भारतीय सिनेमा में कपूर परिवार को अक्सर पहला परिवार माना जाता है, जिसने दशकों तक कई सुपरस्टार दिए। हालाँकि, कपूर परिवार के इतिहास में एक ऐसा नाम है जिसे समय के साथ भुला दिया गया। यह है त्रिलोक कपूर की कहानी—पृथ्वीराज कपूर के छोटे भाई, जो कभी भारतीय सिनेमा के सबसे अधिक पारिश्रमिक पाने वाले अभिनेताओं में से एक थे, लेकिन सुपरस्टार का दर्जा पाने से चूक गए।
1912 में जन्मे त्रिलोक कपूर ने 1933 में फ़िल्म चार दरवेश से हिंदी (हिंदुस्तानी) सिनेमा में अपना करियर शुरू किया। इसके बाद सीता में उनकी सफलता ने उन्हें शीर्ष अभिनेताओं में खड़ा कर दिया। 1933 से 1947 तक, त्रिलोक कपूर ने नूरजहाँ, नलिनी जयवंत और मीना शौरी जैसी प्रमुख अभिनेत्रियों के साथ कई हिट फिल्में दीं और उस समय के सबसे अधिक पैसे पाने वाले अभिनेताओं में शामिल हो गए।
1950 के दशक में त्रिलोक कपूर का रुझान पौराणिक फिल्मों की ओर हो गया। श्री राम भक्त हनुमान (1948) और रामायण (1954) जैसी सफल फिल्मों में उन्होंने भगवान राम और भगवान शिव के रूप में अभिनय किया।
इसके बाद, त्रिलोक कपूर ने निरूपा रॉय के साथ भगवान शिव और पार्वती की लोकप्रिय जोड़ी बनाई, और कई धार्मिक फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीता।
त्रिलोक कपूर ने अपने करियर में 30 से अधिक हिट फिल्में दीं, जो राज कपूर, शम्मी कपूर और रणबीर कपूर जैसे अन्य कपूर सितारों की हिट फिल्मों से कहीं अधिक है। लेकिन इनमें से अधिकांश फिल्में छोटे बजट की और पौराणिक कथाओं पर आधारित थीं, जिससे त्रिलोक कपूर को सुपरस्टार का दर्जा कभी नहीं मिला।
1970 के दशक के बाद, त्रिलोक कपूर ने कुछ बड़ी फिल्मों में सहायक भूमिकाएँ कीं। 1985 में, उन्होंने आरके फिल्म्स की राम तेरी गंगा मैली में अपने भतीजे राज कपूर के साथ काम किया। 1988 में 76 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया, और 1990 में उनकी आखिरी फिल्म वफ़ा रिलीज़ हुई।
कपूर परिवार का भूला सितारा जिसने दीं राज कपूर और रणबीर से ज्यादा हिट फ़िल्में, पर नहीं बना सुपरस्टार –
The forgotten stars of the kapoor family who gave more hit films than raj kapoor and ranbir, but did not become a superstar