जतिन बब्बर – दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा सप्ताहिक श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन साईं दास स्कूल की ग्राउंड जालंधर में आरम्भ हुआ। आत्मिक जाग्रति से विश्व शांति के प्रसार हेतुjpb श्री मद्भागवत कथा का भव्य आयोजन संस्थान का एक विलक्षण प्रयास है। जिसमें प्रभु की अनन्त लीलाओं में छिपे गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को कथा प्रसंगों के माध्यम से उजागर किया जाएगा।
इस कथा के दौरान गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या विश्व विख्यात भागवत भास्कर महामनस्विनी साध्वी सुश्री वैष्णवी भारती जी ने श्रीमद्भागवत कथा का माहात्म्य बताते हुए कहा कि वेदों का सार युगों-युगों से मानव जाति तक पहुँचता रहा है। ‘भागवत महापुराण’ उसी सनातन ज्ञान की पयस्विनी है जो वेदों से बहकर चली आ रही है। इस लिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है।
मनुष्य जीवन में ईश्वर कृपा के द्वारा ही प्रभु भक्ति का मार्ग प्राप्त होता है और प्रभु कथा प्रभु भक्ति के मार्ग प्रशस्त की मजबूत इकाई है। साध्वी जी ने श्री मद्भागवत महापुराण की व्याख्या करते हुए बताया कि श्री मद्भागवत अर्थात जो श्री से युक्त है, श्री अर्थात् चैतन्य, सौन्दर्य, ऐश्वर्य। ‘भगवतः प्रोक्तम् इति भागवत।’ भाव कि वो वाणी, वो कथा जो हमारे जड़वत जीवन में चैतन्यता का संचार करती है। जो हमारे जीवन को सुन्दर बनाती है वो श्री मद्भागवत कथा है जो सिर्फ मृत्यु लोक में ही संभव है। यह एक ऐसी अमृत कथा है जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। इसलिए परीक्षित ने स्वर्गामृत की बजाए कथामृत की ही माँग की।
इस स्वर्गामृत का पान करने से पुण्यों का तो क्षय होता है पापों का नहीं। किन्तु कथामृत का पान करने से सम्पूर्ण पापों का नाश होता है। कथा के दौरान उन्होंने वृन्दावन का अर्थ बताते हुए कहा कि वृन्दावन इंसान का मन है। कभी-कभी इंसान के मन में भक्ति जागृत होती है। परन्तु वह जागृति स्थाई नहीं होती जिस कारण हम ईश्वर की भक्ति तो करते हैं पर वैराग्य नहीं, तड़प नहीं, भाव नहीं और ज्ञान नहीं। इसलिए वृन्दावन में जा कर भक्ति देवी तो तरुणी हो गई पर उस के पुत्र ज्ञान और वैराग्य वृद्धावस्था में अचेत और निर्बल पड़े हैं। उन में जीवंतता और चैतन्यता का संचार करने हेतु नारद जी ने भागवत कथा का ही अनुष्ठान किया।
जिस को श्रवण कर वो पुनः जीवंत और सबल हो उठे क्योंकि व्यास जी कहते हैं कि भागवत कथा एक कल्पवृक्ष की भाँति है जो जिस भाव से कथा श्रवण करता है उसे मनोवांछित फल देती है और यह निर्णय हमारे हाथों में है कि हम संसार की माँग करते हैं या करतार की।
‘श्री मद् भागवतेनैव भक्ति मुक्ति करे स्थिते।।’ अर्थात् यदि भक्ति चाहिए तो भक्ति मिलेगी, मुक्ति चाहिए तो मुक्ति मिलेगी। लेकिन कथा को मात्रा श्रवण करने या पढ़ने से कल्याण नहीं होता। जब तक इन्हें अर्थात् इनसे प्राप्त होने वाली शिक्षा को हम अपने जीवन में चरितार्थ नहीं कर लेते। प्रभु की पावन आरती के साथ कार्यक्रम को विराम दिया गया।
कथा कार्यक्रम श्रवण करने हेतु हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं उपस्थित रहे। कथा का शुभारंभ यजमानों द्वारा पूजन द्वारा किया गया। ध्रुव मित्तल, शिव मित्तल (मित्तल उद्योग), राजन अग्रवाल, मंजू अग्रवाल (अग्रवाल सैनिटेशन), वरिंदर मलिक, सोना मालिक (Bespok Design Co.), अरुण कुमार, दीपिका ने पूजन करवाया।
अशोक मित्तल (राज्यसभा सदस्य), महिंद्र भगत (कैबिनेट मंत्री) पंजाब सरकार, मंथरी श्रीनिवासलु, गौतम कुकरेजा, जे. सी अरोड़ा, दिनेश शर्मा, विजय धीमान (गुरिंदरा ट्रेडिंग कंपनी), लक्की रहेजा, ब्रिगेडियर सुनील कुमार, सहित कई गणमान्यों ने आरती की रस्म निभाई। स्वामी विश्वानंद, स्वामी सदानंद, साध्वी पल्लवी भारती, साध्वी शशि भारती, साध्वी कंवल भारती ने सब का हार्दिक धन्यवाद किया।
जालंधर में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का भव्य उद्घाटन –
Grand inauguration of shrimad bhagwat saptah gyan yagya by divya jyoti jagrati sansthan in jalandhar