केरल के वायनाड जिले में मंगलवार को सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ द्वारा आहूत हड़ताल के कारण जनजीवन प्रभावित हुआ। सुबह से शाम तक की इस हड़ताल ने कई इलाकों में दुकानों को बंद और वाहनों के परिचालन को बाधित कर दिया।
एलडीएफ और यूडीएफ ने वायनाड में भूस्खलन पीड़ितों के लिए केंद्रीय सहायता की कमी के विरोध में अलग-अलग हड़ताल का आह्वान किया। दोनों ही दलों ने केंद्र सरकार से आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और प्रभावितों के राहत और पुनर्वास के लिए तत्काल सहायता प्रदान करने की मांग की है।
एलडीएफ का आरोप, सत्तारूढ़ सीपीआई(एम) ने केंद्र पर वायनाड को राजनीतिक कारणों से सहायता न देने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि केंद्र सरकार राज्य के प्रति द्वेषपूर्ण रवैया अपना रही है। यूडीएफ की आलोचना, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने राज्य सरकार पर भूस्खलन पीड़ितों की निरंतर दुर्दशा के लिए लापरवाही का आरोप लगाया।
हड़ताल के कारण वायनाड में यातायात जाम की स्थिति पैदा हो गई। कई स्थानों पर हड़ताल समर्थकों ने वाहनों को रोकने का प्रयास किया। पुलिस सुरक्षा में केएसआरटीसी (राज्य परिवहन) की बसें चलती रहीं, जबकि निजी वाहन अपेक्षाकृत कम संख्या में सड़कों पर दिखे। कुछ स्थानों पर यूडीएफ कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच मामूली झड़प की खबरें भी सामने आईं।
हड़ताल का मुख्य मुद्दा 30 जुलाई को वायनाड में आई भूस्खलन आपदा है। इस आपदा ने अट्टामाला और पुंचरीमट्टम, चूरलमाला और मुंडक्कई गांवों को भारी नुकसान पहुंचाया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 231 लोगों की जान गई, और 47 लोग अभी भी लापता हैं। केंद्र सरकार के एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रावधान नहीं है।
सूत्रों के अनुसार, दिन में एलडीएफ और यूडीएफ ने जिले के प्रमुख केंद्रों में विरोध मार्च आयोजित करने की योजना बनाई।
वायनाड में भूस्खलन पीड़ितों के लिए सहायता की मांग को लेकर एलडीएफ और यूडीएफ की हड़ताल –
LDF and UDF strike demanding aid for landslide victims in wayanad