![](https://www.jpbnews24.in/wp-content/uploads/2024/04/lally.jpg)
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को जेल में बंद सांसद राशिद इंजीनियर की उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने आतंकवाद वित्तपोषण मामले में मुकदमे का सामना करते हुए संसद सत्र में भाग लेने के लिए हिरासत पैरोल की मांग की थी।
न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने बारामुल्ला सांसद और राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से पेश हुए वकीलों की दलीलें सुनीं और कहा, निर्णय सुरक्षित है।
वकील ने राशिद इंजीनियर को हिरासत पैरोल देने का विरोध किया और कहा कि सांसद होने के नाते उन्हें संसद में भाग लेने का कोई निहित अधिकार नहीं है।
राशिद के वकील ने तर्क दिया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र का संसद में कोई प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा है, इसलिए उन्हें सत्र में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने अदालत से अपील की, मैं जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हूं। जब समावेश की प्रक्रिया शुरू हो गई है, तो प्रतिनिधित्व को न रोकें… निर्वाचन क्षेत्र की आवाज को न दबाएं।
इससे पहले, संसद सत्र में भाग लेने के लिए अंतरिम जमानत की मांग को सिरे से खारिज कर दिया। जांच एजेंसी का कहना था कि सांसद के तौर पर राशिद इंजीनियर को संसद में भाग लेने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
राशिद की याचिका में अदालत को उनकी लंबित जमानत याचिका पर जल्द निर्णय लेने का निर्देश देने या हाईकोर्ट से इस मामले पर खुद फैसला करने की अपील की गई थी।
राशिद इंजीनियर को 2017 में आतंकवाद वित्तपोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था। वह 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।
अब अदालत का फैसला तय करेगा कि राशिद इंजीनियर संसद सत्र में भाग ले पाएंगे या नहीं। उच्च न्यायालय के इस फैसले पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
संसद सत्र में शामिल होने के लिए राशिद की पैरोल याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा –
High court reserves order on rashid parole plea to attend parliament session