हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व है। यह वह समय होता है जब शुभ और मांगलिक कार्यों को करने से बचा जाता है। साल में दो बार खरमास आता है, और 2024 का दूसरा खरमास दिसंबर में सूर्य गोचर के साथ शुरू होने जा रहा है। इस दौरान कई कार्यों को वर्जित माना जाता है।
‘खर’ का मतलब है ‘गधा’ और ‘मास’ का अर्थ है ‘महीना’। इस प्रकार, खरमास वह महीना होता है जब शुभ कार्यों को स्थगित किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो उनकी गति धीमी हो जाती है और उनका प्रभाव कमजोर पड़ता है, जिससे यह समय शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है।
2024 में खरमास की शुरुआत 15 दिसंबर को रात 10:19 बजे सूर्य के वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करने के साथ होगी। इसके बाद, एक महीने तक चलने वाला खरमास रहेगा, जिसमें विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों को न करने की सलाह दी जाती है।
खरमास 15 दिसंबर 2024 से शुरू होकर 14 जनवरी 2025 तक रहेगा। इस दौरान सूर्य देव की गति धीमी होने के कारण शुभ कार्यों को रोक दिया जाता है। 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर खरमास समाप्त हो जाएगा और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी।
खरमास के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?
1. मांगलिक कार्य: खरमास में शादी, गृह प्रवेश, सगाई और मुंडन जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
2. तामसिक भोजन: मांसाहार और मदिरा का सेवन इस दौरान वर्जित है।
3. धार्मिक कार्य: हालांकि यह समय अशुभ माना जाता है, लेकिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा बेहद शुभ मानी जाती है।
4. दान: इस समय गरीबों को दान करना और इष्ट देव की पूजा-अर्चना करना चाहिए।
5. ध्यान (मेडिटेशन): मानसिक शांति के लिए ध्यान करना भी इस दौरान अच्छा रहता है।
खरमास का पौराणिक महत्व:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सूर्य देव अपने रथ को धीमा कर रहे थे, तब उनका यह एक माह का समय अशुभ हो गया। उनका रथ गधे द्वारा खींचा जा रहा था, जिसके कारण इस समय को “खरमास” कहा गया।
खरमास का महत्व और 2024 में इसकी शुरुआत, जानें कब से होगा शुरू और क्या न करें –
Importance of kharmas and its beginning in 2024, know when it will start and what not to do