![](https://www.jpbnews24.in/wp-content/uploads/2024/04/lally.jpg)
पूर्व वित्त मंत्री और राज्यसभा सांसद पी. चिदंबरम ने सोमवार को संसद में विदेश मंत्रालय (MEA) की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि हाल ही में अमेरिका से भारतीय नागरिकों के निर्वासन प्रबंधन में सरकार पूरी तरह विफल रही। उन्होंने बजट सत्र के दौरान सरकार की प्रतिक्रिया पर चिंता जताई और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से इस मुद्दे पर जवाब मांगा।
चिदंबरम ने बताया कि यह निर्वासन अप्रत्याशित नहीं था, क्योंकि अमेरिका ने भारत को पहले ही सूचित कर दिया था और निर्वासित नागरिकों की सूची भी प्रदान की थी। भारतीय अधिकारियों ने 104 व्यक्तियों के नामों का सत्यापन भी किया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह घटनाक्रम केवल जनता के लिए चौंकाने वाला था, सरकार के लिए नहीं।
चिदंबरम ने संसद में सवाल उठाया कि क्या विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ इस मामले को उठाया था? उनकी बैठक निर्वासन से कुछ समय पहले ही हुई थी। उन्होंने पूछा, मैं सरकार से पूछता हूं कि क्या विदेश मंत्री ने श्री रुबियो के साथ इस मामले पर चर्चा की थी?
पूर्व वित्त मंत्री ने निर्वासन के दौरान अपनाई गई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि भारतीय नागरिकों को कथित तौर पर हथकड़ी पहनाई गई और उनके पैरों को रस्सियों से बांध दिया गया। उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या विदेश मंत्री को इस प्रक्रिया की जानकारी थी और यदि हां, तो क्या उन्होंने इसका विरोध किया था?
चिदंबरम ने यह भी सवाल उठाया कि भारत सरकार ने अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए खुद विमान क्यों नहीं भेजा? उन्होंने आगाह किया कि अमेरिका अवैध अप्रवासियों के रूप में पहचाने गए 483 भारतीयों की एक और सूची तैयार कर रहा है, जो जल्द ही निर्वासन का सामना कर सकते हैं। उन्होंने पूछा, क्या सरकार भारतीय विमान से उनकी वापसी की व्यवस्था करेगी?
5 फरवरी को अमेरिकी वायु सेना का C-17A ग्लोबमास्टर III कार्गो विमान 104 भारतीय नागरिकों को लेकर अमृतसर में उतरा। यह पहली बार था जब किसी सैन्य परिवहन विमान का उपयोग भारत में निर्वासन उड़ान के लिए किया गया।
C-17A ग्लोबमास्टर III एक हाई-कैपेसिटी सैन्य विमान है, जिसका उपयोग आमतौर पर सैनिकों, वाहनों और सैन्य आपूर्ति के परिवहन के लिए किया जाता है। इस विमान के इस्तेमाल से संकेत मिलता है कि अमेरिका की आव्रजन नीति में बड़ा बदलाव आया है।
हाल ही में एक AFP रिपोर्ट के अनुसार, इस निर्वासन उड़ान की अनुमानित लागत लगभग 1 मिलियन डॉलर (लगभग 8.3 करोड़ रुपये) थी। यह समान उद्देश्यों के लिए वाणिज्यिक उड़ानों की लागत से तीन गुना अधिक है।
अब जब सैकड़ों और भारतीयों के निर्वासन की खबरें सामने आ रही हैं, भारत सरकार की प्रतिक्रिया अभी भी स्पष्ट नहीं है। सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इन भारतीयों की वापसी की सुविधा के लिए कोई कदम उठाएगी या अमेरिका से इस मुद्दे पर कूटनीतिक चर्चा करेगी?
अमेरिका से भारतीयों के निर्वासन मामले में विदेश मंत्रालय पूरी तरह विफल रहा: पी. चिदंबरम –
The ministry of external affairs has completely failed in the matter of deportation of indians from america: P. chidambaram