कार्तिक पूर्णिमा को सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की जयंती मनाई जाती है, जिसे गुरु पर्व या गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस वर्ष 15 नवंबर, शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। गुरु नानक देव को बाबा नानक और नानक शाह के नामों से भी जाना जाता है।
गुरु नानक देव जी का जन्म वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के तलवंडी गाँव में हुआ था, जो अब ननकाना साहिब के नाम से प्रसिद्ध है। वे एक महान समाज सुधारक, धर्म प्रचारक, कवि, दार्शनिक, और योगी थे। उन्होंने समाज में समानता लाने, भेदभाव मिटाने और प्रेम, करुणा व सच्चाई का मार्ग अपनाने की प्रेरणा दी। आइए, जानें गुरु नानक देव जी के अनमोल वचन, जो आज भी मानवता के मार्ग को प्रकाशित करते हैं।
गुरु नानक देव जी के अनमोल वचन :
नानक नाम जहाज है
जो चढ़े सो उतरे पार
इक ओ ओंकार सतनाम
करता पुरख निरंकार
परमेश्वर एक ही हैं और उसका नाम सत्य है। उसका व्यक्तित्व रचनात्मक हैं और उसका रूप अमर है। वह भय रहित, शत्रुता रहित, अजन्मा तथा स्वयं प्रकाशित है। गुरु की कृपा से व प्राप्त होता है।
गुरु नानक जी ने सेवा और सच्चाई का मार्ग अपनाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि सच्चे मन से गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करनी चाहिए।
गुरु नानक जी के अनुसार धर्म का वास्तविक रूप सभी को समान दृष्टि से देखना और सम्मान देना है।
गुरु नानक जी ने कहा कि वाणी का सदुपयोग करें और वही शब्द कहें जो मान-सम्मान और सच्चाई को बढ़ावा दें।
प्रेम से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है। गुरु नानक जी के अनुसार, प्रेम ही ईश्वर के निकट पहुंचने का मार्ग है।
जो व्यक्ति ईश्वर की भक्ति करता है, उसे किसी भी तरह के भय से मुक्त रहना चाहिए।
गुरु नानक जी ने सभी को सजगता से जीने और कभी किसी का बुरा न करने की शिक्षा दी है।
गुरु नानक जी ने सिखाया कि मेहनत और सच्चाई के साथ जीना ही सही मार्ग है। किसी के हक पर कब्जा नहीं करना चाहिए।
इस वर्ष की गुरु नानक जयंती पर, उनके महान विचारों और शिक्षाओं को अपनाकर हम अपने जीवन में शांति, प्रेम और समानता का संदेश फैला सकते हैं। उनकी शिक्षाएं आज भी हमें सही दिशा में आगे बढ़ने और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
गुरु नानक देव जी के अनमोल वचन, गुरु नानक जयंती पर जानें पहले सिख गुरु के प्रेरणादायक विचार –
Priceless words of guru nanak dev ji, know the inspirational thoughts of the first sikh guru on guru nanak jayanti