
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में सेंट्रल इंडिया ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के दीक्षांत समारोह के दौरान समानता और निष्पक्षता के महत्व पर जोर देते हुए जाति आधारित राजनीति का कड़ा विरोध किया।
गडकरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी व्यक्ति की पहचान उसकी जाति, धर्म, भाषा या लिंग से नहीं, बल्कि उसके गुणों और कार्यों से होनी चाहिए। उन्होंने कहा, किसी व्यक्ति की पहचान उसकी जाति, संप्रदाय, धर्म, भाषा या लिंग से नहीं, बल्कि उसके गुणों से होती है। इसलिए हम जाति, संप्रदाय, धर्म, भाषा या लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करेंगे।
राजनीति में जाति आधारित पहचान की भूमिका को नकारते हुए गडकरी ने कहा, मैं राजनीति में हूं, और यहां यह सब चलता रहता है, लेकिन मैं इससे इनकार करता हूं, भले ही इससे मुझे वोट मिलें या न मिलें।
उन्होंने बताया कि कई बार लोग उनसे जातिगत पहचान के आधार पर संपर्क करते हैं, लेकिन उन्होंने हमेशा अपने सिद्धांतों को प्राथमिकता दी है।
गडकरी ने अपने विचारों को स्पष्ट करने के लिए एक किस्सा भी साझा किया। उन्होंने कहा, मैंने 50,000 लोगों से कहा, ‘जो करेगा जात की बात, उसके कस के मारूंगा लात।’ इस बयान के माध्यम से उन्होंने जातिवाद के खिलाफ अपने सख्त रुख को दर्शाया।
गडकरी ने कहा कि उनके दोस्तों ने उन्हें चेतावनी दी कि ऐसे बयान से उनका राजनीतिक नुकसान हो सकता है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें चुनाव हारने की चिंता नहीं है। उन्होंने कहा, चुनाव हारने से कोई अपनी जान नहीं गंवाता। मैं अपने सिद्धांतों पर कायम रहूंगा।
नितिन गडकरी ने जाति आधारित राजनीति का किया विरोध, कहा- व्यक्ति की पहचान उसकी योग्यता से होनी चाहिए –
Nitin gadkari opposed caste based politics, said- a person should be identified by his merit