
जतिन बब्बर – भीम आर्मी ज़िला पठानकोट के सागर बैंस द्वारा बताया गया कि पंजाब, जो कभी शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में गिना जाता था, आज शिक्षा प्रणाली की कई गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है। हालाँकि सरकार ने कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि सरकारी स्कूलों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। शिक्षकों की कमी, बुनियादी सुविधाओं का अभाव और निजीकरण का बढ़ता प्रभाव, ये सभी कारक पंजाब की शिक्षा प्रणाली को कमजोर कर रहे हैं।
पंजाब के कई सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या बहुत कम है। हाल ही में एक रिपोर्ट में सामने आया कि राज्य के 55 सरकारी स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है, जबकि कई अन्य स्कूल केवल एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है। शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और इसका सीधा असर उनके शैक्षिक भविष्य पर पड़ रहा है।
राज्य के कई सरकारी स्कूलों में आज भी शुद्ध पेयजल, शौचालय, पुस्तकालय और विज्ञान प्रयोगशालाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है। ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी दयनीय है, जहाँ स्कूलों में बिजली और बैठने की उचित व्यवस्था तक नहीं है। जब बुनियादी सुविधाएँ ही उपलब्ध नहीं होंगी, तो बच्चों के लिए स्कूल आना और पढ़ाई में रुचि लेना मुश्किल हो जाता है।
आज पंजाब में शिक्षा का तेजी से निजीकरण हो रहा है। सरकारी स्कूलों की खस्ता हालत के चलते अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजने को मजबूर हैं। लेकिन महंगी फीस और अतिरिक्त खर्चों के कारण गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए यह एक बड़ी समस्या बन गई है। इसके अलावा, कई निजी स्कूल बिना किसी गुणवत्ता मानकों के केवल व्यावसायिक लाभ के लिए संचालित किए जा रहे हैं।
आज का दौर डिजिटल शिक्षा का है, लेकिन पंजाब के कई सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब और डिजिटल लर्निंग टूल्स की सुविधा नहीं है। साथ ही, शिक्षकों को नई तकनीकों का प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा है, जिससे वे आधुनिक शिक्षा पद्धतियों को अपनाने में असमर्थ हैं। इससे विद्यार्थियों का तकनीकी और व्यावसायिक कौशल विकसित नहीं हो पाता और वे प्रतिस्पर्धा में पीछे रह जाते हैं।
पंजाब सरकार ने शिक्षा सुधार के लिए “स्कूल ऑफ एमिनेंस” और “स्मार्ट स्कूल परियोजना” जैसी योजनाएँ चलाई हैं। इनका उद्देश्य सरकारी स्कूलों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करना था, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इनका प्रभाव बहुत सीमित है। कई जगहों पर यह योजनाएँ सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई हैं, जबकि स्कूलों की हालत जस की तस बनी हुई है।
समाधान और सुधार के सुझाव
• नए शिक्षकों की भर्ती – सरकार को प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को तेज करना चाहिए।
• बुनियादी ढांचे का विकास – सरकारी स्कूलों में पेयजल, शौचालय, पुस्तकालय और डिजिटल शिक्षा की सुविधाएँ अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
• शिक्षकों का प्रशिक्षण – शिक्षकों को नई शिक्षण विधियों और डिजिटल तकनीकों का प्रशिक्षण देना आवश्यक है।
• शिक्षा योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन – सरकारी योजनाओं को केवल घोषणाओं तक सीमित न रखते हुए, इन्हें ज़मीनी स्तर पर प्रभावी तरीके से लागू करना चाहिए।
• निजीकरण पर नियंत्रण – निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण रखने और उनकी गुणवत्ता की जाँच करने के लिए कड़े नियम लागू किए जाने चाहिए।
पंजाब की शिक्षा प्रणाली को फिर से पटरी पर लाने के लिए ठोस प्रयासों की जरूरत है। यदि सरकार, प्रशासन, शिक्षक और समाज मिलकर प्रयास करें, तो सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। शिक्षा केवल व्यक्तिगत उन्नति का साधन नहीं, बल्कि एक सशक्त समाज की नींव है। पंजाब को अपनी आने वाली पीढ़ी को एक मजबूत और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।
सागर बैंस ने बताया कि भीम आर्मी के चीफ, नगीना से सांसद भाई चंदर शेखर जी द्वारा सांसद में बार बार शिक्षा प्रणाली को सुधारने पर जोर दिया जा रहा है, पंजाब वासियों से निवेदन है कि पंजाब से भी ऐसे नेता का साथ देना होगा और देश के बच्चों को शिक्षा पर जोर देने कि अपील की।
पंजाब की शिक्षा प्रणाली का बुरा हाल – सागर बैंस –
Punjab education system in a bad state – Sagar bains