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एनपीपी ने बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस लिया, कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना - NPP withdraws support from biren singh government, Congress targets central government

एनपीपी ने बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस लिया, कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना – NPP withdraws support from biren singh government, Congress targets central government

मणिपुर में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने रविवार को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह कीभाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा की। यह फैसला राज्य में जारी तनाव और कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के चलते लिया गया। एनपीपी के इस कदम के बाद कांग्रेस ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला, मणिपुर में हालात सुधारने में उनकी असफलता पर सवाल उठाए।

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी की मणिपुर में अनुपस्थिति को लेकर तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मणिपुर के पीड़ित लोगों के पास जाने के बजाय विदेश दौरों और अन्य राज्यों में घूमने में व्यस्त हैं।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जब राहुल गांधी ने मणिपुर का दौरा किया और वहां से अपनी पदयात्रा शुरू की, तो प्रधानमंत्री ने राज्य की सुध नहीं ली।

कांग्रेस सांसद कुंवर दानिश अली ने भाजपा की राजनीतिक स्थिरता पर सवाल उठाते हुए कहा, जैसे सूरज पूर्व में उगता है, वैसे ही पूर्वोत्तर से भाजपा के खिलाफ समर्थन वापस लेने का चलन शुरू हो गया है।

मेघालय के मुख्यमंत्री और एनपीपी प्रमुख कोनराड संगमा ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में बीरेन सिंह सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, मणिपुर सरकार संकट को हल करने और शांति बहाल करने में पूरी तरह विफल रही है।

एनपीपी ने अपने बयान में कहा कि राज्य में स्थिति और बिगड़ रही है, जिसमें कई निर्दोष लोग मारे गए हैं, और आम जनता को भारी पीड़ा झेलनी पड़ी है।

एनपीपी के विधायक और राष्ट्रीय सचिव शेख नूरुल हसन ने कहा, पिछले 18 महीनों से जारी हिंसा और संघर्ष ने आम जनता का भरोसा पूरी तरह खत्म कर दिया है। एनपीपी अब राज्य में जनता के हित में काम करेगी और भाजपा सरकार का समर्थन नहीं करेगी।

एनपीपी के समर्थन वापस लेने से भाजपा सरकार पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा। मणिपुर विधानसभा में कुल 60 सीटों में भाजपा के पास 37 विधायक हैं, जो बहुमत से कहीं अधिक हैं। एनपीपी के पास 7 विधायक हैं, जो अब सरकार का हिस्सा नहीं हैं।

मणिपुर में हिंसा की शुरुआत पिछले साल 3 मई 2023 को हुई थी। यह तब भड़की जब ऑल ट्राइबल्स स्टूडेंट्स यूनियन (ATSU) ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) श्रेणी में शामिल करने के विरोध में एक रैली आयोजित की। इस रैली के दौरान झड़पें शुरू हो गईं, जिसके बाद से राज्य में लगातार तनाव बना हुआ है।

एनपीपी के इस कदम ने मणिपुर के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया है। हालांकि भाजपा सरकार फिलहाल स्थिर है, लेकिन राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति और राजनीतिक अस्थिरता के चलते केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

मणिपुर की स्थिति को लेकर विपक्ष और जनता के सवाल भाजपा सरकार के लिए चुनौती बने हुए हैं।

 

एनपीपी ने बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस लिया, कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना –

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