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जानें फुलेरा दूज 2025 की तिथि, व्रत कथा और महत्व के बारे में - Know about the date, fasting story, and significance of phulera dooj 2025

जानें फुलेरा दूज 2025 की तिथि, व्रत कथा और महत्व के बारे में – Know about the date, fasting story, and significance of phulera dooj 2025

फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला फुलेरा दूज हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन श्री राधा-कृष्ण को फूलों से सजाया जाता है और भक्तगण श्रद्धा भाव से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। इस साल फुलेरा दूज 2025 का यह शुभ पर्व 1 मार्च, शनिवार को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्री राधा-कृष्ण की आराधना से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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फुलेरा दूज की पौराणिक व्रत कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के बीच लंबे समय तक मिलन नहीं हो पाया। इस दूरी से राधा रानी अत्यंत उदास हो गईं, जिससे पूरा वृंदावन शोकमग्न हो गया। वृंदावन के फूल मुरझा गए, पेड़-पौधे सूख गए और पक्षियों ने चहचहाना बंद कर दिया। यहां तक कि यमुना नदी की धारा भी मानो थम सी गई। गोपियां भी राधा रानी के दुख से अत्यंत व्यथित थीं।

जब भगवान श्रीकृष्ण को वृंदावन की इस उदासी का कारण पता चला, तो वे तुरंत राधा रानी से मिलने के लिए वृंदावन पहुंचे। जैसे ही श्रीकृष्ण वृंदावन आए मुरझाए हुए फूल फिर से खिल उठे। पेड़-पौधे हरे-भरे हो गए। पक्षियों ने मधुर स्वर में चहचहाना शुरू कर दिया।

श्रीकृष्ण ने राधा रानी पर फूल बरसाने शुरू किए, जिसे देखकर राधा जी ने भी प्रेमपूर्वक उन पर फूल बरसाए। धीरे-धीरे इस उत्सव में सभी गोप-गोपियां भी शामिल हो गए और पूरा वृंदावन फूलों की होली में मग्न हो गया।

यह शुभ दिन फुलेरा दूज था और तभी से इस दिन फूलों की होली खेलने की परंपरा शुरू हुई। आज भी मथुरा और वृंदावन में फुलेरा दूज पर भव्य फूलों की होली खेली जाती है। इस अवसर पर मंदिरों को सुंदर फूलों से सजाया जाता है और भक्तगण श्री राधा-कृष्ण की दिव्य होली का आनंद लेते हैं।

फुलेरा दूज 2025 का महत्व 

शास्त्रों के अनुसार, फुलेरा दूज साल भर में आने वाले 5 स्वयं सिद्ध मुहूर्तों में से एक है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य को बिना पंचांग शुद्धि के किया जा सकता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, फुलेरा दूज विवाह संस्कार के लिए अत्यंत शुभ मानी गई है। इसे अनसूझ साया भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है बिना किसी विशेष मुहूर्त के विवाह करना शुभ होता है। यदि ग्रह स्थिति के कारण विवाह का शुभ मुहूर्त नहीं निकल रहा हो, तो फुलेरा दूज का दिन विवाह के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए सभी मांगलिक कार्य अत्यंत शुभ फलदायी होते हैं।

 

जानें फुलेरा दूज 2025 की तिथि, व्रत कथा और महत्व के बारे में –

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