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उपासना का मतलब स्वयं को भगवान के प्रति समर्पित करना-नवजीत भारद्वाज - Worship means dedicating yourself to god - Navjeet bhardwaj

उपासना का मतलब स्वयं को भगवान के प्रति समर्पित करना-नवजीत भारद्वाज – Worship means dedicating yourself to god – Navjeet bhardwaj

जालंधर, जतिन बब्बर:- मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मा पिंड चौक जालंधर में श्री शनिदेव महाराज जी के निमित्त श्रृंखलाबद्ध सप्ताहिक दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन किया गया।

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सर्व प्रथम ब्राह्मणों द्वारा मुख्य यजमान समीर कपूर से विधिवत वैदिक रीति अनुसार पंचोपचार पूजन, षोढषोपचार पूजन, नवग्रह पूजन उपरांत हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।

सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ पर उपस्थित प्रभु भक्तों को भगवान की शरण में कैसे जाना चाहिए के बारे में ब्याख्या करते हुए कहते है कि भगवान के करीब जाने की विधि उपासना है। जब हम किसी के करीब आते हैं तो स्वाभाविक रूप से उसके गुणों को हम आत्मसात करने लगते हैं। बुरे लोगों की संगत में बैठने से हममें भी कुछ न कुछ बुरी आदतें आ ही जाती हैं और अच्छी संगत के करीब जाने से हममें अच्छी आदतें आती हैं,

नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि जिस मनुष्य के पास भगवान की आराधना, स्तुति करने के लिए समय नहीं है, उस मानव का जीवन न-केवल व्यर्थ है, बल्कि वर्तमान जीवन भी पशुवत है। यदि मानव के रूप में भारत की बसुंधरा पर जन्म लिया है तो इंसान को भगवान की स्तुति करनी चाहिए। धर्म के मार्ग का अनुशरण करना चाहिए ताकि जीवन में समरसता का भाव आ सके।

इसलिए हर मनुष्य को भगवान की उपासना करनी चाहिए। भगवान की शरण में जाने भर से मनुष्य का कल्याण हो जाता है। भगवान के करीब आने से मनुष्य के विचारों में शुद्धता आ जाती है। ईश्वर के सानिध्य में आने पर निराश मनुष्य भी आशावादी बन जाता है, जबकि दीनहीन व्यक्ति खुद को मजबूत समझने लगता है। रामायण में लंका चढ़ाई के वक्त सेतु के निर्माण में वानर बड़े-बड़े पत्थर उठाकर ले आए। आखिर वानरों में अचानक इतनी शक्ति कहां से आ गई? उन्होंने स्वयं को श्रीराम के प्रति समर्पित कर दिया और इसी कारण वे इतने बलशाली हो गए।

उपासना का मतलब स्वयं को भगवान के प्रति समर्पित करना है। जब हमारे अंदर भगवान के प्रति समर्पण का भाव जाग्रत होता है, तो हमारे अहंकार का नाश होता है। तब हम अपने अहं से मुक्त होकर कण-कण में एक ही सत्ता के दर्शन करते हैं। नवजीत भारद्वाज जी कहते हैं कि जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिंब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का प्रतिबिंब नहीं पड़ सकता।
आज तृतीय नवरात्र पर मां चंद्रघंटा देवी जी के निमित्त विशेष पूजा अर्चना उपरांत हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।

नवजीत भारद्वाज ने बताया कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी भगवान वाल्मीकि आश्रम शक्ति नगर में मां बगलामुखी धाम के सभी सेवादारों द्वारा मां बगलामुखी जी के आलौकिक हवन-यज्ञ का आयोजन 6 अक्टूबर 2024 दिन रविवार को सुबह 11 बजे किया जा रहा है उन्होंने सभी भक्तजन से इस हवन-यज्ञ में सम्मिलित होने का आवाहन किया।

इस अवसर पर सरोज बाला, अमरजीत सिंह, राकेश प्रभाकर, समीर कपूर, अमरेंद्र कुमार शर्मा, नवदीप, उदय ,अजीत कुमार , नरेंद्र,रोहित भाटिया, अमरेंद्र सिंह,बावा खन्ना, विनोद खन्ना, नवीन जी, प्रदीप, सुधीर, सुमीत,डॉ गुप्ता,सुक्खा अमनदीप ,सौरभ , नरेश,अजय शर्मा,दीपक , इंजिनियर किशोर,प्रदीप , प्रवीण,राजू, सोनू,गुलशन ,संजीव शर्मा, ऐडवोकेट भाटिया,मुकेश, रजेश महाजन ,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा,वरुण, नितिश, भोला शर्मा,दीलीप, लवली, लक्की, रोहित , मोहित , विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश, सुनील जग्गी, नवीन कुमार, निर्मल,अनिल,सागर,दीपक, प्रिंस कुमार सहित भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।
हवन-यज्ञ उपरांत विशाल लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।

 

उपासना का मतलब स्वयं को भगवान के प्रति समर्पित करना-नवजीत भारद्वाज –

Worship means dedicating yourself to god – Navjeet bhardwaj