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टीपू सुल्तान पर जयशंकर का बयान: राजनीति में तथ्यों की चुनिंदा व्याख्या पर सवाल - Jaishankar statement on tipu sultan: Question on selective interpretation of facts in politics

टीपू सुल्तान पर जयशंकर का बयान: राजनीति में तथ्यों की चुनिंदा व्याख्या पर सवाल – Jaishankar statement on tipu sultan: Question on selective interpretation of facts in politics

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारतीय इतिहास जटिल है, और राजनीति अक्सर तथ्यों को अपनी सुविधा के अनुसार प्रस्तुत करती है। उन्होंने टीपू सुल्तान के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में उनकी एक विशेष कथा गढ़ी गई है।

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जयशंकर ने यह टिप्पणी टीपू सुल्तान: द सागा ऑफ मैसूर इंटररेग्नम 1751-1799 पुस्तक के विमोचन के अवसर पर की। यह पुस्तक प्रसिद्ध इतिहासकार विक्रम संपत द्वारा लिखी गई है। जयशंकर ने कहा, हमारे अतीत को कितना छिपाया गया है, यह सवाल आज हम सबके सामने है। कई जटिल मुद्दों को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया है और तथ्यों को शासन की सुविधा के लिए ढाला गया है।

जयशंकर ने टीपू सुल्तान को भारतीय इतिहास में एक जटिल व्यक्तित्व बताया। उन्होंने कहा, टीपू सुल्तान को एक ऐसे शख्स के रूप में देखा गया है, जिसने ब्रिटिश उपनिवेशवाद का विरोध किया था। उनकी हार और मृत्यु को प्रायद्वीपीय भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है। लेकिन इसके बावजूद, मैसूर, कूर्ग और मालाबार में उनके प्रति तीव्र नकारात्मक भावनाएं भी हैं।

उन्होंने कहा कि इतिहास में टीपू सुल्तान के ब्रिटिश विरोधी पक्ष पर अधिक ध्यान दिया गया, जबकि उनकी अन्य विवादास्पद गतिविधियों को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया।

जयशंकर ने कहा कि पिछले एक दशक में भारतीय राजनीति में आए बदलावों ने वैकल्पिक दृष्टिकोणों को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा, हम अब वोट बैंक की राजनीति के कैदी नहीं हैं। असुविधाजनक सत्य को सामने लाना अब राजनीतिक रूप से गलत नहीं माना जाता। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर निष्पक्षता से चर्चा की जानी चाहिए।

जयशंकर ने टीपू सुल्तान की विदेश नीति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश महत्वाकांक्षाओं का मुकाबला करने के लिए टीपू ने फ्रांसीसियों से सहयोग किया और कई बार आस्था आधारित समर्थन के लिए तुर्की, अफगानिस्तान और फारस के शासकों से संपर्क किया।

उन्होंने कहा, राष्ट्रवाद की भावना जो आज हम सबमें है, उस समय नहीं थी। उस युग में पहचान और जागरूकता अलग थी, इसलिए आज के संदर्भ में टीपू को जबरन फिट करना चुनौतीपूर्ण है।

 

टीपू सुल्तान पर जयशंकर का बयान: राजनीति में तथ्यों की चुनिंदा व्याख्या पर सवाल –

Jaishankar statement on tipu sultan: Question on selective interpretation of facts in politics