देवी सरस्वती को ज्ञान की देवी माना जाता है। माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को देवी सरस्वती की पूजा होती है जिसे बसंत पंचमी कहा जाता है। बसंत पंचमी का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ मौसम के बदलाव से भी संबंध है। दो माह की ठंड के बाद बसंत के आगमन के साथ मौसम बदलने लगता है और चारों तरफ फूलों की बहार छा जाती है। साहित्य, शिक्षा, कला से जुड़े लोग बसंत पंचमी को मां सरस्वती की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसी दिन से बच्चों को अक्षर ज्ञान की शुरुआत कराई जाती है।
* बसंत पंचमी की शुरुआत:
पौराणिक मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। सृष्टि को रचने वाले ब्रह्मा जी ने जब संसार की रचना की थी उसमें कोई ध्वनि नहीं होने के कारण उन्हें कुछ कमी लगी। उन्होंने अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का। पृथ्वी पर कंपन होने लगा और देवी सरस्वती प्रकट हुई।
उनके हाथ में वीणा, माला और पुस्तक थी। देवी सरस्वती ने अपनी वीणा से वसंत राग छेड़ा। उनकी वीणा की ध्वनि से सृष्टि को वाणी और संगीत की प्राप्ति हुई। देवी ने वाणी के साथ-साथ विद्या और बुद्धी दी, जिससे संसार को ज्ञान का प्रकाश मिला। इसलिए बसंत पंचमी के दिन सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है।
* क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी:
बसंत पंचमी जीवन में नई शुरुआत का प्रतीक है। बसंत ऋतु के साथ ही फसलें पकने लगती हैं। ठंड समाप्त होने के कारण मौसम सुहावना हो जाता है जिससे प्रकृति में रंग भरने लगता और फूल खिलने लगते हैं। यह दिन नई चीजे शुरू करने के लिए शुभ माना जाता है। इन सभी चीजों को उत्सव बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
जानिए क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी और इसकी शुरुआत कैसे हुई।
Know why basant panchami is celebrated and how it started