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अहोई अष्टमी व्रत कब है? जानिए तिथि, मुहूर्त और व्रत का महत्व - When is ahoi ashtami fast? Know the importance of date, time and fast

अहोई अष्टमी व्रत कब है? जानिए तिथि, मुहूर्त और व्रत का महत्व – When is ahoi ashtami fast? Know the importance of date, time and fast

हिंदू त्योहारों में अहोई अष्टमी एक महत्वपूर्ण त्योहार में से एक है। खासकर हिंदू महिलाओं के लिए इसका विशेष महत्व है। जिस तरह से तीज पति की लंबी उम्र के लिए की जाती है उसी तरह अहोई अष्टमी व्रत महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और तरक्की के लिए करती है। महिलाएं अपने बच्चों के लिए अहोई माता से आशीर्वाद लेती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। लेकिन इस त्योहार को लेकर महिलाओं में काफी कंफ्यूजन देखने को मिलता है। अगर आप भी दुविधा में है तो यहां अहोई अष्टमी व्रत से जुड़ी आपकी सारी कन्फ्यूजन दूर हो जाएगी। तो आईए जानते हैं इस साल कार्तिक माह की अहोई अष्टमी व्रत की तिथि मुहूर्त और महत्व। * अहोई अष्टमी 2023 तिथि:  पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी 5 नवंबर 2023, रविवार को मनाई जाएगी। इस व्रत की शुरुआत 5 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से होगी और 6 नवंबर, सोमवार को सुबह 3 बजकर 18 मिनट पर इसका समापन होगा। * अहोई अष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त:  अगर अहोई अष्टमी व्रत की शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो 5 नवंबर, रविवार को शाम 5 बजकर 42 मिनट से पूजा की शुभ मुहूर्त से शुरू हो रही है और उसी दिन शाम 7 बजे तक रहेगी। माताएं इस बीच विधिवत रूप से मां अहोई की पूजा अर्चना कर सकती हैं। बात की जाए तारों को देखने की तो शाम 5 नवंबर 2023, रविवार को शाम 5 बजकर 58 मिनट पर तारों को देखने का शुभ समय है. * अहोई अष्टमी का महत्व:   अहोई अष्टमी व्रत दिवाली से ठीक एक हफ्ता पहले पड़ता है। हिंदू माताओं के लिए अहोई अष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत महिलाएं अपने बच्चों की भलाई, उनकी लंबी लंबी उम्र और तरक्की के लिए करती है। मां अहोई से माताएं अपने बच्चों के लिए आशीर्वाद मांगती हैं। इससे बच्चे स्वस्थ रहते हैं और उनके जीवन में सुख समृद्धि होता है और वे विकास के पथ पर हमेशा अग्रसर रहते हैं। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   अहोई अष्टमी व्रत कब है? जानिए तिथि, मुहूर्त और व्रत का महत्व – When is ahoi ashtami fast? Know the importance of date, time and fast

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सूर्य ग्रहण के कुछ घंटे बाद ही शुरू हो रही नवरात्रि, इन राशियों को मिलेगी मां दुर्गा की कृपा, देखें अपना भाग्य - Navratri is starting just a few hours after the solar eclipse, these zodiac signs will get the blessings of maa durga, see your destiny

सूर्य ग्रहण के कुछ घंटे बाद ही शुरू हो रही नवरात्रि, इन राशियों को मिलेगी मां दुर्गा की कृपा, देखें अपना भाग्य – Navratri is starting just a few hours after the solar eclipse, these zodiac signs will get the blessings of maa durga, see your destiny

धार्मिक तौर पर देखें या फिर ज्योतिष शास्त्र पर नजर डालें सभी में ग्रहण के महत्व के बारे में बताया गया है। ऐसे में अक्टूबर का महीना कई मामलों में खास होने वाला है। 14 अक्टूबर, शनिवार को रात 8 बजकर 34 मिनट से सूर्य ग्रहण की शुरुआत होगी और अगले दिन 15 अक्टूबर रविवार को रात 2 बजकर 25 मिनट पर इसका समापन होगा। और अगले ही दिन 15 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की शुरुआत भी हो रही है। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि किन राशियों के लिए नवरात्रि शुभ होगी। # इन राशियों के लिए शुभ होगी नवरात्रि:  * सिंह राशि: सिंह राशि के लिए अक्टूबर महीना बहुत ही लाभदायक सिद्ध होने वाला है। शुभ समाचार मिलने की पूरी उम्मीद है जैसे रोजगार मिल सकता है। और शादी का संयोग बन रहा है। * वृषभ राशि शारदीय नवरात्रि वृषभ राशि के लिए प्रमोशन के आसार लेकर आई है। कारोबार में प्रगति देखने को मिलेगी। अच्छे पद पर जाने की संभावना है। प्रतियोगिताओं में भी अच्छे अंक आएंगे। * मेष राशि: मेष राशि के लिए शारदीय नवरात्रि शुभ होने वाला है। उनके रुके हुए काम पूरे होंगे और बिगड़े काम भी बन जाएंगे। मेष राशि के लोगों के लिए अक्टूबर का महीना इसलिए भी खास होने वाला है क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो जाएगी। * तुला राशि:  तुला राशि के लोगों को अपनी मनपसंद नौकरी मिल सकती है। कोई भी बहुत अच्छा शुभ समाचार मिल सकता है। उनके लिए शारदीय नवरात्रि शुभ होने वाला है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   सूर्य ग्रहण के कुछ घंटे बाद ही शुरू हो रही नवरात्रि, इन राशियों को मिलेगी मां दुर्गा की कृपा, देखें अपना भाग्य – Navratri is starting just a few hours after the solar eclipse, these zodiac signs will get the blessings of maa durga, see your destiny

सूर्य ग्रहण के कुछ घंटे बाद ही शुरू हो रही नवरात्रि, इन राशियों को मिलेगी मां दुर्गा की कृपा, देखें अपना भाग्य – Navratri is starting just a few hours after the solar eclipse, these zodiac signs will get the blessings of maa durga, see your destiny Read More »

पर्स में ये एक चीज रखने से कभी नहीं होगी पैसों की कमी, खर्च होगा कम और मां लक्ष्मी की रहेगी कृपा - By keeping this one thing in your purse, there will never be shortage of money, expenses will be less and goddess lakshmi will bless you.

पर्स में ये एक चीज रखने से कभी नहीं होगी पैसों की कमी, खर्च होगा कम और मां लक्ष्मी की रहेगी कृपा – By keeping this one thing in your purse, there will never be shortage of money, expenses will be less and goddess lakshmi will bless you.

दौलत और शोहरत की ख्वाहिश हर इंसान को होती है। लेकिन कई बार कुंडली और ग्रहों की खराब दशा की वजह से कुछ लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है। आपने कई बार लोगों को कहते सुना होगा कि उनके हाथ में पैसे नहीं टिकते इसकी वजह यही है। ऐसे में पैसा आता तो है लेकिन टिक नहीं पता। अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो बिल्कुल परेशान ना हो। शास्त्रों में इस समस्या से निपटने के लिए अचूक उपाय बताए गए हैं, जिससे आपके पास कभी भी धन की कमी नहीं होगी और आपका बटुआ हमेशा पैसों से भरा रहेगा। इससे आपके खर्चे पर भी लगाम लगेगी और मां लक्ष्मी की कृपा भी बरसेगी. तो चलिए जानते हैं क्या है वो चीज जिसे बटुए में रखने से हमारा बटुआ कभी खाली नहीं होगा और पैसों से भरा रहेगा। # इन उपाय से नहीं होगी पैसों की कमी:  – इसके लिए आपको बस किसी भी शुक्रवार को इलायची के 5 दाने लेने हैं। – ध्यान रहे ये 5 दाने आपको अपने लेफ्ट हैंड यानी बाएं हाथ में लेने हैं। – बाएं हाथ में इलायची के 5 दाने लेने के बाद अपनी मुट्ठी बंद कर लें और उस हाथ को अपने दिल के पास रखें। – इसके बाद श्रीम मंत्र का 11 बार जाप करें। – अब अपनी मुट्ठी में बंद इलायची को अपने पर्स में डाल दीजिए। – बस अब यह इलायची का छोटा सा दाना आपके पर्स में कभी भी पैसों की कमी नहीं होने देगा। आपके ज्यादा खर्च पर लगाम भी लगेगी और मां लक्ष्मी की कृपा भी बरसेगी। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   पर्स में ये एक चीज रखने से कभी नहीं होगी पैसों की कमी, खर्च होगा कम और मां लक्ष्मी की रहेगी कृपा – By keeping this one thing in your purse, there will never be shortage of money, expenses will be less and goddess lakshmi will bless you.

पर्स में ये एक चीज रखने से कभी नहीं होगी पैसों की कमी, खर्च होगा कम और मां लक्ष्मी की रहेगी कृपा – By keeping this one thing in your purse, there will never be shortage of money, expenses will be less and goddess lakshmi will bless you. Read More »

तुलसी पर यह चीजें चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है, कहते हैं घर में आती है खुशहाली - Offering these things on tulsi is considered very auspicious, it is said that it brings happiness in the house

तुलसी पर यह चीजें चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है, कहते हैं घर में आती है खुशहाली – Offering these things on tulsi is considered very auspicious, it is said that it brings happiness in the house

हिंदू धर्म में घर में तुलसी का पौधा लगाना बेहद शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पौधे में धन की देवी माता लक्ष्मी निवास करती हैं। हर घर में जरूर लगाए जाने वाले इस पौधे में घर का वातावरण शुद्ध और सकारात्मक करने की अपार शक्ति होती है। तुलसी के उपाय से किस्मत के बंद दरवाजे खुल जाते हैं। इससे भाग्योदय संभव है। आइए जानते हैं तुलसी के कौन-कौनसे उपाय हैं जो बेहद शुभ माने जाते हैं। # तुलसी से जुड़े उपाय: – सुहाग की चीजें: एकादशी की तिथि को तुलसी के पौधे को सुहाग की चीजें जैसे चूड़ी, बिंदी, लाल चुनरी चढ़ाने से बहुत लाभ होता है।हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में 2 एकादशी आती हैं। दोनों एकादशी पर सुहाग की चीजें तुलसी को पौधे का जरूर चढ़ानी चाहिए। – गन्ने का रस:  हिंदू पंचांग की हर पंचमी की तिथि को तुलसी के पौधे को गन्ने का रस चढ़ाना चाहिए। इस उपाय के लिए हाथ में या किसी पात्र में गन्ने का रस लेकर सात बार अपना और अपने गोत्र का नाम लेकर रस को तुलसी के पौधे को अर्पित करें। – चंदन का उपाय:  तुलसी के पौधे पर चंदन चढ़ना चाहिए। तुलसी के पौधे पर चंदन चढ़ाने से जीवन की परेशानियां दूर होती हैं। यह उपाय करने के लिए हर दिन पूजा के बाद तुलसी को जल चढ़ाने के बाद चंदन पौधे के तने पर चंदन का टीका लगाएं। – कलावा और कच्चा दूध:  एकादशी की तिथि को तुलसी माता को कच्चा दूध चढ़ाना चाहिए। इससे दुर्भाग्य दूर होता है। तुलसी के पौधे को हमेशा कलावा बांधना चाहिए। इस उपाय से माता लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं। – जल चढ़ाएं:  प्रतिदिन सुबह पूजा के बाद तुलसी माता को जल चढ़ाना चाहिए। तुलसी के चौरे को साफ सुथरा रखने और नियम से जल चढ़ाने से पौधा हरा-भरा रहता है और धन की देवी माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है। (Disclaimer:यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   तुलसी पर यह चीजें चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है, कहते हैं घर में आती है खुशहाली – Offering these things on tulsi is considered very auspicious, it is said that it brings happiness in the house

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जानिए इंदिरा एकादशी कब है और किस तरह करे भगवान विष्णु का पूजन- Know when is indira ekadashi and how to worship lord vishnu

जानिए इंदिरा एकादशी कब है और किस तरह करे भगवान विष्णु का पूजन – Know when is indira ekadashi and how to worship lord vishnu

साल में तकरीबन 24 एकादशी पड़ती हैं। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है और माना जाता है कि एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। मान्यता यह भी है कि एकादशी व्रत पापों से भी मुक्ति दिलाता है और जीवन सुखमय बनाने में कारगर है। पितृ पक्ष में पड़ने वाला एकादशी का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। इस चलते इसे एकादशी श्राद्ध भी कहा जाता है।  पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 9 अक्टूबर, सोमवार दोपहर 12 बजकर 36 मिनट से शुरू हो जाएगी और इस तिथि की समाप्ति अगले दिन दोपहर 3 बजकर 8 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इस चलते उदया तिथि के अनुसार, 10 अक्टूबर, मंगलवार के दिन ही इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इंदिरा एकादशी के दिन व्रत का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। पूजा का दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से 1 बजकर 35 मिनट तक होने वाला है। इसके बाद दोपहर 3 बजकर 3 मिनट से शाम साढ़े चार बजे तक पूजा का अगला शुभ मुहूर्त पड़ रहा है। * इंदिरा एकादशी का महत्व: पितृ पक्ष में इंदिरा एकादशी मनाई जाती है। इस एकादशी का विशेष धार्मिक महत्व होता है। माना जाता है कि विधि-विधान से इंदिरा एकादशी का व्रत रखने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। * कैसे करें इंदिरा एकादशी की पूजा: इंदिरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। भक्त पूजा करने के लिए घर के मंदिर में पूजा करने के लिए श्रीहरि की प्रतिमा पर और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करते हैं। भगवान के समक्ष फूल और तुलसी दल अर्पित किए जाते हैं और आरती करने के पश्चात भोग लगाया जाता है। इसी भोग को प्रसाद स्वरूप सभी को बांटते हैं। भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा करना भी इस दिन शुभ होता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए इंदिरा एकादशी कब है और किस तरह करे भगवान विष्णु का पूजन – Know when is indira ekadashi and how to worship lord vishnu

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जानिए साल का दूसरा सूर्य ग्रह अक्टूबर में कब दिखाई देगा, जानें सूतक काल के बारे में - Know when the second sun planet of the year will be visible in october, know about sutak period

जानिए साल का दूसरा सूर्य ग्रह अक्टूबर में कब दिखाई देगा, जानें सूतक काल के बारे में – Know when the second sun planet of the year will be visible in october, know about sutak period

सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसका अत्यधिक महत्व होता है। इस साल कुल 4 ग्रहण लगने हैं जिनमें से 2 ग्रहण पहले ही लग चुके हैं। पहला सूर्य ग्रहण अप्रैल में लगा था और पहला चंद्र ग्रहण मई के महीने में देखा गया था। अब अक्टूबर के महीने में साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण लगने वाला है। वहीं, साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण भी इसी महीने में लगने जा रहा है। सूर्य ग्रहण की बात करें तो यह तब लगता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है। जानिए अक्टूबर में किस दिन सूर्य ग्रहण लगेगा, यह किस प्रकार का होगा, भारत से दिखेगा या नहीं और इसके सूतक काल के बारे में। * अक्टूबर में सूर्य ग्रहण की तिथि:  इस महीने 14 अक्टूबर, शनिवार के दिन सूर्य ग्रहण लगने वाला है। यह ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। जब वलयाकार सूर्य ग्रहण लगता है तो चंद्रमा पृथ्वी से अपनी सामान्य दूरी से दूर होता है जिस चलते यह सूर्य से छोटा नजर आता है और ग्रहण लगने पर ऐसा प्रतीत होता कि आसमान में रिंग ऑफ फायर यानी आग की रिंग बनी हुई है। इस चलते इस सूर्य ग्रहण को रिंग ऑफ फायर भी कहा जा रहा है। * भारत से सूर्य ग्रहण दिखेगा या नहीं:  अक्टूबर में दिखने वाले इस सूर्य ग्रहण को भारत से नहीं देखा जा सकेगा। यह ग्रहण मुख्यरूप से अफ्रीका के पश्चिमी हिस्से, पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक, नॉर्थ अमेरिका और साउथ अमेरिका से देखा जा सकता है। इस ग्रहण को कुछ हिस्सों में पूरी तरह देखा जा सकेगा तो कुछ में इसका कुछ हिस्सा ही नजर आएगा। इसे देखने के लिए उपकरणों जैसे टेलिस्कोप की जरूरत भी पड़ सकती है। * सूतक काल लगेगा या नहीं:  ग्रहण से कई तरह की धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। धार्मिक विश्वासों के अनुसार ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। इस चलते ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले से ही सूतक काल शुरू हो जाता है जिसमें बहुत से कामों को करने की मनाही होती है। इस दौरान कुछ बातों का ध्यान में रखने के लिए कहा जाता है। सूतक काल तब लगता है जब ग्रहण दिखाई देता है। भारत से ग्रहण नहीं देखा जा सकेगा इस चलते भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। * साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण: सूर्य ग्रहण के बाद अक्टूबर के ही महीने में साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगेगा जोकि इस साल का आखिरी ग्रहण भी होगा। यह चंद्र ग्रहण 28-29 अक्टूबर की रात लगेगा। इस ग्रहण को भारत से देखा जा सकता है और इसका समय 1:06 एएम से दिखना शुरू होगा और 2:22 एएम होगा। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए साल का दूसरा सूर्य ग्रह अक्टूबर में कब दिखाई देगा, जानें सूतक काल के बारे में – Know when the second sun planet of the year will be visible in october, know about sutak period

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इस दिन रखा जाएगा अक्टूबर महीने का पहला प्रदोष व्रत ,जानिए किस तरह भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकते हैं। The first pradosh fast of the month of october will be observed on this day, know how you can please bholenath.

इस दिन रखा जाएगा अक्टूबर महीने का पहला प्रदोष व्रत ,जानिए किस तरह भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकते हैं। The first pradosh fast of the month of october will be observed on this day, know how you can please bholenath.

हर महीने में 2 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर पड़ता है। प्रदोष व्रत में मान्यतानुसार भगवान शिव की पूजा की जाती है और माना जाता है कि जो भक्त पूरे श्रद्धाभाव से व्रत रखते हैं और शिव पूजा करते हैं उनपर भोलेनाथ अपनी कृपादृष्टि बनाए रखते हैं। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। जीवन से कष्टों की मुक्ति पाने की इच्छा रखने वाले भक्त इस व्रत को रखते हैं। पंचांग के अनुसार, अक्टूबर महीने का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर 11 अक्टूबर, बुधवार के दिन रखा जाएगा। बुधवार के दिन पड़ने के चलते इसे बुध प्रदोष व्रत भी कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार, बुधवार के दिन को भगवान गणेश का दिन भी कहा जा सकता है जिस चलते इस दिन भगवान गणेश की पूजा भी की जा सकती है। वहीं, प्रदोष व्रत में भोलेनाथ के साथ-साथ माता पार्वती की भी पूजा होती है। शिव पूजा के लिए प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल को अति उत्तम माना जाता है। आश्विन कृष्ण त्रयोदशी तिथि 11 अक्टूबर शाम 5 बजकर 37 मिनट से अगले दिन 12 अक्टूबर शाम 7 बजकर 53 मिनट तक रहेगी। प्रदोष काल 11 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 56 मिनट से 8 बजकर 25 मिनट तक रहने वाला है। इस चलते इस मुहूर्त में पूजा-पाठ किया जा सकता है। * प्रदोष व्रत की पूजा: प्रदोष व्रत के दिन मान्यतानुसार पूजा की जाए तो भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो सकते हैं। प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है। भक्त शाम के समय प्रदोष व्रत की पूजा करते हैं लेकिन सुबह शिव मंदिर के दर्शन कर आते हैं। शाम को पूजा करने के लिए बेलपत्र, अक्षत, दीपक, गंगाजल और धूप आदि पूजा सामग्री के रूप में सम्मिलित किए जाते हैं। इसके अलावा, शिवलिंग पर जलाभिषेक कर शिव मंत्रों का जाप होता है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   इस दिन रखा जाएगा अक्टूबर महीने का पहला प्रदोष व्रत ,जानिए किस तरह भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकते हैं। The first pradosh fast of the month of october will be observed on this day, know how you can please bholenath.

इस दिन रखा जाएगा अक्टूबर महीने का पहला प्रदोष व्रत ,जानिए किस तरह भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकते हैं। The first pradosh fast of the month of october will be observed on this day, know how you can please bholenath. Read More »

पितृपक्ष की पूजा के दौरान रखें इन खास बातों का ध्यान - Keep these special things in mind during the worship of pitru paksha

पितृपक्ष की पूजा के दौरान रखें इन खास बातों का ध्यान – Keep these special things in mind during the worship of pitru paksha

हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होने वाला पितृ पक्ष हिन्दुओं के लिए काफी जरूरी त्योहार माना जाता हैं। इस दौरान जातक अपने-अपने पूरवजों को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग अनुष्ठान करते हैं। पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद  महीने की पू्र्णिमा तिथि से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या पर खत्म होते हैं। अधिक मास का वर्ष होने के कारण इस साल पितृ पक्ष 15 दिन की देरी से शुरू होने वाले हैं। पितृ पक्ष 2023 के दौरान इन बातों का ध्यान रखना जरूरी हैं। पितृ पक्ष के 15 दिनों के दौरान सभी अपने पितरों के मृत्यु की तिथि के दिन श्राद्ध करते हैं। साल 2023 में भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि 29 सितंबर 2023 को है और अश्विन मास की अमावस्या तिथि 14 अक्टूबर 2023 को है। इस तरह पितृ पक्ष 2023 29 सितंबर 2023 से शुरू होकर 14 अक्टूबर 2023 को खत्म होगी। इस बार अश्विन मास की अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। अगर किसी जातक को अपने पितर के देहावसान की तिथि याद न हो तो वे अश्विन मास के अमावस्या के दिन अपने पितरों का श्राद्ध क्रम कर सकते हैं। इस दिन को सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाते हैं। पौराणिक हिन्दु मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान अपने पितरों को याद करने और विधिवत पूजा अनुष्ठान करने से वे प्रसन्न होते हैं और इससे जातकों के जीवन की कई बाधाएं दूर होती हैं। आमतौर से ये तीन घटकों को आपस में जोड़ती है। पहला पिंडदान, दूसरा तर्पण और तीसरा ब्राह्मण को खिलाना। इसके साथ ही इस दौरान पवित्र शास्त्रों को पढ़ना भी शुभ माना गया है। # पितृ पक्ष 2023: श्राद्ध की जरूरी तिथियां: – पूर्णिमा श्राद्ध – 29 सितंबर 2023 – प्रतिपदा और द्वितीया – 30 सितंबर 2023 – द्वितीया श्राद्ध – 1 अक्टूबर 2023 – तृतीया श्राद्ध – 2 अक्टूबर 2023 – चतुर्थी श्राद्ध – 3 अक्टूबर 2023 – पंचमी श्राद्ध – 4 अक्टूबर 2023 – षष्ठी श्राद्ध – 5 अक्टूबर 2023 – सप्तमी श्राद्ध – 6 अक्टूबर 2023 – अष्टमी श्राद्ध- 7 अक्टूबर 2023 – नवमी श्राद्ध – 8 अक्टूबर 2023 – दशमी श्राद्ध – 9 अक्टूबर 2023 – एकादशी श्राद्ध – 10 अक्टूबर 2023 – द्वादशी श्राद्ध- 11 अक्टूबर 2023 – त्रयोदशी श्राद्ध – 12 अक्टूबर 2023 – चतुर्दशी श्राद्ध- 13 अक्टूबर 2023 – अमावस्या श्राद्ध- 14 अक्टूबर 2023 (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   पितृपक्ष की पूजा के दौरान रखें इन खास बातों का ध्यान – Keep these special things in mind during the worship of pitru paksha

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पितृ पक्ष के साथ, जानिए श्राद्ध पक्ष की महत्वपूर्ण तिथियां और पिंडदान की विधि - Along with pitru paksha, know the important dates of shraddha paksha and the method of pind daan.

पितृ पक्ष के साथ, जानिए श्राद्ध पक्ष की महत्वपूर्ण तिथियां और पिंडदान की विधि – Along with pitru paksha, know the important dates of shraddha paksha and the method of pind daan.

पितरों को समर्पित पितृ पक्ष का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। इस समय अपने पितरों की तृप्ति और शांति के लिए श्राद्ध, तर्णन और पिंडदानकरने की परंपरा है। पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्र पद माह के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा से होती है और आश्विन माह के कृष्ण पक्ष अमावस्या तक रहती है। आइए जानते हैं इस वर्ष कब शुरु हो रहा है पितृ पक्ष और कैसे किया जाता है पिंडदान। इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर शुक्रवार से होगी। इस दिन पूर्णिमा और प्रतिपदा श्राद्ध का दिन है। 14 अक्टूबर शनिवार को पितृ पक्ष का समापन होगा। पंचांग के अनुसार 29 सितंबर शुक्रवार को दोपहर 3 बजकर 26 मिनट तक भाद्रपद पूर्णिमा है। इसके बाद आश्विन माह के कृष्णपक्ष की पहली तिथि शुरू हो जाएगी। # पितृ पक्ष तर्पण विधि: वर्ष मे पितरों को समर्पित इस समय में हर दिन पूर्वजों का तर्पण करना चाहिए। इसके लिए कुश, अक्षत, जौ, काले तिल और जल से तर्पण कर पितरों से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए। इस समय पितरों की आत्मा की शांति के लिए यथा संभव दान करना चाहिए। इस दौरान बाल व दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए, घर में सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। # पितृ पक्ष का महत्व: पूरे पितृ पक्ष में तिथि के अनुसार श्राद्ध करने का विधान होता है। उदाहरण के लिए 30 सितंबर को द्वितीया श्राद्ध है। जिन लोगों के पितर का निधन किसी माह के द्वितीया तिथि को हुआ हो उन्हें इस दिन श्राद्ध कर्म व दान करें। इसी तरह तिथि के अनुसार पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। अगर किसी को मृत्यु की तिथि की जानकारी नहीं हो तो उन्हें सर्व प्रिय अमावस्या के दिन श्राद्ध करना चाहिए। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   पितृ पक्ष के साथ, जानिए श्राद्ध पक्ष की महत्वपूर्ण तिथियां और पिंडदान की विधि – Along with pitru paksha, know the important dates of shraddha paksha and the method of pind daan.

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जानिए आज बुध प्रदोष व्रत के दिन की महादेव की पूजा किस तरह कर सकते हैं, यह है शुभ मुहूर्त - Know how you can worship mahadev today on the day of budh pradosh fast, this is the auspicious time.

जानिए आज बुध प्रदोष व्रत के दिन की महादेव की पूजा किस तरह कर सकते हैं, यह है शुभ मुहूर्त – Know how you can worship mahadev today on the day of budh pradosh fast, this is the auspicious time.

हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत में मान्यतानुसार भगवान शिव की पूजा की जाती है। माना जाता है कि जो भक्त प्रदोष व्रत रखते हैं उनपर भोलेनाथ की कृपादृष्टि पड़ती है और जीवन से कष्ट दूर होकर जीवन सुखमय बनता है। आज 27 सितंबर के दिन बुधवार होने के चलते इस प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। बुध प्रदोष व्रत में माना जाता है कि साधक को यश, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। जानिए इस दिन किस तरह की जा सकती है पूजा। # बुध प्रदोष व्रत की पूजा:  पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की त्रयोदशी का प्रदोष व्रत आज 27 सितंबर के दिन रखा जा रहा है। त्रयोदशी तिथि इस बार रात 10 बजकर 18 मिनट से शुरू हो रही है। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। आज प्रदोष काल में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 12 मिनट से रात 8 बजकर 36 मिनट तक है। बुध प्रदोष व्रत की पूजा में सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं और व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन पूजा शाम के समय होती है लेकिन सुबह के समय भी भक्त शिव मंदिर दर्शन करने चले जाते हैं। प्रदोष की पूजा में शिवलिंग पर गंगाजल और दूध से अभिषेक किया जाता है। महादेव के समक्ष भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, सफेद फूल, शहद और शक्कर आदि अर्पित करते हैं। इसके अलावा, ‘ओम नम: शिवाय’ मंत्र का उच्चाकण करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। भगवान शिव की आरती की जाती है और भक्त अपनी मनोकामनाएं मांगकर पूजा पूर्ण करते हैं। # कुछ बातों का रखा जाता है ध्यान:   – बुध प्रदोष व्रत में कुछ बातों पर ध्यान दिया जाता है जिनमें से एक यह है कि बुधवार को भगवान गणपति का दिन भी माना जाता है जिस चलते बप्पा की पूजा भी की जा सकती है। – प्रदोष व्रत रखने वाले भक्त दिनभर निराहार रहते हैं। बहुत से लोग इस दिन निर्जला व्रत भी रखते हैं। – शिव पार्वती युगल की पूजा करना भी इस दिन अत्यधिक शुभ और महत्वपूर्ण मानी जाती है। (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)   जानिए आज बुध प्रदोष व्रत के दिन की महादेव की पूजा किस तरह कर सकते हैं, यह है शुभ मुहूर्त – Know how you can worship mahadev today on the day of budh pradosh fast, this is the auspicious time.

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