हर साल 25 दिसंबर को पूरी दुनिया में क्रिसमस का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। यह ईसाई धर्म का प्रमुख पर्व है, जिसे यीशु मसीह के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। क्रिसमस का शाब्दिक अर्थ है ‘क्राइस्ट का मास’। यह पर्व प्रेम, शांति और भाईचारे का संदेश देता है, जो सभी धर्मों और संस्कृतियों को जोड़ने का काम करता है।
ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार, प्रभु यीशु मसीह का जन्म बैथलहम में माता मरियम (मैरी) और जोसेफ के घर हुआ था। पहली बार 25 दिसंबर को यीशु मसीह का जन्मदिन मनाने की शुरुआत 221 ईस्वी में सेक्सटस जूलियस अफ्रीकानस ने की।
रोमन सभ्यता में, 25 दिसंबर को विंटर सोल्सटाइस के दौरान सूर्य के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता था। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि मदर मैरी ने 25 मार्च को गर्भधारण किया था, और इसके नौ महीने बाद 25 दिसंबर को यीशु का जन्म हुआ।
क्रिसमस सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह प्रेम, दया और सहयोग का प्रतीक भी है। इस दिन लोग जरूरतमंदों की मदद करते हैं, अपने प्रियजनों के साथ समय बिताते हैं और प्रभु यीशु मसीह के दिखाए गए मार्ग को अपनाने का संकल्प लेते हैं।
जानें 25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है क्रिसमस, जानें इसका इतिहास और परंपरा –
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