
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली होली हिंदू धर्म का प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार है। यह त्योहार रंगों, उमंग और ऊर्जा का प्रतीक है। होली के एक दिन पहले रात को होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि होलिका की अग्नि से जीवन और वातावरण में मौजूद नकारात्मक शक्तियों का अंत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 13 मार्च 2025 को सुबह 10:35 बजे से होगा और यह तिथि 14 मार्च दोपहर 12:23 बजे तक रहेगी। इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च, गुरुवार को मनाया जाएगा।
होलिका दहन 2025 का शुभ मुहूर्त
– होलिका दहन का मुहूर्त: 13 मार्च, रात 11:26 बजे से 12:30 बजे तक रहेगा।
– इस दौरान करीब एक घंटे का शुभ मुहूर्त होगा।
भद्रा काल में होलिका दहन क्यों वर्जित है?
पुराणों के अनुसार, भद्रा काल को अशुभ माना जाता है। सूर्य की पुत्री और शनि देव की बहन भद्रा का स्वभाव क्रोधी बताया गया है। ऐसे में भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य, विशेषकर होलिका दहन, वर्जित माना जाता है। ऐसा करने से अनिष्ट होने की आशंका रहती है।
होलिका दहन 2025 में भद्रा काल
– भद्रा पूंछ: 13 मार्च को शाम 6:57 बजे से रात 8:14 बजे तक।
– भद्रा मुख: रात 8:14 बजे से रात 10:22 बजे तक।
– शुभ दहन समय: रात 10:22 बजे के बाद होलिका दहन करना शुभ रहेगा।
पंचांग में भद्रा का महत्व
हिंदू पंचांग में तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण के पांच प्रमुख अंग होते हैं। भद्रा काल करण से जुड़ा होता है और इसे अशुभ माना जाता है। नाम से विपरीत, भद्रा काल में किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है।
होलिका दहन 2025 का पंचांग
– सूर्योदय: सुबह 6:33 बजे
– सूर्यास्त: शाम 6:28 बजे
– चंद्रोदय: शाम 5:45 बजे
– चंद्रास्त: 14 मार्च, सुबह 6:30 बजे
– ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:56 बजे से 5:45 बजे तक
– विजय मुहूर्त: दोपहर 2:30 बजे से 3:18 बजे तक
– गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:26 बजे से 6:50 बजे तक
– निशिता मुहूर्त: रात 12:06 बजे से 12:54 बजे तक
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