हर साल माघ, भाद्रपद और मार्गशीर्ष माह के दौरान शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानंदा नवमी के रूप में मनाया जाता है। इसे ताल नवमी और नंदा व्रत जैसे नामों से भी जाना जाता है। मान्यतानुसार, महानंदा नवमी के दिन विधिवत मां लक्ष्मी और मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इस दिन स्नान और दान जैसे कार्य भी संपन्न किए जाते हैं, वहीं व्रत रखने और पूजा-पाठ करने का भी विशेष महत्व है। माना जाता है कि महानंदा नवमी का व्रत रखने और पूजा करने पर घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है।
* महानंदा नवमी की पूजा:
पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष माह की महानंदा नवमी 21 दिसंबर, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। इस नवमी तिथि पर ही मां दुर्गा और मां लक्ष्मी की विधिवित पूजा की जाएगी। कहते हैं महानंदा नवमी की पूजा से ही मृत्यु के बाद जातक को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
महानंदा नवमी का व्रत यूं तो विवाहित महिलाएं रखती हैं लेकिन इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भी रख सकती हैं। इस दिन घर में कन्या भोज कराना भी शुभ माना जाता है। महानंदा नवमी की पूजा करने के लिए सुबह सवेरे उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। इसके बाद व्रत का संकल्प लेते हैं। अब लकड़ी के पट्टे पर लाल कपड़ा बिछाने के बाद उसपर मां लक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित करके विधि-विधान से पूजन किया जाता है। पूजा सामग्री में कुमकुम, अक्षत, हल्दी, मेहंदी और दीप शामिल किए जाते हैं। मां के समक्ष घी का दीपक जलाया जाता है और पूजा के मंत्रों का जाप होता है। महानंदा नवमी की कथा पढ़ी जाती है और आरती करके पूजा संपन्न की जाती है। इस दिन घर को साफ रखना भी जरूरी होता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
जानिए कब मनाई जाएगी महानंदा नवमी, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में –
Know when mahananda navami will be celebrated, auspicious time and method of worship