिए राखी, भद्रा काल का समय और राखी का शुभ मुहूर्त - Know at what time rakhi should be tied tomorrow, time of bhadra kaal and auspicious time of rakhi.

जानिए कल किस समय बांधनी चाहिए राखी, भद्रा काल का समय और राखी का शुभ मुहूर्त – Know at what time rakhi should be tied tomorrow, time of bhadra kaal and auspicious time of rakhi.

रक्षाबंधन इस साल एक नहीं बल्कि 2 दिनों का मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन की तिथि और शुभ मुहूर्त को लेकर सभी में उलझन की स्थिति बन गई है। खासकर यह समझना मुश्किल हो रहा है कि भाई की कलाई पर 30 अगस्त को राखी बांधना सही रहेगा या फिर 31 अगस्त के दिन राखी बांधनी चाहिए। पंचांग की मानें तो 30 अगस्त के दिन भद्रा काल लग रहा है। भद्रा काल लगने का मतलब है भद्रा का साया। मान्यतानुसार, भद्रा के साये में राखी बांधना शुभ नहीं होता है। ऐसे में राखी किस दिन, किस समय और किस मुहूर्त में बांधनी चाहिए। भाई बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक है रक्षाबंधन। इस साल पंचांग के अनुसार, श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर भद्रा का योग होने के कारण रक्षाबंधन 30 और 31 अगस्त दोनों दिन मनाई जा सकती है। भद्रा का साया 30 अगस्त रक्षाबंधन के दिन सुबह 10 बजकर 13 मिनट से रात 8 बजकर 57 मिनट तक है। ऐसे में 30 तारीख को रात 8 बजकर 57 मिनट के बाद राखी बांधी जा सकती है। 31 अगस्त के दिन भद्रा का साया नहीं होगा। माना जाता है कि राखी सुबह या दोपहर के समय बांधनी चाहिए और रात के समय राखी बांधने से परहेज करना चाहिए। इस चलते 31 अगस्त के दिन सुबह 7 बजकर 30 मिनट से पहले राखी बांधी जा सकती है। इस साल पूर्णिमा तिथि सुबह 10:13 मिनट पर शुरू हो रही है। पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 31 अगस्त, गुरुवार को सुबह 7:46 मिनट पर खत्म होगी। भद्रा काल 30 अगस्त सुबह 10:13 मिनट पर शुरू हो जाएगा और भद्रा काल की समाप्ति रात 8:57 मिनट पर होगी। माना जाता है कि भद्रा का साया लगने पर किसी भी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण की बहन ने उसे भद्रा काल में राखी बांधी थी जिसके बाद उसका वध हो गया था। इसीलिए भद्रा काल में राखी बांधने से बचा जाता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए कल किस समय बांधनी चाहिए राखी, भद्रा काल का समय और राखी का शुभ मुहूर्त – Know at what time rakhi should be tied tomorrow, time of bhadra kaal and auspicious time of rakhi.

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जानिए किस दिन मनाया जा रहा है रक्षाबंधन - Know on which day raksha bandhan is being celebrated.

जानिए किस दिन मनाया जा रहा है रक्षाबंधन – Know on which day raksha bandhan is being celebrated.

हर साल ही रक्षाबंधन की तिथि को लेकर उलझन की स्थिति बनने लगी है। इस साल भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। लोग इस बात को लेकर चिंता में हैं कि कहीं भद्रा के साये के बीच वे रक्षाबंधन ना मना लें। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भद्रा काल के समय ही रावण की बहन ने उसे राखी बांधी थी जिस चलते रावण की उस दिन मृत्यु हो गई थी। जाहिरतौर पर रक्षाबंधन बहन और भाई के प्रेम का एक पवित्र त्योहार है जिसे सावन के महीने में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन मनाते हैं। इस साल रक्षाबंधन की सही तिथि 30 अगस्त है या फिर 31 अगस्त और रक्षाबंधन पर भद्रा का साया कब है और इससे कैसे दूर रहा जाए। मान्यतानुसार रक्षाबंधन कभी भी भद्रा के साये में नहीं मनाया जाना चाहिए। इसकी एक खास वजह यह है कि भद्रा को अशुभ माना जाता है और भद्रा काल में होने वाले कामों को भी अच्छा नहीं मानते हैं। ऐसे में राखी दोपहर के समय बांधना अत्यधिक शुभ होता है जब भद्रा का साया नहीं होता। पंचांग की गणना के मुताबिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त के दिन सुबह 10:59 से पूर्णिमा तिथि की शुरूआत हो जाएगी और यह तिथि अगले दिन सुबह 7:05 मिनट तक रहेगी। लेकिन, 30 अगस्त को ही भद्रा की शुरूआत भी हो जाएगी जोकि रात 9 बजकर 1 मिनट तक रहेगी। ऐसे में 30 अगस्त के दिन रात के समय भद्रा खत्म होने के बाध राखी (Rakhi) बांधी जा सकती है। लेकिन, रात के समय राखी बांधना शुभ नहीं कहा जाता है इस चलते अगली सुबह राखी बांधी जा सकती है। 31 अगस्त के दिन एकदम सुबह राखी बांधना शुभ होगा। भद्रा काल की समाप्ति के बाद रात 9 बजकर 1 मिनट के बाद राखी बांधी जा सकती है और अगली सुबह 31 अगस्त के दिन राखी बांध सकते हैं। अत्यधिक शुभ मुहूर्त 31 अगस्त सुबह का ही है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए किस दिन मनाया जा रहा है रक्षाबंधन – Know on which day raksha bandhan is being celebrated.

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जानिए सावन के आखिरी सोमवार को सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व - Know the auspicious time, worship method and its importance of som pradosh vrat on the last monday of sawan.

जानिए सावन के आखिरी सोमवार को सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व – Know the auspicious time, worship method and its importance of som pradosh vrat on the last monday of sawan.

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत काफी अहम माना जाता है. कहते हैं इस व्रत को करने से इंसान के सभी दोष दूर हो जाते हैं. खासकर सावन के महीने में आने वाले प्रदोष व्रत को बहुत खास माना जाता है, जो कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। वैसे तो सावन में दो प्रदोष व्रत आते हैं, लेकिन इस बार 4 प्रदोष व्रत है। सावन का आखिरी सोम प्रदोष व्रत कब आएगा और उस दिन पूजा किस तरह से की जानी चाहिए, आइए हम आपको बताते हैं। भगवान शिव को प्रिय सावन के महीने का सोम प्रदोष व्रत 28 अगस्त, सोमवार के दिन आएगा, जिसका शुभ मुहूर्त शाम को 6:22 से शुरू होकर 29 अगस्त को दोपहर 2:45 तक रहेगा। कहते हैं सावन के महीने में प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव की असीम कृपा आपको मिलती है और वैवाहिक जीवन भी सुख शांति से भरा रहता है। इतना ही नहीं तनाव और ग्रह कलह भी सोम प्रदोष का व्रत करने से दूर होती है और सुख, संपत्ति, धन-धान्य की प्राप्ति होती है। * ऐसेकरें सोम प्रदोष का व्रत सोम प्रदोष के दिन सबसे पहले सूर्योदय के समय उठकर स्नान करें और साफ सुथरे या नए कपड़े पहनें। इस दिन भोलेनाथ के अभिषेक, रुद्राभिषेक या श्रृंगार का विशेष महत्व होता है। सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करके मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए उनसे कामना करें। ऐसे लड़के या लड़कियां जिनकी विवाह नहीं हो रहा है, उन्हें यह व्रत करना चाहिए इससे शादी के योग जल्दी बनते हैं। इतना ही नहीं संतान की इच्छा रखने वाले लोग भी अगर इस दिन पंचगव्य से महादेव का अभिषेक करें, तो उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है। अभिषेक करने के बाद भगवान शिव पर फूलों की माला अर्पित करें, भांग, धतूरा, बेलपत्र उन्हें चढ़ाएं और सच्चे मन से उनकी प्रार्थना करें। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए सावन के आखिरी सोमवार को सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व – Know the auspicious time, worship method and its importance of som pradosh vrat on the last monday of sawan.

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भाई की कलाई पर राखी बांधते समय इस मंत्र का जाप करें। Chant this mantra while tying rakhi on brother's wrist.

भाई की कलाई पर राखी बांधते समय इस मंत्र का जाप करें। Chant this mantra while tying rakhi on brother’s wrist.

भाई बहन का पवित्र पर्व रक्षाबंधन हर साल सावन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है। इस दिन बहनें भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर भाई से अपनी रक्षा करने का वचन मांगती हैं, और भाई भी उनसे हर सुख-दुख में साथ निभाने का वादा करते हैं। यह त्योहार भाई बहन के अटूट प्यार के बंधन को समर्पित हैं। इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार 30 और 31 अगस्त दो दिन मनाया जाएगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राखी बांधते समय अगर बहनें इस मंत्र का उच्चारण करें, तो भाई बहन का बंधन और मजबूत होता है। तो चलिए जानते हैं उस मंत्र के बारे में। इस मंत्र करें उच्चारण येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वाम रक्ष बध्नामि, रक्षे माचल माचल:।। इसके मंत्र का अर्थ है – वही रक्षा सूत्र तुम्हारी कलाई पर बांधती हूं, जो राजा बलि को बांधा गया था। यह रक्षा सूत्र तुम्हें सदा विपत्तियों से बचाएगा। इसके पश्चात भाई बहन को रक्षा का वचन देता है। रक्षाबंधन के लिए सावन पूर्णिमा के दिन दोपहर का समय सबसे शुभ माना जाता है, लेकिन इस वर्ष 30 अगस्त को पूरे दिन भद्रा काल है। ऐसे में पंडितों के अनुसार रात्रि के समय रक्षाबंधन मनाया जाना शुभ नहीं इसलिए, 31 अगस्त को राखी बांधी जाएगी। सावन पूर्णिमा की तिथि 31 अगस्त को सुबह सात बजकर पांच मिनट तक है। ऐसे में 31 अगस्त को सुबह-सुबह रक्षाबंधन मनाया जाना सबसे अच्छा होगा। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   भाई की कलाई पर राखी बांधते समय इस मंत्र का जाप करें। Chant this mantra while tying rakhi on brother’s wrist.

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मंगला गोरी का अंतिम व्रत कब रखा जायेगा,जानें व्रत का महत्व - When will the last fast of mangala ghori be observed, know the importance of the fast.

मंगला गोरी का अंतिम व्रत कब रखा जायेगा,जानें व्रत का महत्व – When will the last fast of mangala ghori be observed, know the importance of the fast.

हर साल सावन माह के हर मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। इस साल यानी 2023 में अधिकमास होने के कारण पूरे सावन माह में कुल नौ मंगला गौरी व्रत रखे जाएंगे। आखिरी मंगला गौरी व्रत सावन माह के आखिरी मंगलवार को रखा जाता है। मंगला गौरी व्रत की महत्ता की बात करें तो ये व्रत मंगला गौरी नाम से मशहूर माता पार्वती के लिए रखा जाता है। इस व्रत को करने से जातक के सुखमय वैवाहिक जीवन के योग बनते हैं और अविवाहित लड़कियों के जल्द विवाह के योग भी बनते हैं। सावन में जहां हर सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है, वहीं सावन के हर मंगलवार को माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा का प्रावधान है और इस दिन पति की लंबी उम्र के लिए की गई प्रार्थना पूरी होती है। इस साल अधिकमास होने के कारण सावन माह कुल 58 दिन का हो गया है। इस लिहाज से देखा जाए तो चार की बजाय नौ मंगला गौरी व्रत आ रहे हैं। ऐसे में सावन माह का नौवां और आखिरी मंगला गौरी व्रत 29 अगस्त को रखा जाएगा। मान्यता है कि इस व्रत की शुरूआत खुद माता पार्वती का स्वरूप कही जाने वाली माता गौरी ने की थी। माता गौरी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए व्रत रखा और इसे मंगला गौरी व्रत कहा गया। मंगला गौरी का व्रत पहली बार रखने जा रही हैं तो इसके नियम जरूर जान लेने चाहिए। व्रती को इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके घर को साफ करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना एक चौकी पर करें और व्रत का संकल्प लें। अब मां गौरी को सिंदूर लगाएं, उनको धूप दीप और नेवैद्य अर्पित करें। इसके बाद सुहाग की सामग्री भी अर्पित करें और भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की भी आरती करें। इसके बाद मंगला गौरी की आरती करें और व्रत कथा सुनें। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   मंगला गोरी का अंतिम व्रत कब रखा जायेगा,जानें व्रत का महत्व – When will the last fast of mangala ghori be observed, know the importance of the fast.

मंगला गोरी का अंतिम व्रत कब रखा जायेगा,जानें व्रत का महत्व – When will the last fast of mangala ghori be observed, know the importance of the fast. Read More »