भारत के खेल इतिहास में गुरुवार का दिन ऐतिहासिक बन गया जब गुकेश डी ने शतरंज में सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। उन्होंने 14वें और अंतिम राउंड में चीन के डिंग लिरेन को मात देकर यह ऐतिहासिक उपलब्धि अपने नाम की।
हालांकि खेल के आखिरी क्षणों तक मुकाबला बराबरी का लग रहा था। डिंग लिरेन की एक चूक ने गुकेश को जीत का सुनहरा मौका दिया, जिसे उन्होंने बखूबी भुनाया। फाइनल का यह नतीजा न केवल शतरंज प्रशंसकों के लिए, बल्कि महान विश्वनाथन आनंद के लिए भी अप्रत्याशित था।
आनंद ने स्वीकार किया कि उन्हें गुरुवार को खिताब के फैसले की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने सोचा था कि यह मुकाबला शुक्रवार को टाईब्रेकर तक खिंचेगा।
आनंद ने कहा, यह न केवल ऐतिहासिक बल्कि आश्चर्यजनक भी है। इतिहास इसलिए क्योंकि गुकेश सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बन गए। आश्चर्य इसलिए क्योंकि अंतिम क्षणों तक ऐसा नहीं लग रहा था कि खेल का फैसला आज ही हो जाएगा। टाईब्रेकर की संभावना ज्यादा थी। यह सुखद आश्चर्य था।
गुकेश की ताकत के बारे में पूछे जाने पर आनंद ने कहा कि उनका प्रदर्शन हर पहलू में संतुलित है। शतरंज में हर चीज में उत्कृष्ट होना पड़ता है। गुकेश ने अपनी लगन और समर्पण से यह साबित किया है।
गुकेश ने 11 साल पहले खोया हुआ खिताब भारत में वापस लाने पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने 2013 में नॉर्वे में विश्वनाथन आनंद और मैग्नस कार्लसन के बीच हुए मैच को याद करते हुए कहा, उस समय स्टैंड में बैठकर मैंने सोचा था कि बॉक्स के अंदर होना कितना खास होगा। आज यह सपना पूरा हुआ।
गुकेश ने स्वीकार किया कि डिंग लिरेन से ऐसी गलती की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कहा, मुझे जीत की ज्यादा उम्मीद नहीं थी, लेकिन डिंग की चूक ने मुझे मौका दिया। यह मेरे लिए भावुक क्षण था।
गुकेश की यह जीत न केवल भारतीय शतरंज के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि उनके समर्पण और मेहनत का नतीजा है। पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद की विरासत को आगे बढ़ाते हुए गुकेश ने साबित कर दिया कि भारत में शतरंज का भविष्य उज्ज्वल है। शतरंज के इतिहास में यह क्षण लंबे समय तक याद किया जाएगा।
गुकेश डी बने सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन, डिंग लिरेन को हराकर रचा इतिहास –
Gukesh D became the youngest world chess champion, created history by defeating ding liren